ईंधन की ऊंची कीमतों की वजह से रिटेल महंगाई मार्च में पिछले पांच माह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई।
देश में खुदरा मुद्रास्फीति दर फरवरी के दौरान बढ़कर 3.65 प्रतिशत पर पहुंच गई। ऐसा खाद्य और ईंधन की कीमतों में तेज वृद्धि की वजह से हुआ है।
जनवरी में थोक महंगाई दर बढ़कर 30 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। दिसंबर के मुकाबले जनवरी में थोक महंगाई दर 3.39 फीसदी से बढ़कर 5.25 फीसदी हो गई।
सब्जियों, दालों और दूसरे खाने-पीने की चीजों में आई नरमी से रिटेल महंगाई दर घटकर 3.17 फीसदी पर आ गई है। दिसंबर 2016 में सीपीआई 3.41 फीसदी पर थी।
नवंबर में इंडस्ट्री प्रोडक्शन 5.7 प्रतिशत बढ़ा है, अक्टूबर में इसमें 1.8% की गिरावट आई। इंडस्ट्री प्रोडक्शन अर्थशास्त्रियों के अनुमान से ज्यादा है।
नवंबर में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर (डब्ल्यूपीआई) लगातार तीसरे महीने गिरकर 3.15 फीसदी पर आ गई है। अक्टूबर में थोक महंगाई दर 3.39 फीसदी थी।
खुदरा महंगाई दर को लेकर राहत भरी खबर है। नवंबर में खुदरा महंगाई दर यानी CPI 3.63 फीसदी के स्तर पर रही। यह रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गई है।
रिटेल महंगाई दर अक्टूबर में घटकर 4.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है और इसके बाद नवंबर-दिसंबर में इसके चार प्रतिशत से भी नीचे आने की उम्मीद है।
रिटेल महंगाई दर सितंबर में घटी है। खाद्य पदार्थों की कीमतें कम होने की वजह से मुद्रास्फीति सितंबर में घटकर 4.31 प्रतिशत रही जो अगस्त में 5.05 प्रतिशत थी।
लंबे समय से घाटी में जारी तनाव के चलते बादाम के दाम एक महीने में 18 फीसदी बढ़कर 1,300 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गए हैं।
रिटेल महंगाई का आंकड़ा बढ़कर 6.07 फीसदी पर पहुंच गया है, वहीं दूसरी ओर जून माह में देश के औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि दर्ज की गई है।
ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनी एचएसबीसी ने अपनी एक रिपोर्ट में रिटेल महंगाई दर अगले दो महीने में छह फीसदी से अधिक रहने का अनुमान लगाया है।
जून में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर 5.77 फीसदी रही, जो पिछले 22 माह का सबसे ऊंचा स्तर है। मई माह में महंगाई की यह दर 5.76 फीसदी थी।
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