उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति एक महीना पहले फरवरी में 2.57 प्रतिशत रही थी जबकि एक साल पहले मार्च में यह 4.28 प्रतिशत पर थी।
खाने, पीने की चीजों के दाम बढ़ने से फरवरी में खुदरा मुद्रास्फीति दर बढ़कर 2.57 प्रतिशत पर पहुंच गई। यह इसका चार माह का उच्चस्तर है।
औद्योगिक श्रमिकों के लिए खुदरा मुद्रास्फीति जनवरी 2019 में बढ़कर 6.6 प्रतिशत रही। इसकी अहम वजह निश्चित खाद्य वस्तुओं की कीमतें बहुत ऊंची रहना है।
रिजर्व बैंक द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में खुदरा मुदास्फीति को ध्यान में रखता है।
समीक्षाधीन महीने में सब्जियों, फलों और प्रोटीन वाले सामान मसलन अंडों की मूल्यवृद्धि घटी। हालांकि, मांस, मछली और दालों की मुद्रास्फीति मामूली बढ़ी।
खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर में घटकर 2.33 प्रतिशत रही, जो पिछले डेढ़ साल का न्यूनतम स्तर है।
भारत की खुदरा महंगाई दर सितंबर माह में मामूली बढ़कर 3.77 प्रतिशत पर पहुंच गई। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इससे पिछले महीने अगस्त में यह 3.69 प्रतिशत थी।
उपभोक्ताओं के लिए यह अच्छी खबर है। खुदरा महंगाई दर (CPI) जुलाई में 4.17 फीसदी रही। इससे पिछले महीने में यह 4.90 फीसदी थी।
भारतीय अर्थव्यवस्था को दोतरफा झटका लगा है। एक तरफ जहां जून में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित महंगाई दर जून में बढ़कर 5 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई वहीं मई में औद्योगिक उत्पादन (IIP) की ग्रोथ घटकर 3.2 फीसदी रह गई।
सरकार सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और रिटेल मुद्रास्फीति की गणना के लिए आधार वर्ष को बदलकर क्रमश: 2017-18 और 2018 करेगी। यह व्यवस्था 2019-20 से प्रभाव में आएगी।
मोदी सरकार के लिए आज दो महत्वपूर्ण खबरें आईं, जिसमें से एक राहत देने वाली है तो दूसरी आफत। अप्रैल में देश का औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर जहां बढ़कर 4.9 प्रतिशत रही है, वहीं मई में रिटेल महंगाई दर भी बढ़कर 4.87 प्रतिशत हो गई है।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित (CPI) महंगाई दर में वृद्धि दर्ज की गई है। देश की खुदरा महंगाई (CPI) अप्रैल में बढ़कर 4.58 फीसदी पर रही, जो मार्च में 4.28 फीसदी थी और पिछले साल के अप्रैल में 2.99 फीसदी थी।
नवंबर में देश के औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) में भारी वृद्धि दर्ज की गई है। नवंबर के लिए आईआईपी का यह आंकड़ा अपने 17 माह के उच्च स्तर 8.4 प्रतिशत पर पहुंच गया है।
नवंबर माह में रिटेल महंगाई दर बढ़कर 15 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई। नवंबर के लिए रिटेल महंगाई दर 4.88 प्रतिशत रही। इसने भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा तय किए गए 4 प्रतिशत के महंगाई लक्ष्य को पीछे छोड़ दिया है।
अक्टूबर में रिटेल महंगाई दर यानि CPI बढ़कर 3.58 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई है। अगस्त में रिटेल महंगाई दर 3.28 फीसदी रही थी।
आज जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक अगस्त में देश की औद्योगिक उत्पादन वृद्धि (आईआईपी) दर नौ महीने के उच्च स्तर 4.3 प्रतिशत पर पहुंच गई है।
महंगाई दर 4 से 6 प्रतिशत के मुद्रास्फीति के लक्ष्य से कम है। ऐसे में इस बात की संभावना बनी है कि रिजर्व बैंक नीतिगत ब्याज दरें और घटा सकता है।
थोक मूल्य सूचकांक (WPI) पर आधारित महंगाई दर जून में घटकर 0.9 प्रतिशत रही। शुक्रवार को सरकार द्वारा जारी आंकड़ों में यह खुलासा हुआ है।
खाने-पीने की वस्तुओं के सस्ता होने से रिटेल मुद्रास्फीति मई में रिकॉर्ड 2.18% के निम्न स्तर पर आ गई, वहीं अप्रैल में आईआईपी बढ़कर 3.1 प्रतिशत रहा।
चालू वित्त वर्ष में खुदरा महंगाई दर 4.8% रहने का अनुमान है। रिपोर्ट में कहा गया कि मुद्रास्फीति ऊंची रहने की आशंका को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया लगता है।
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