आरबीआई की घोषणा से तरलता बढ़ेगी, कोष की लागत कम होगी, मध्यम वर्ग और उद्योगों को मदद मिलेगी।
पी चिदंबरम ने अपने ट्विट में कहा कि मैंने सरकार को सुझाव दिया था कि 30 जून तक सभी तरह की ईएमआई के भुगतान को 30 जून, 2020 तक भुगतान करने के लिए स्थगित की जानी चाहिए।
आप भी जानिए आखिर रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट और सीआरआर क्या होता है और इसका हम पर क्या असर पड़ता है।
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कई बड़ी घोषणाएं की हैं। इन घोषणाओं से देश के हर वर्ग और उद्योग को बड़ी राहत मिलेगी।
रिजर्व बैंक के रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में कटौती के बाद भारतीय शेयर बाजार में गिरावट देखी जा रही है। सेंसेक्स दिन के ऊपरी स्तर से 1600 से ज्यादा अंक लुढ़क गया वहीं निफ्टी में दिन के ऊपरी स्तर से 450 से ज्यादा अंक लुढ़क गया।
गवर्नर शक्तिकांत दास ने रिवर्स रेपो रेट में भी 0.90 प्रतिशत की कटौती करने की घोषणा की है। इससे बैंकों को सस्ता कर्ज मिलेगा और वे इसका फायदा अपने उपभोक्ताओं तक पहुंचाएंगे।
रिजर्व बैंक ने आने वाले समय में कर्ज के सस्ता होने की उम्मीद जताई है
एसबीआई ने कहा कि उसने बैंकिंग प्रणाली में तरलता की अधिकता को देखते हुए दो करोड़ रुपए से कम के खुदरा जमा तथा दो करोड़ रुपए से अधिक के थोक जमा की ब्याज दरों में भी संशोधन किया है।
पॉलिसी समीक्षा में रिजर्व बैंक ने अर्थव्यवस्था को लेकर कई अनुमान जारी किए हैं।
भारतीय रिजर्व बैकं (आरबीआई) ने गुरुवार को मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में नीतिगत ब्याद दरों (रेपो रेट) में कोई बदलाव नहीं किया है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 6 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने इस बार भी रेपो रेट में बदलाव नहीं किया है और इसे 5.15 प्रतिशत पर बरकरार रखा है।
RBI keeps repo rate unchanged at 5.15 per cent हालांकि रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया है।
बढ़ती आर्थिक सुस्ती और घटती विकास दर के बीच आज भारीय रिजर्व बैंक चालू वित्त वर्ष की पांचवीं द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा की घोषणा करेगा।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) आर्थिक वृद्धि को रफ्तार देने के लिए नीतिगत दर में लगातार छठवीं बार कटौती कर सकता है।
साल के आखिरी महीने के पहले दिन यानी 1 दिसंबर 2019 को कई नियमों में बदलाव किया गया है।
1 दिसंबर 2019 से कई नियमों में बदलने होने जा रहा है। ये बदलाव आपकी जेब पर सीधा असर डालेंगे।
प्राइवेट क्षेत्र के बड़े एचडीएफसी बैंक ने विभिन्न अवधि के लिए अपने मार्जिनल कॉस्ट लेंडिंग रेट (MCLR) में 10 बेसिस प्वाइंट यानी 0.10 फीसदी की कटौती की है।
इस कटौती का लाभ एचडीएफसी के मौजूदा और नया ऋण लेने वाले दोनों ग्राहकों को मिलेगा।
वित्त वर्ष 2019-20 में एमसीएलआर में यह छठवीं बार कटौती की गई है।
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