नीलकंठ मिश्रा ने कहा कि मौजूदा महंगाई को देखते हुए आरबीआई के लिए अगले 13-14 महीनों तक ब्याज दरों में कटौती करना काफी मुश्किल होगा। उन्होंने वित्त वर्ष 2025-26 में औसत महंगाई दर 4.5 प्रतिशत रहने की संभावना जताई।
घरेलू ब्रोकरेज फर्म एमके ने कहा कि वह फरवरी में दरों में कटौती की संभावना से इनकार नहीं करती है। इसने उल्लेख किया कि मल्होत्रा को नियुक्त करने का फैसला बहुत ही जल्दबाजी में लिया गया, और यह दर्शाता है कि सरकार आरबीआई के शीर्ष पर किसी टेक्नोक्रेट के बजाय किसी नौकरशाह को रखने में सहज है।
आपको बता दें कि RBI ने आखिरी बार फरवरी 2023 में रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की बढोतरी की थी। इसके चलते रेपो रेट 6.25% से बढ़ाकर 6.50% हो गया था। उसके बाद से लगातार रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को स्थिर रखा हुआ है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास शुक्रवार सुबह 10 बजे एमपीसी की समीक्षा बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देंगे। यह दास के मौजूदा कार्यकाल की आखिरी एमपीसी बैठक है। उनका कार्यकाल 10 दिसंबर को समाप्त हो रहा है।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय एमपीसी की बैठक 4 से 6 दिसंबर को होने वाली है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास कमेटी के फैसले की घोषणा 6 दिसंबर को करेंगे।
अक्टूबर में खुदरा महंगाई 6.2 प्रतिशत पर पहुंच गई है, जो सरकार द्वारा आरबीआई के लिए निर्धारित लक्ष्य से अधिक है।
आर्थिक समीक्षा 2023-24 में मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने नीतिगत दर निर्धारण की प्रक्रिया से खाद्य मुद्रास्फीति को बाहर रखने की वकालत की थी।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) 7 से 9 अक्टूबर को होने वाली अगली मीटिंग रेपो रेट पर फैसला करेगी। अगस्त में खुदरा महंगाई 0.11 प्रतिशत बढ़कर 3.65 प्रतिशत हो गई, जो जुलाई में 3.54 प्रतिशत थी।
यह पूछे जाने पर कि क्या आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति अक्टूबर में होने वाली बैठक में नीतिगत दर में कटौती पर सक्रियता से विचार करेगी, दास ने कहा, ‘‘नहीं, मैं इस बारे में कुछ नहीं कह सकता।’’
ब्याज दर के मोर्चे पर स्थिरता के साथ-साथ स्टाम्प ड्यूटी शुल्क को तर्कसंगत बनाने की हाल ही में की गई घोषणा और महिला मकान खरीदारों के लिए रियायतें रियल एस्टेट क्षेत्र खासकर आवासीय क्षेत्र के लिए अच्छी खबर हैं।
शक्तिकांत दास ने बताया कि रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा गया है। बताते चलें कि आरबीआई ने लगातार 9वीं बार रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा है और इसमें किसी तरह का कोई बदलाव नहीं हुआ है।
RBI MPC की मीटिंग में रेपो रेट को लगातार 9वीं बार स्थिर रखने का फैसला किया गया है। बताते चलें कि पिछले 18 महीनों से रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
भारत में महंगाई दर अभी भी उच्चस्तर पर है। जून में खुदरा महंगाई दर चार महीनों के उच्च स्तर 5.08 प्रतिशत पर थी। जब तक खुदरा महंगाई दर नीचे नहीं आती है तब तक रेपो रेट में कटौती की कोई संभावना नहीं है।
एचएसबीसी ने आरबीआई एमपीसी के फैसले की पूर्व संध्या पर रिपोर्ट में कहा कि दर-निर्धारण पैनल मौद्रिक नीति के 'अनुकूलन को वापस लेने' के रुख पर टिके रहना पसंद कर सकता है।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारतीय रिजर्व बैंक इस बार भी रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करेगा क्योंकि महंगाई दर अभी भी उच्चस्तर पर बनी हुई है।
आरबीआई एमपीसी की यह मीटिंग 5 से 7 जून तक चली है। यह घटनाक्रम भाजपा द्वारा लोकसभा चुनाव 2024 में अकेले पूर्ण बहुमत से चूकने के बाद पहली बार हो रहा है। भाजपा को अब बाकी सहयोगी पार्टियों के साथ मिलकर एनडीए गठबंधन सरकार बनानी पड़ रही है।
लोकसभा नतीजों के बाद यह एमपीसी की पहली मीटिंग (5-7 जून) हुई है। एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि आरबीआई एमपीसी अपनी प्रमुख रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखेगा। MPC का व्यापक ध्यान मुद्रास्फीति के स्तर को कम करने पर रहेगा।
रियल्टी सेक्टर ने कहा कि यह कदम इस क्षेत्र में निवेश की इच्छुक कंपनियों और संभावित खरीदारों दोनों के लिए फायदेमंद साबित होगा। स्थिर ब्याज दरें अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद हैं और सकारात्मक उपभोक्ता भावनाओं के अनुकूल हैं।
RBI ने चालू वित्त वर्ष के लिए महंगाई के अनुमान 4.5 प्रतिशत पर रखा है। यह पिछले वित्त वर्ष 2023-24 के 5.4 प्रतिशत के अनुमान से कम है। यानी इस वित्त वर्ष में महंगाई में कमी आएगी। यह महंगाई के मोर्चे पर राहत की खबर है।
रेपो रेट पर निर्णय करने वाली भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की द्विमासिक समीक्षा बैठक बुधवार को शुरू हुई थी। तीन दिन तक चले इस बैठक के बाद आज केंद्रीय बैंक रेपो रेट पर अपना फैसला सुनाएगी।
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