बैंक एफडी और कॉरपोरेट एफडी दूसरा अंतर सुरक्षा होती है। बैंक एफडी में 5 लाख रुपये तक का इंश्योरेंस दिया जाता है। अगर बैंक डूब जाता है तो एफडी कराने वाले निवेशक को पैसा दिया जाता है।
बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने कहा कि उनके द्वारा ऑफर किए जाने वाले सभी रिटेल लोन RLLR से जुड़े हैं। इसलिए इस कटौती से होम लोन, कार लोन, एजुकेशन लोन, गोल्ड लोन समेत सभी रिटेल लोन लेने वाले ग्राहकों को फायदा होगा।
आरबीआई द्वारा रेपो रेट घटाने के बाद बैंकों ने एफडी पर ब्याज घटाई है। इससे एफडी पर अब पहले के मुकबाले कम रिटर्न मिलेगा।
वित्त मंत्री ने कहा कि मंत्रालय कुछ नीतिगत फैसलों के साथ तालमेल बनाए हुए है और बजट में भी विकास को बढ़ावा देने के लिए कई घोषणाएं की गई हैं और अब दर में कटौती पर आना पूरी तरह से स्वागत योग्य है।
आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि हम सरकार के साथ मिलकर अपने देश में विकास और मुद्रास्फीति की गतिशीलता को प्रबंधित करने का प्रयास करेंगे। गवर्नर ने यह भी आश्वासन दिया कि केंद्रीय बैंक तेजी से दर कटौती के लिए पर्याप्त तरलता बनाए रखेगा।
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा रेपो रेट घटाए जाने से आम लोगों को सीधा फायदा होगा। अब जब बैंकों को आरबीआई से सस्ता लोन मिलेगा, तो आम लोगों को भी बैंकों से सस्ता लोन मिलेगा।
रियल एस्टेट क्षेत्र, विशेष रूप से किफायती और मिड-सेगमेंट हाउसिंग में, इस कदम से मांग में बढ़ोतरी और निवेश को बल मिलेगा।
अगर आप बिना जोखिम लिए रिटर्न चाहते हैं तो एफडी सबसे बेस्ट है। अभी एफडी पर बेहतर रिटर्न मिल रहा है। इसलिए एफडी करा लें। जल्द ब्याज घट सकता है।
इससे पहले RBI ने फरवरी में रेपो दर 0.25% घटाकर 6.25% कर दिया था। यह मई, 2020 के बाद पहली कटौती और ढाई साल के बाद पहला संशोधन था।
आरबीआई द्वारा रेपो रेट घटाने जाने से देश में सेवाएं देने वाले सभी बैंक भी लोन की ब्याज दरें घटा देंगे। जिससे आपका लोन सस्ता हो जाएगा और आपको हर महीने कम ईएमआई चुकानी होगी।
जिस तरह आम लोग अपनी जरूरतों के लिए बैंकों से लोन लेते हैं, उसी तरह बैंक भी अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक से लोन लेते हैं। आरबीआई जिस ब्याज दर पर बैंकों को लोन देता है, उसे रेपो रेट के नाम से जाना जाता है।
बैंकों को पूंजी की लागत वहन करनी पड़ती है, जिसमें रेपो रेट भी शामिल है। रेपो रेट जितनी अधिक होगी, पूंजी की लागत उतनी ही अधिक होगी। और रेपो रेट जितनी कम होगी, पूंजी की लागत उतनी ही कम होगी।
अप्रैल महीने में दूसरी सौगात भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से मिल सकती है। आरबीआई रेपो रेट में 25 आधार अंक की कटौती कर सकता है।
महंगाई में कमी (सकल मुद्रास्फीति 4.3 प्रतिशत) ने आरबीआई के लिए नीतिगत मोर्चे पर गुंजाइश बना दी है। एग्रीकल्चर सेक्टर में भी मजबूती दिख रही है, जो मुद्रास्फीति नियंत्रण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था दोनों के लिए अच्छा संकेत है।’
आरबीआई द्वारा रेपो रेट में 25 बीपीएस की कटौती करके इसे 6.25% करने का फैसला प्रीमियम रियल एस्टेट सेगमेंट के लिए एक स्वागत योग्य कदम है। लगातार 11 बार रेट होल्ड करने के बाद, इस कटौती से आवास की मांग को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
भारतीय उद्योग जगत ने आरबीआई द्वारा रेपो दर में 25 आधार अंकों की कटौती करने के फैसले का स्वागत किया और कहा कि यह कदम इस मोड़ पर अर्थव्यवस्था को बहुत जरूरी सपोर्ट करेगा।
रिजर्व बैंक के इस फैसले से एक वर्ग को नुकसान भी होगा। जिन लोगों का कोई लोन नहीं चल रहा है और वे एफडी में निवेश करते हैं, उन्हें इस फैसले का नुकसान उठाना पड़ेगा। दरअसल, रेपो रेट कम होने से जहां लोन की ब्याज दरें कम हो जाती हैं, वहीं दूसरी ओर बैंक एफडी पर दिए जाने वाले ब्याज की दरें भी घटा देता है।
आईबीआई ने आखिरी बार मई 2020 में ब्याज दरों में कटौती की थी। आरबीआई ने उस समय कोविड के दौरान देश की अर्थव्यवस्था को बूस्ट देने के लिए रेपो रेट में 0.40 प्रतिशत (40 बेसिस पॉइंट्स) की कटौती की थी। जिसके बाद आज करीब 5 साल बाद रेपो रेट में किसी तरह की कटौती की गई है।
रिजर्व बैंक ने करीब 5 साल बाद रेपो रेट में किसी तरह का कोई बदलाव किया है। रेपो रेट में हुई इस 0.25 प्रतिशत की कटौती से होम लोन और कार लोन समेत तमाम लोन सस्ते हो जाएंगे और लोगों को ईएमआई में राहत मिलेगी।
विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगर ऐसा होता है तो यह बजट में खपत को बढ़ावा देने के लिए उठाये गये कदमों को मजबूती देगा। हालांकि रुपये में गिरावट अभी भी चिंता का विषय बनी हुई है।
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