विश्व बैंक की जारी लेटेस्ट रिपोर्ट के मुताबिक, विदेशों से भेजी गई राशि (रेमिटेंस) हासिल करने वालों में चीन (50 अरब डॉलर), फिलिपीन (39 अरब डॉलर) और पाकिस्तान (27 अरब डॉलर) शीर्ष पांच देशों में शामिल हैं।
भारत भेजा जाने वाला यह धन अब देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.4 प्रतिशत है। भारत वर्ल्ड लेवल पर देश में बाहर से धन प्रवाह के मामले में सबसे ज्यादा प्राप्तकर्ता बना हुआ है।
विश्व बैंक की एक स्टडी के मुताबिक वर्ष 2022 में वैश्विक सीमापार धन भेजने का कुल आंकड़ा 830 अरब डॉलर का था जिसमें भारत को सबसे ज्यादा धन भेजा गया था।
स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने यूरोबांड्स जारी कर 1 अरब डॉलर की राशि जुटाई है, जिसकी वजह से केंद्रीय बैंक का विदेशी मुद्रा भंडार अपने पांच साल के उच्चतम स्तर 18.2 अरब डॉलर पर पहुंच गया।
वैश्विक स्तर पर कोविड-19 महामारी और इसकी वजह से लॉकडाउन के परिणामस्वरूप रेमीटैंस में इस साल 20 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है।
वर्ल्ड बैंक की माइग्रेशन एंड डेवलपमेंट ब्रीफ रिपोर्ट के नवीन संस्करण के मुताबिक, भारत के बाद चीन का नंबर आता है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने देश से बाहर धन भेजने की उदारीकृत प्रेषण योजना (एलआरएस) की जानकारी देने के नियमों को और कड़ा कर दिया है।
वर्ष 2017 में देश से बाहर रह रहे भारतीय समुदाय ने 65 अरब डॉलर की राशि स्वदेश भेजी है। इसकी जानकारी विश्व बैंक ने दी है।
विदेशों में काम कर रहे भारतीयों द्वारा अपने घर यानी भारत भेजे जाने वाले धन (रेमिटेंस) में बीते साल 8.9 प्रतिशत की गिरावट आई है।
भारत में इस साल रेमिटेंस (विदेशों से भेजा जाने वाला धन) 65.5 अरब डॉलर रह सकता है। यह पिछले साल आए कुल रेमिटेंस से 5 फीसदी कम होगा।
केरल की शुद्ध जीडीपी में रेमीटैंस (विदेशी धन) की हिस्सेदारी 36 फीसदी है और अब इसमें लगातार गिरावट आ रही है। इसकी वजह से मंदी के मुहाने पर पहुंच सकता है।
वर्ल्ड बैंक की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक विदेशों से मनीऑर्डर के जरिये धन प्राप्त करने के मामले में भारत 2015 में भी सबसे ऊपर रहा।
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