भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ठोस सुधार की कड़ी वकालत की है। भारत का कहना है कि बार-बार स्थाई सदस्यता में सुधार की मांग उठाए जाने के बावजूद परिषद की ओर से 1965 से अब तक टाल-मटोल होता आ रहा है।
भारत, सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए वर्षों से किए जा रहे प्रयासों में अग्रणी रहा है तथा उसका कहना है कि 1945 में स्थापित 15 देशों की परिषद 21वीं सदी के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए उपयुक्त नहीं है। उसका मानना है कि यह समकालीन भू-राजनीतिक वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित नहीं करती।
संयुक्त राष्ट्र महासभा की न्यूयॉर्क में होने वाली बैठक से पहले अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार प्रस्ताव को पेश करके यह साफ कर दिया है कि इस महासम्मेलन में बहस का सबसे बड़ा मुद्दा भारत जैसे देशों को स्थाई सदस्यता देने का ही रहने वाला है। अमेरिका ने भारत का समर्थन किया है।
ईरान के राष्ट्रपति चुनाव 2024 में इस बार नया इतिहास लिखा गया है। पहली बार सुधारवादी नेता पेजेशकियन की राष्ट्रपति चुनाव में भारी जीत हुई है। वह परमाणु वार्ताकार भी रहे हैं, जिन्होंने कट्टरपंथी सईद जलीली को 28 लाख मतों के भारी अंतर से चुनाव हरा दिया है।
’ भारत ने इस बात पर जोर दिया कि आमसभा में जो विचार-विमर्श हो, वह समावेशी होना चाहिए और हर सदस्य देश को समान रूप से भागीदारी की अनुमति हो। माथुर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के एजेंडे को इस तरह बनाया जाना चाहिए कि इसमें होने वाली चर्चा और अधिक सूचना युक्त तथा प्रभावी हो।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार को लेकर भारत ने जी-4 देशों का विस्तृत मॉडल पेश किया है। इसे भारत, जापान, जर्मनी और ब्राजील की ओर से तैयार किया गया है। इसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थाई और गैर-स्थाई सदस्यों की संख्या और नियमों में सुधार की बात कही गई है।
UNSC Reforms: करीब चार दशक से कई देशों की मांग है कि उन्हें भी सुरक्षा परिषद में शामिल किया जाए और यह 21वीं सदी के परिवर्तित विश्व का प्रदर्शन करे। इसके बावजूद परिषद अभी तक अपने मौजूदा स्वरूप में ही कायम है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि विकास के लिए सुधार आवश्यक हैं और बीती सदी के कुछ कानून आज के समय में ‘बोझ’ बन चुके हैं।
उत्तर प्रदेश में 10 देशों की कंपनियों ने 45 हजार करोड़ रुपये के निवेश के प्रस्ताव दिए हैं। इन देशों में जापान, जर्मनी और अमेरिका शामिल हैं। वहीं एप्पल के सप्लायर ने भारत में 15 करोड़ डॉलर के निवेश को मंजूरी दे दी है।
लुधियाना और जालंधर में उद्योगों को 22,000 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है। वहीं 13,500 से अधिक कंटेनर लुधियाना के पास ढंडारी में अटके हुए हैं वहीं प्रदर्शन का धान की फसल के उठान पर भी विपरीत असर पड़ा है और दिल्ली व राजपुरा में 60,000 बोरी का परिवहन नहीं हो सका है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 99.75 प्रतिशत कर रिटर्न को बिना किसी संदेह के स्वीकार किया जाना करदाताओं के बीच भरोसा बढ़ाने की दिशा में एक कदम है।
भारत को श्रम, भूमि आदि के क्षेत्र में और सुधार करने के अलावा अतिरिक्त बुनियादी ढांचा जोड़ने की जरूरत है।
सुधार कदम मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाएंगे
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सुधार कदमों के जरिए सरकार का निजी भागेदारी बढ़ाने पर जोर
हवाई क्षेत्र प्रबंधन, नए एयरपोर्ट और एयरक्रॉफ्ट मेंटीनेंस सेक्टर के लिए बड़े ऐलान
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) का कहना है कि भारत द्वारा लागू किए गए आर्थिक सुधारों के परिणाम सामने आने लगे हैं और इससे लोगों को फायदा भी हुआ है। इससे इस तरह के और कदम उठाने का आधार मजबूत हुआ है।
सरकार नए साल में बैंकिंग सुधारों के सिलसिले को जारी रख सकती है। इसके अलावा सरकार का इरादा गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) के बोझ से दबे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पूंजी निवेश करने का भी है, जिससे ऋण की मांग को बढ़ाया जा सके।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सरकार ने देश में निवेश अनुकूल माहौल बनाने के लिए टैक्स समेत विभिन्न क्षेत्रों में सुधारों को आगे बढ़ाया है।
एसोचैम ने अपने अध्ययन में कहा कि फिलहाल कंपनियों का जोर कर्ज घटाने, संगठित होने, गैर-प्रमुख उद्योग से निकलने और बैलेंट शीट को हल्का और मजबूत बनाने पर है।
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