रिपोर्ट कहती है कि बीते दो वर्षों में मांग मजबूत बने रहने से आठ शहरों में कीमतें तेजी से बढ़ी हैं। इन आठ शहरों में अहमदाबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली-एनसीआर, हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन (एमएमआर) और पुणे शामिल हैं।
मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) में 289 एकड़ में फैले 24 अलग-अलग भूमि सौदे हुए, जिनकी कीमत 11,222 करोड़ रुपये थी। चेन्नई में, आठ अलग-अलग सौदों में 1,220 करोड़ रुपये में 209 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया।
अथॉरिटी ने आम्रपाली समूह की पांच आवासीय परियोजनाओं में करीब 75 एकड़ जमीन के विकास की अनुमति दे दी है। कंपनी करीब 80 रेसिडेंसियल टावर बना सकेगी जिनमें 13,500 फ्लैट मौजूद होंगे।
एनारॉक ने कहा कि घरों के निर्माण का यह आंकड़ा 2017 के बाद सबसे ऊंचा है। साल 2017 में 2,04,200 घरों, 2018 में 2,46,140 घरों, 2019 में 2,98,450 घरों, 2020 में 2,14,370 घरों, 2021 में 2,78,650 घरों का निर्माण पूरा हुआ था।
नोएडा-ग्रेटर नोएडा में 24,944 करोड़ रुपये, गाजियाबाद में 4,404 करोड़ रुपये, दिल्ली में 2,610 करोड़ रुपये और फरीदाबाद में 470 करोड़ रुपये मूल्य के घरों की बिक्री पिछले साल हुई।
इसके मुताबिक, सात प्रमुख शहरों में से दिल्ली-एनसीआर में सबसे अधिक तेजी रही और यहां लक्जरी घरों की बिक्री में लगभग तीन गुना उछाल आया। इस रिपोर्ट के मुताबिक, कैलेंडर वर्ष 2023 में चार करोड़ रुपये या उससे अधिक कीमत के 12,935 घरों की बिक्री हुई जबकि साल 2022 में यह संख्या 7,395 इकाई थी।
जोशी ने कहा कि हमारे पास अफोर्डेबल हाउसिंग (सस्ते घर) की कमी है। इसके लिए केंद्र सरकार की प्राथमिकता राज्यों और शहरी स्थानीय अधिकारियों के साथ काम करना है ताकि शहरी नियोजन प्रक्रिया के तहत बड़े संख्या में सस्ते घर बनाए जा सके। इसके लिए डेवलपर्स को अपने प्रोजेक्ट में कम से कम से कम 15% या अधिक सस्ते घर बनाने चाहिए।
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इंडिया फोर्ब्स ग्लोबल प्रॉपर्टीज ने 1200 एकड़ भूमि के विकास के लिए नवी मुंबई में ऑरेंज स्मार्ट सिटी के संयुक्त उद्यम के साथ समझौता किया है। इस परियोजना में 1 लाख 20 हजार करोड़ रुपये की 10 लाख करोड़ वर्ग फुट एरिया में प्रोजेक्ट बनेंगे।
नाइट फ्रैंक और नेशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (नारेडेको) की ज्वाइंट रिपोर्ट के अनुसार, भारत का रियल एस्टेट क्षेत्र अभी जीडीपी में 7.3% का योगदान दे रहा है। ऐसे में जिस तरह से देशभर में घरों की मांग बढ़ी है, यह सेक्टर आने वाले सालों में जीडीपी में और बड़ा कंट्रीब्यूशन करेगा।
दुनिया में चल रहे भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं और उच्च ब्याज दर के चलते इस अवधि में अधिकतर समय विदेशी निवेशकों की गतिविधियां धीमी रहीं।
प्रोजेक्ट को पेश करने से पहले के फेज में ही 72 घंटे में सारे अपार्टमेंट बिक गए हैं। आवासीय संपत्तियों की मजबूत मांग को देखते हुए कंपनियों के कारोबार में पंख लग गए हैं।
नोएडा में बिना बिके मकानों की संख्या पिछले साल के अंत से 15 प्रतिशत घटकर 8,658 इकाई हो गई, जो 2022 के अंत में 10,171 इकाई थी। ग्रेटर नोएडा में बिना बिके मकानों की संख्या 2022 के अंत में 26,096 इकाइयों से 28 प्रतिशत गिरकर 2023 के अंत में 18,825 इकाइयों पर आ गई।
रियल एस्टेट में सुधार के लिए रेरा लगातार कदम उठा रहा है। अब यह फैसला मील का पत्थर साबित होगा। अभी तक कई बिल्डर भोले-भाले खरीदारों से ज्यादा पैसा ले लेते हैं।
दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में घरों की बिक्री 2022 के 19,240 से 11 प्रतिशत बढ़कर 2023 में 21,364 इकाई हो गई। नए घरों की आपूर्ति 15,382 इकाई से 34 प्रतिशत बढ़कर 20,572 इकाई हो गई। दिल्ली-एनसीआर में गुरुग्राम, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद और फरीदाबाद को शामिल किया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 50 लाख रुपये तक की लागत वाले घरों में नई आपूर्ति साल 2023 में साल-दर-साल 20 प्रतिशत कम हो गई। इसके चलते किफायती घरों की बिक्री में भी गिरावट आई।
कोलियर्स इंडिया के मुताबिक, रियल एस्टेट में संस्थागत निवेश अक्टूबर-दिसंबर 2022 में 129.94 करोड़ अमेरिकी डॉलर था। हालांकि पिछले साल निवेश में 53 प्रतिशत की ग्रोथ के साथ ऑफिस सेगमेंट 302.25 करोड़ अमेरिकी डॉलर तक बढ़ गया.
आंकड़ों के अनुसार इस कैलेंडर वर्ष 2023 में आवासीय बिक्री 4,76,530 इकाई रही। यह किसी भी कैलेंडर वर्ष में दर्ज अभी तक की सबसे अधिक बिक्री है। 2022 में 3,64,870 इकाइयों की बिक्री की गई थी।
दिल्ली-एनसीआर में कई हॉट प्रॉपर्टी मार्केट हैं, जिसमें नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद, दिल्ली और गुरुग्राम शामिल हैं। हालांकि, इनमें गुरुग्राम ने प्रीमियम प्रॉपर्टी की डिमांड को लेकर सबको पीछे छोड़ दिया है। गुरुग्राम में करोड़ों कीमत के फ्लैट धड़ाधड़ बिक रहे हैं।
नए साल में होम लोन सस्ता होने की पूरी उम्मीद है। आरबीआई ने 2023 में होम लाने पर बढ़ी ईएमआई में कमी नहीं की है। हालांकि, अब महंगाई कंट्रोल में है। ऐसे में बहुत उम्मीद है कि अगले साल यानी नए साल में आरबीआई कर्ज सस्ता करेगा।
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