जुलाई-सितंबर के दौरान दिल्ली-एनसीआर में आवासीय संपत्तियों की बिक्री एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में 7 प्रतिशत घटकर 12,976 यूनिट्स रह गई।
हाउसिंग सेक्टर में कोविड महामारी के बाद मांग में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। इसमें निवेश में 40 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जो 27.46 करोड़ डॉलर से बढ़कर 38.48 करोड़ डॉलर हो गया।
पीठ ने अपने आदेश में कहा कि वर्तमान आवेदन के लंबित रहने के बावजूद एनसीएलएटी कॉरपोरेट देनदार (सुपरटेक लिमिटेड) की 17 परियोजनाओं के लिए एनबीसीसी के प्रस्ताव की जांच कर सकता है और उसपर फैसला ले सकता है।
एक्सपर्ट का कहना है कि होम बायर्स जिस किसी भी प्रोजेक्ट में घर बुक करने की योजना बना रहे हैं, उसमें ही रीसेल में प्रॉपर्टी ढूंढें। कोरोना के बाद से रियल एस्टेट में भर-भर के निवेशकों ने पैसा लगाया है।
बाजार पूंजीकरण (मार्किट कैप) के हिसाब से डीएलएफ, गोदरेज प्रॉपर्टीज, प्रेस्टीज एस्टेट्स, फीनिक्स मिल्स, ओबेरॉय रियल्टी, ब्रिगेड इंटरप्राइजेज और अनंत राज अग्रणी रियल एस्टेट कंपनियों में शामिल हैं।
Real Estate News : कोलकाता में बिक्री 5,320 इकाइयों से 25 प्रतिशत घटकर 3,980 इकाई रह गई। चेन्नई में जुलाई-सितंबर में बिक्री नौ प्रतिशत घटकर 4,510 इकाई रह गई। जबकि एक वर्ष पूर्व इसी अवधि में यह 4,945 इकाई थी।
Real Estate Stocks : पिछले कुछ समय से रियल एस्टेट शेयरों में गिरावट देखने को मिल रही है। इसके पीछे वजह प्रॉपर्टी मार्केट में सुस्ती के संकेत हैं। कुछ महीनों से घरों की बिक्री में गिरावट देखने को मिल रही है।
परेशान घर खरीदारों की ओर से पेश वकील एम एल लाहोटी ने न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ को बताया कि एनबीसीसी करीब 51,000 आवासीय इकाइयों वाली इन रुकी परियोजनाओं को पूरा करने का प्रस्ताव लेकर आई है।
मंत्री ने साथ ही कहा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कहना है कि ‘न खाऊंगा, न खाने दूंगा’ और आप सभी को भी यह संकल्प करना होगा कि आप आसान रास्ते (शॉर्टकट) अपनाने की कोशिश नहीं करेंगे।
प्रॉपइक्विटी ने अनुमान लगाया गया है कि भारत में जुलाई-सितंबर में नौ प्रमुख शहरों में बिक्री 18 प्रतिशत घटकर 1,04,393 यूनिट रह गई। क्रेडाई के पूर्व अध्यक्ष इरफान रजाक ने कहा कि मांग तो है, लेकिन पेशकश नहीं है।
बेंगलुरु में जुलाई-सितंबर के दौरान आवास बिक्री 26 प्रतिशत घटकर 13,355 इकाई रहने का अनुमान है, जो एक साल पहले की अवधि में 17,978 इकाई थी।
रियल्टी एक्सपर्ट का कहना है कि एक ओर घरों की कीमत आसमान पर पहुंच रही हैं, वहीं सैंकड़ों प्रोजेक्ट सालों से अटके पड़े हुए हैं। अगर उनका काम पूरा हो तो प्रॉपर्टी बाजार में सप्लाई बढ़ेगी और प्रॉपर्टी की बढ़ती कीमत पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी।
इन्वेस्टमेंट फर्म जेफरीज ने कहा कि सरकार की ओर से किए जाने वाले पूंजीगत निवेश में पिछले पांच वर्षों में तीन गुना का इजाफा देखने को मिला है। लेकिन, अब सरकार के सहयोग से निजी सेक्टर भी तेजी से पूंजीगत निवेश बढ़ा रहा है, जिसके कारण आने वाले वर्षों में हाउसिंग सेक्टर में तेज वृद्धि देखने को मिल सकती है।
प्रॉपर्टी कंसल्टेंट ANAROCK की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2024 की पहली छमाही में, दिल्ली-एनसीआर में करीब 32,200 हाउसिंग यूनिट्स की बिक्री हुई। हैरानी की बात ये है कि इनमें 45 प्रतिशत से ज्यादा यूनिट्स लग्जरी सेगमेंट के थे जबकि 24 फीसदी यूनिट्स अफॉर्डेबल सेगमेंट के थे।
मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) में आवास कीमतें 19,111 रुपये प्रति वर्ग फुट से छह प्रतिशत बढ़कर 20,275 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गईं। पुणे में, आवासीय संपत्तियों की कीमतें अप्रैल-जून, 2024 में 13 प्रतिशत बढ़ीं। यह 9,656 रुपये प्रति वर्ग फुट रहीं।
एनसीआर का द्वारका एक्सप्रेसवे 79 प्रतिशत मूल्यवृद्धि के साथ चौथे स्थान पर है। यहां औसत कीमतें 2019 के 5,359 रुपये प्रति वर्ग फुट से बढ़कर 2024 की पहली छमाही में 9,600 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गईं।
बोमन रुस्तम ईरानी ने कहा कि हाउसिंग मार्केट में अभी भी मजबूत डिमांड बनी हुई है। इसलिए कंपनी ने चालू वित्त वर्ष में अपनी सेल्स बुकिंग में 32 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 3,000 करोड़ रुपये तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने इस उम्मीद जताते हुए कहा कि कंपनी इस आंकड़े को पार कर लेगी।
रेरा ने कहा कि ऐसी संभावना है कि कुछ घर खरीदार परियोजना के सभी विवरण देखे बिना ही निवेश कर सकते हैं और किसी न किसी तरह से धोखा खा सकते हैं। इन परियोजनाओं को प्रमोटरों ने रेरा के शुरुआती दिनों में रजिस्टर्ड कराया था।
नारेडको के राष्ट्रीय अध्यक्ष जी हरि बाबू ने कहा, "2024 की दूसरी तिमाही भारतीय रियल एस्टेट क्षेत्र की एक लचीली और आशावादी भारतीय तस्वीर पेश करती है। हालांकि इस भावना में थोड़ा समायोजन हुआ है, लेकिन कुल मिलाकर दृष्टिकोण सकारात्मक बना हुआ है।
भारत जैसे-जैसे दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है, शहर देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। अनुमान है कि 2050 तक, मौजूदा आठ मेगा-सिटी के अलावा, लगभग 100 भारतीय शहरों की आबादी दस लाख से अधिक होगी।
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