पिछले साल शीर्ष आठ शहरों में आवासीय इकाइयों की बिक्री 34 प्रतिशत बढ़कर 3,12,666 इकाई हो गई। यह पिछले नौ साल का उच्च स्तर है।
रियल एस्टेट डेवलपर्स अपनी बिक्री बढ़ाने के लिए साल की शुरुआत में अच्छी डील ऑफर करते हैं। इसमें कैश डिस्काउंट से लेकर कई दूसरी छूट शामिल होती है।
नई आपूर्ति की बात की जाए, तो सात प्रमुख शहरों मे आपूर्ति इस साल 51 प्रतिशत के उछाल के साथ 3,57,600 इकाई पर पहुंच गई।
रिपोर्ट कहती है कि मकान की मांग तेजी से बढ़ने से खाली घरों (अनसोल्ड इनवेंट्री) का स्तर ढाई साल पर आ गया है। महामारी से पहले यह चार साल था।
कंपनी ने अनुमान जताया कि वर्ष 2022 शीर्ष सात शहरों में बिक्री के 2014 के सर्वकालिक उच्च रिकॉर्ड को तोड़ देगा।
कोरोना महामारी के बाद घरों की मांग तेज बनी हुई है। ये कारण कीमत में इजाफा कराएंगे। ऐसे में अब बिना देरी किए घर या दुकान का सौदा करना सबसे सही फैसला होगा।
दिल्ली-एनसीआर में कीमतों में पांच प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह 4,700-4,900 रुपये हो गई।
प्रॉपर्टी अच्छी लोकेशन, सही हालात में होने के बावजूद नहीं बिक पाती है। इसकी वजह होती है कि मार्केट के अनुसार उस प्रॉपर्टी की कीमत तय नहीं होना।
एनसीआर में नोएडा और फरीदाबाद में मौजूदा तिमाही में कोई नई लॉन्चिंग नहीं हुई।
घर खरीदारों की ओर से उपस्थित अधिवक्ता एम एल लाहोटी ने यह मामला उठाया। उन्होंने कहा कि घर खरीदारों की शिकायतों की सुनवाई के लिए एक नई पीठ के गठन की जरूरत है।
फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए क्रेडाई-एनसीआर के अध्यक्ष मनोज गौड़ ने कहा कि न्यायालय के आदेश को वापस लेने से अस्पष्टता और बाद में ब्याज दरों के प्रमुख मुद्दे पर गतिरोध दूर हो गया।
घरों की कीमतें कम से कम दस फीसदी बढ़ गई हैं। लंबे समय से रियल एस्टेट सेक्टर सुस्ती की चपेट में था लेकिन कोविड के बाद इसने रफ्तार पकड़ी है।
घर की बिक्री पर बढ़े होम लोन का असर नहीं हुआ है। ऐसा इसलिए भी हुआ है कि होम लोन लंबे समय के लिए लेते हैं।
रियल स्टेट सेक्टर में सबसे बड़े और अग्रणी दो नाम हुआ करते थे। एक आम्रपाली ग्रुप और दूसरा जेपी ग्रुप।
त्योहारी सीजन अब पूरे जोरों पर है। इसके साथ ही रियल एस्टेट सेक्टर में तेजी देखने को मिल रही है। प्रॉपर्टी के दामों में बढ़ोतरी के बावजूद घरों की मांग पर असर नहीं हुआ है।
आंकड़ों के अनुसार, 2014 के कैलेंडर वर्ष में अपार्टमेंट की वार्षिक बिक्री 1,65,791 इकाई थी जबकि 2015 में बिक्री 1,57,794 इकाई रही थी।
रियल एस्टेट क्षेत्र में ऑफिस स्पेस की मांग में सार्थक सुधार हुआ है। कोरोना के समय वर्क फ्रॉम की वजह से ऑफिस स्पेस की मांग घटी थी।
दिल्ली-एनसीआर में खाली पड़े घरों की संख्या 1,00,770 और हैदराबाद में 99,090 इकाई थी। इन्हें बेचने में क्रमश: 27 महीने, 62 महीने और 41 महीने का समय लगेगा।
एचडीएफसी बैंक 50 लाख रुपये तक के टॉप-अप ऋणों के लिए कम ब्याज दर की पेशकश कर रहा है।
जानकारों का कहना है कि सस्ते और मध्यम खंड के घरों की बिक्री पर इसका असर अधिक दिखाई देगा। बैंक रेपो दर में इजाफे का धीरे-धीरे करके ग्राहकों पर डालेंगे।
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