रीयल एस्टेट सेक्टर का मानना है कि बीते 10 सालों में सरकार की नई नीतिगत सुधारों का मजबूत सपोर्ट मिला है। इस दौरान घरों की डिमांड और कीमतों में भी शानदार ग्रोथ देखने को मिली। इससे नौकरियों के मौके तेजी से बढ़े।
रियल एस्टेट सेक्टर में कुछ समय से जारी तेजी को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने इस तिमाही में भी बरकरार रखने की उम्मीद दी है। आरबीआई ने शुक्रवार को मौद्रिक नीति की समीक्षा के बाद इस वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में रेपो रेट नहीं बढ़ाने का ऐलान किया है। आरबीआई ने इस तिमाही भी रेपो रेट को 6.50 फीसदी पर स्थिर रखने का ऐलान कि
सलाहकार कंपनी ने कहा कि धारणा में नरमी मुख्य रूप से कमजोर वैश्विक आर्थिक परिदृश्य तथा रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से पैदा हुए भू-राजनीतिक तनाव की वजह से आई है।
आर्थिक सुस्ती और राजस्व प्राप्ति कम रहने की आशंकाओं के बीच वित्त मंत्रालय का कहना है कि कल्याणकारी योजनाओं के लिये आवंटित बजट में कमी नहीं होने दी जायेगी और उसने विभिन्न मंत्रालयों और विभागों से खर्च में तेजी लाने को कहा है।
राजस्थान का अलवर शहर भी ऐसा ही शहर है, जहां बीते कुछ सालों में इस शहर की कनेक्टिविटी को मजबूती देने के लिए कई परियोजनाएं प्रस्तावित की गई हैं।
एनारॉक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2013 या इससे भी पहले लॉन्च हुए इन प्रोजेक्ट्स पर कोई निर्माण कार्य नहीं हो रहा है।
रियल एस्टेट सेक्टर भी अब जल्द ही वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में आ सकता है।
नोटबंदी की वजह से मकानों की बिक्री बुरी तरह प्रभावित हुई और उनके दाम नीचे आए लेकिन रियल एस्टेट सेक्टर को इसका काफी फायदा भी हुआ है।
प्रमुख रीयल्टी कंपनी डीएलएफ (DLF) का शुद्ध रिण-जनवरी मार्च की तिमाही में लगभग 700 करोड़ रुपए बढ़कर 25096 करोड़ रुपए हो गया।
देश के रीयल्टी सेक्टर क्षेत्र का कुल वित्तपोषण 2011 के 3.8 अरब डॉलर से 40 प्रतिशत बढ़कर 2016 में 5.4 अरब डॉलर हो गया है। हालांकि बैंको की हिस्सेदारी घटी है।
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