भारत में खुदरा महंगाई अब भी चिंता का विषय बनी हुई है, तथा पश्चिम एशिया संकट के और बिगड़ने की संभावना है, जिसका असर कच्चे तेल और जिंस कीमतों पर हुआ है।
भारत में महंगाई दर अभी भी उच्चस्तर पर है। जून में खुदरा महंगाई दर चार महीनों के उच्च स्तर 5.08 प्रतिशत पर थी। जब तक खुदरा महंगाई दर नीचे नहीं आती है तब तक रेपो रेट में कटौती की कोई संभावना नहीं है।
अक्टूबर से वित्त वर्ष 2024-25 के अंत तक मुद्रास्फीति पांच प्रतिशत से नीचे रहने की उम्मीद है। सरकार ने रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य दिया है।
RBI MPC Today: ब्याज दरों की समीक्षा के लिए मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक 3 अप्रैल से शुरू हो रही है। इसके फैसलों का ऐलान 5 अप्रैल को होगा।
ओवरऑल मुद्रास्फीति 2023-24 की तीसरी और चौथी तिमाही में क्रमशः में 5.6 प्रतिशत और 5.2 प्रतिशत तथा 2024-25 की पहली तिमाही में 5.2 प्रतिशत अनुमानित है।
महंगाई का दबाव कम हुआ है, लेकिन खाद्य कीमत चिंता का कारण बनी हुई है। कृषि उत्पादन में गिरावट से मुद्रास्फीति के आंकड़ों में अतिरिक्त वृद्धि का जोखिम पैदा हो सकता है। मुद्रास्फीति पर सतर्क रहते हुए आरबीआई द्वारा आर्थिक वृद्धि को समर्थन जारी रखने की संभावना है।
इस साल नवंबर के लिए आरबीआई के 'अर्थव्यवस्था की स्थिति' मासिक बुलेटिन का हवाला देते हुए श्रीराम फाइनेंस के कार्यकारी उपाध्यक्ष उमेश रेवनकर ने कहा कि इससे कम दर व्यवस्था की वापसी की उम्मीद जगी है।
रूस-यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर रिजर्व बैंक ने मई, 2022 में नीतिगत दर बढ़ाना शुरू किया था और इस साल फरवरी में यह 6.5 प्रतिशत पर पहुंच गई थी। इसके बाद से लगातार पिछली तीन द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठकों में नीतिगत दर को स्थिर रखा गया।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित भारत की खुदरा मुद्रास्फीति जून में बढ़कर तीन महीने के उच्चतम स्तर 4.81 प्रतिशत पर पहुंच गई।
Growth Rate: नीतिगत कार्रवाई लगातार बदलते हालात पर निर्भर होगी। हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि महंगाई में गिरावट टिकाऊ रहे।
नारेडको नेशनल के वाइस चेयरमैन डॉ. निरंजन हीरानंदानी ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि रेपो रेट में बढ़ोतरी पर विराम देने के लिए भारतीय कंपनियां RBI के फैसले की सराहना करता है।
भारतीय रिजर्व बैंक इस समय चौतरफा मुश्किलों से घिरा है। एक ओर रुपया गिर रहा है वहीं महंगाई बढ़ रही है। आरबीआई हर मोर्चे पर फेल होता दिख रहा है। लेकिन शक्तिकांत दास ने इसका बचाव किया है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने एक बार फिर रेपो रेट में 0.50 फीसदी की बड़ी बढ़ोत्तरी की है। इसके बाद रेपो रेट 4.90 फीसदी पर पहुंच गई है।
भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समीक्षा को लेकर निवेशकों के सतर्क रुख अख्तियार करने से घरेलू शेयर बाजारों में बुधवार को लगातार चौथे कारोबारी सत्र में गिरावट देखने को मिल रही है।
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आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने पॉलिसी की घोषणा करते हुए बताया कि इस बार भी ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
वित्त मंत्री निर्मला निर्मला सीता रमण के आम बजट ने आम लोगों को बहुत निराश किया। अब बजट पेश होने के 5 दिन बाद एक बार फिर आम लोगों की उम्मीदें जागी हैं।
भारतीय रिजर्व बैकं (आरबीआई) ने गुरुवार को मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में नीतिगत ब्याद दरों (रेपो रेट) में कोई बदलाव नहीं किया है।
देशभर में प्याज की आसमान छूती कीमतों ने अब रिजर्व बैंक को भी परेशान करना शुरू कर दिया है।
RBI keeps repo rate unchanged at 5.15 per cent हालांकि रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया है।
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