दशहरे के दिन भारत में कई जगह रावण दहन किया जाता है। लेकिन क्या आप कुछ ऐसी जगहों के बारे में जानते हैं जहां पर रावण के मंदिर स्थित हैं? आइए ऐसे ही कुछ मंदिरों के बारे में जानते हैं।
रावण का सबसे बड़ा पुतला दिल्ली के द्वारका सेक्टर 10 में लगाया गया है। नवरात्रि के बाद दशहरे के त्योहार पर दिल्ली में ट्रैफिक एडवाइजरी भी जारी की गई है।
दशहरे के मौके पर हर जगह रावण का पुतला जलाया जाता है, लेकिन कानपुर के दशानन मंदिर में इसी दिन रावण का जन्मदिन मनाया जाता है। श्रद्धालु बड़ी संख्या में मंदिर पहुंचते हैं और मन्नत मांगते हैं।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में चार धाम मंदिर स्थित है। इस मंदिर में 'रावण का दरबार' है जहां विजयादशमी पर रावण की पूजा होती है। ये मंदिर 135 साल पहले बना था।
22 जनवरी को रावण की जन्मस्थली पर भी जश्न मनाया गया। जिस समय अयोध्या में भगवान राम विराजमान हुए ठीक उसी समय बिसरख के मंदिर में भी राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा कर विराजमान किया गया।
कई बार लड़कियों से यह सवाल पूछा जाता है कि उन्हें कैसा पति चाहिए। अलग-अलग लड़कियां इसका अलग-अलग जवाब देती हैं, लेकिन कभी किसी से सुना है कि उसे रावण जैसा पति चाहिए।
Dussehra 2022 : नवरात्रि के दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम ने लंकापति रावण पर जीत हासिल की थी। रावण के पुतले को जलाने की परंपरा कई सालों से चली आ रही है। आइए जानते हैं क्यों किया जाता है रावण का दहन।
विजयादशमी (Vijayadashami 2022) का त्यौहार देश में धूमधाम से मनाया जाता है। बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दशहरा हिंदू धर्म का खास पर्व है, जिसमें रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतलों का दहन होता है। लेकिन भारत में कुछ ऐसे शहर भी हैं जहां रावण की पूजा होती है।
देश में दशहरे की धूम मची है। एक तरफ दशहरे पर महिषासुर मर्दिनी देवी दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाएगा तो दूसरी तरफ असत्य पर सत्य की जीत के रूप में जगह जगह रावण दहन होगा।
'रामायण' में रावण का किरदार निभाने वाले अभिनेता अरविंद त्रिवेदी का मंगलवार की रात को निधन हो गया।
दिल्ली के सबसे बड़े पुतला बाजार में रावण ने इस बार दस्तक नहीं दी है। टैगोर गार्डन से सटे तितारपुर बाजार में पुतला कारोबारियों में मायूसी नजर आ रही है। हर साल इस बाजार में इस समय रावण, कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतले बनने शुरू हो जाया करते थे।
रावण को बेटा मानते हुए गांव के लोग यहां कभी रामलीला का मंचन नहीं करते, यहां दशहरे में कभी रावण दहन नहीं हुआ। लेकिन इस बार गांव में रावण की पूजा की पुरानी परंपरा के साथ ही श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण की खुशियां भी बनायी जा रही हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार दोपहर को जब अयोध्या में राम मंदिर की आधारशिला रखेंगे, तो राक्षसराज रावण का मंदिर भी 'जय श्री राम' के जयकारों से गूंज उठेगा।
महंत ने बताया कि लोकोक्तियों के मुताबिक बिसरख रावण का जन्म स्थान है, लिहाजा हम इसे रावण जन्म भूमि भी कहते हैं। उन्होंने रावण को परम ज्ञानी व्यक्ति बताते हुए कहा कि सीता का हरण करने के बाद रावण ने उन्हें अपने महल में ले जाने के बजाय अशोक वाटिका में रखा।
मंदसौर जिले को रावण का ससुराल माना जाता है, यानी उसकी पत्नी मंदोदरी का मायका। पूर्व में इस जिले को दशपुर के नाम से पहचाना जाता था। यहां के खानपुरा क्षेत्र में रुण्डी नामक स्थान पर रावण की प्रतिमा स्थापित है, जिसके 10 सिर हैं।
विजयादशमी के सबसे बड़े दिन के लिए रावण के पुतले जोर-शोर से तैयार किये जा रहे हैं, जिन्हें राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के कोने-कोने में भेजा जायेगा, लेकिन प्रशासनिक अव्यवस्था और मंदी की मार के चलते इस बार के दशहरे में इन पुतलों को बनाने वालों के लिए त्योहार का रंग कुछ फीका सा है।
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देशभर में शुक्रवार को दशहरे के अवसर पर रावण के पुतलों का जगह-जगह दहन किया गया लेकिन इस प्रचलित धार्मिक परम्परा के उलट दशानन के भक्तों ने उसकी विशेष पूजा-अर्चना की।
स्वामी ने कहा कि रावण ने मानसरोवर में तपस्या की थी, जिसके बाद भगवान शिव ने उन्हें एक वरदान दिया। इसके फलस्वरूप रावण लंका गया और अपने चचेरे भाई कुबेर को हराकर 'लंका नरेश' बन गया।
दरअसल पुतले बनाने के लिए शिल्पकारों को अभी तक स्थान आवंटित नहीं किए गए हैं।
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