उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में चार धाम मंदिर स्थित है। इस मंदिर में 'रावण का दरबार' है जहां विजयादशमी पर रावण की पूजा होती है। ये मंदिर 135 साल पहले बना था।
दशहरा के पावन अवसर पर कंगना रनौत ने 50 साल पुरानी प्रथा को बदला। उन्होंने रामलीला मैदान में रावण दहन किया। इस मौके पर एक्ट्रेस जोश से भरी हुई नजर आईं, लेकिन एक्ट्रेस के रामलीला मैदान पहुंचने से पहले ही रावण गिर गया। ऐसे में एक्ट्रेस ने कैसे रावण दहन किया ये देखने वाली बात है।
इस बार हरियाणा के पंचकूला में देश का सबसे बड़ा रावण का पुतला बनाया गया है। यह 171 फीट का है। इस रावण को 25 कारीगर तीन महीने से बनाने में लगे हुए थे।
रायपुर पुलिस ने साइबर फ्रॉड से लोगों को बचाने और उनको जागरूक करने के लिए जागरूकता अभियान चलाया है। इसके तहत रायपुर पुलिस ने साइबर रावण तैयार किया है। इस रावण का कहना है कि लोगों की अज्ञानता है उसकी ताकत है।
Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में बुधवार को दशहरा के जश्न के दौरान रावण के पुतले का सिर नहीं जल पाने के कारण नगर पालिक निगम के लिपिक को निलंबित कर दिया गया है और चार अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
Dussehra 2022 : नवरात्रि के दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम ने लंकापति रावण पर जीत हासिल की थी। रावण के पुतले को जलाने की परंपरा कई सालों से चली आ रही है। आइए जानते हैं क्यों किया जाता है रावण का दहन।
विजयादशमी (Vijayadashami 2022) का त्यौहार देश में धूमधाम से मनाया जाता है। बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दशहरा हिंदू धर्म का खास पर्व है, जिसमें रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतलों का दहन होता है। लेकिन भारत में कुछ ऐसे शहर भी हैं जहां रावण की पूजा होती है।
Vijayadashami 2022 : हर साल अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की तिथि दशहरा मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम ने लंका पर जीत हासिल की थी। दशहरा को विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है। ये पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है।
उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद में स्थित गोवर्धन के एक संत ने चेतावनी दी है कि यदि रावण का पुतला जलाया जाता है तो वह इसके खिलाफ भविष्य में रोक लगवाने के लिए राष्ट्रीय हरित अधिकरण में चले जाएंगे।
पंजाब मंत्रिमंडल के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू और उनकी पत्नी नवजोत कौर के करीबी सौरभ मदान मिट्ठू ने सोमवार को एक अज्ञात स्थान से वीडियो जारी किया जिसमें उसने दावा किया कि उसकी, उसकी पार्षद मां और अन्य आयोजकों की इस दुर्घटना में कोई गलती नहीं है।
जब धड़धड़ाती हुई ट्रेन आई तो दलबीर सिंह ने पांच छह लोगों को बचाने की कोशिश की तभी उनका पैर ट्रैक पर फंस गया और वो वहीं पर गिर गये।
ड्राइवर ने स्पीड कम की थी, अगर इमरजेंसी ब्रेक लगाता तो बड़ा हादसा हो सकता था। दुर्घटनास्थल पर अंधेरा था, ट्रैक थोड़ा मुड़ाव में था इसलिए ड्राइवर को ट्रैक पर बैठे लोग नजर नहीं आए।
अमृतसर के रहने वाले नारा भी उसी रेलवे ट्रेक के पास खड़े थे जब ट्रेन इनके सामने ही और लोगों के साथ इनके दो भाइयों को कुचलती हुई निकल गई।
पत्नी नवजोत कौर का बचाव करते हुए सिद्धू ने कहा, 'जब दुर्घटना होती है तो किसी को बताकर नहीं होती। लोग जो बात कर रहे हैं वह राजनीतिक बातें कर रहे हैं। राजनीतिक रोटियां नहीं सेंकनी चाहिए।'
अमृतसर प्रशासन पर इस हादसे की जिम्मेदारी डालते हुए आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि स्थानीय अधिकारियों को दशहरा कार्यक्रम की जानकारी थी और इसमें एक वरिष्ठ मंत्री की पत्नी ने भी शिरकत की।
ये हादसा तब हुआ जब जोड़ा फाटक इलाके में रेलवे ट्रैक के नजदीक रावण का पुतला जलाया जा रहा था। जैसे ही पुतले में पटाखे का विस्फोट होना शुरू हुआ और आग की लपटें तेज हुईं, लोग पीछे खिसकते हुए रेल की पटरी पर चले गए।
दशहरा समारोह 2018: देखें, पटना के गांधी मैदान में रावण दहन
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