उच्चतम न्यायालय के दो अहम फैसलों के चलते प्रधानमंत्री पद पर बने रहना अवैधानिक हो जाने के बाद श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिन्दा राजपक्षे आज अपने पद से इस्तीफा दे दिया जो देश में करीब दो महीने से जारी सत्ता संघर्ष के समापन का संकेत है। अब खबरें हैं कि रविवार को विक्रमसिंघे प्रधानमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं।
आपको बता दें कि श्रीलंका में 26 अक्टूबर के बाद से ही राजनीतिक संकट बना हुआ है।
श्रीलंका में जारी राजनीतिक उठापठक के बीच देश की एक अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है।
सदन में जब स्पीकर कारू जयसूर्या ने नए चुनाव को लेकर संसद में मतदान के प्रस्ताव को स्वीकार कर उस पर चर्चा कराना चाहा तो राजपक्षे समर्थक हंगामा करने लगे और उन पर कागज, किताबें जैसी चीजें फेंकने लगे।
सिरीसेना ने संसद भंग कर दी थी और पांच जनवरी को मध्यावधि चुनाव करने के आदेश जारी किए थे। इससे देश अभूतपूर्व संकट में फंस गया।
श्रीलंका में शासन की अर्ध-राष्ट्रपति प्रणाली है जिसमें प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल के साथ एक राष्ट्रपति भी होता है। प्रधानमंत्री देश की विधायिका के प्रति जिम्मेदार होता है। वहां राष्ट्रपति भारत की तरह प्रतिकात्मक नहीं है लेकिन अमेरिका की तरह शक्तिशाली भी नहीं है।
राष्ट्रपति ने विक्रमसिंघे की निजी सुरक्षा और वाहनों को उनसे वापस ले कर 72 वर्षीय राजपक्षे को सौंप दिया, जिन्होंने नाटकीय ढंग राजनीति में एक बार फिर वापसी की है।
यह हादसा उस वक्त हुआ जब क्रिकेटर से राजनेता बने रणतुंगा ने सीपीसी का दौरा किया। इस दौरान कुछ कर्मचारियों ने ऑफिस में उनकी उपस्थिति का विरोध किया।
श्रीलंका की सरकार ने अप्रैल में चीन की कंपनी के साथ जो बड़ा करार किया था उसे रद्द करके अब भारतीय कंपनी को सौंपा है
श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने हंबनटोटा बंदरगाह का किसी भी अन्य देश द्वारा सैन्य अड्डे के तौर पर इस्तेमाल की संभावना को शुक्रवार को खारिज कर दिया। इस तरह उन्होंने श्रीलंका में बढ़ती चीनी नौसना की मौजूदगी पर भारत की चिंताएं दूर की हैं।
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