भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने बुधवार को कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहा किसानों का आंदोलन अभी समाप्त नहीं होगा और आगे की रूपरेखा 27 नवंबर को तय की जाएगी।
लखनऊ के बंगला बाजार के इको गार्डन पर किसान महापंचायत का आयोजन किया गया है। इस महापंचायत का एजेडा MSP गारंटी कानून, केंद्रीय गृह राज्यमंत्री की बर्खास्तगी और किसानों की समस्याओं के साथ महंगाई के मुद्दे भी होंगे।
इस महापंचायत का एजेडा MSP गारंटी कानून, केंद्रीय गृह राज्यमंत्री की बर्खास्तगी और किसानों की समस्याओं के साथ महंगाई के मुद्दे भी होंगे। उत्तर प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से रात भर ट्रेन और बसों के जरिए किसान लखनऊ पहुंचते रहे।
राकेश टिकैत ने कहा कि वो कल लखनऊ में होने वाली महापंचायत के लिए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने हमारा सिर्फ एक मुद्दा माना है।
राकेश टिकैत ने कहा, "अगर इतनी बात थी तो ये कानून तो बहुत पहले वापसी हो जाने चाहिए थे। अब चलो जो भी हुआ है, कानून वापसी हो गए हैं, MSP पर गारंटी कानून और बना दे तथा जो दूसरे मसले हैं उनपर बातचीत कर लें।"
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल तीनों किसान कानून वापस लेने की बात कही। लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या किसान अब अपने घर वापस जाएंगे। इसी मुद्दे पर किसान नेता राकेश टिकैत ने इंडिया टीवी से खास बातचीत की। देखिए मुक़ाबला का यह एपिसोड अजय कुमार के साथ।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने ट्वीट कर कहा है कि- 'आंदोलन को यह मुकाम 700 किसानों की शहीदी देकर मिला है। किसान न इस बात को भूलेगा और न ही हुकूमत को भूलने देगा।'
केंद्र सरकार द्वारा विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा किए जाने पर कंडेला खाप के प्रधान ओमप्रकाश कंडेला व प्रवक्ता जगत सिंह रेढू ने कहा कि किसान-मजदूर की जीत हुई है और अंहकारी प्रधानमंत्री को किसानों के सामने झुकना पड़ा व मुंह की खानी पड़ी है। उन्होंने कहा कि शहीद किसानों की शहादत ने हरियाणा सरकार व (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीत केन्द्र की) मोदी सरकार को झुकाया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने सभी किसानों से आंदोलन समाप्त कर अपने अपने घरों को लौटने की अपील भी की है। लेकिन इसके बावजूद राकेश टिकैत ने कहा है कि उनका आंदोलन अभी समाप्त नहीं हो रहा है
उत्तर भारत के कुछ हिस्सों, विशेष रूप से दिल्ली एनसीआर में वायु की गुणवत्ता उस स्तर तक गिरती है, जो सर्दी के मौसम में मानव स्वास्थ्य को प्रभावित करती है।
संयुक्त किसान मोर्चा की मंगलवार को सिंघु बॉर्डर के पास एक बैठक हुई है और किसान आंदोलन को आगे ले जाने को लेकर रणनीति तैयार की गई है। इसी बैठक में फैसला किया गया है कि 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान रोजाना 500 किसान ट्रैक्टर लेकर संसद भवन की तरफ मार्च करेंगे।
बता दें कि बीकेयू, दिल्ली की तीन सीमाओं- सिंघु, टिकरी और गाजीपुर पर 26 नवंबर 2020 से किसानों के प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा का हिस्सा है।
दिल्ली के सिंघु, गाजीपुर और टीकरी बॉर्डर पर किसान लंबे समय से धरना दिए हुए बैठे हैं, आंदोलन पिछले साल शुरू हुआ था और लगभग एक साल पूरा होने को है।
राकेश टिकैत ने कल कहा था कि अगर सरकार ने दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को जबरन हटाने की कोशिश हुई तो वे देश भर में सरकारी दफ्तरों को गल्ला मंडी बना देंगे।
किसानों ने साफ कर दिया कि वो फिलहाल दिल्ली के बॉर्डर को खाली करने के मूड में नहीं हैं। दिल्ली पुलिस भले ही रोड से अपने बोल्डर और बैरिकेडिंग हटा दे लेकिन किसान अपने तंबू नहीं हटाएंगे।
इंडिया टीवी के साथ बातचीत में ओवैसी ने कहा कि मुझे भी तकलीफ है कि भारत हार गया, हमें पाकिस्तान से मैच नहीं खेलना चाहिए था। जश्न मनाने वालों को सुधारने की जरूरत है।
दिल्ली पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना ने कहा कि गाड़ियों के आवामन के लिए हमने अभी गाजीपुर और टिकरी बॉर्डर से बैरिकेड्स हटाए हैं।
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि जैसे ही दिल्ली पुलिस रास्तों पर रखे बैरिकेड हटा देगी तो वैसे ही किसान धान की फसल से भरे ट्रैक्टर लेकर संसद भवन पहुंचेंगे और वहीं जाकर अपना धान बेचेंगे। इंडिया टीवी से बात करते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि दिल्ली की संसद अब किसानों की मंडी है और वे वहीं पर जाकर अपना धान बेचेंगे।
राकेश टिकैत का कहना है कि किसानों ने नहीं बल्कि दिल्ली पुलिस ने रास्ते को रोक रखा है। दिल्ली पुलिस बैरिकेड हटा रही है तो किसान भी दिल्ली के लिए कूच करेंगे।
इसके अलावा केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को उनके पद से हटाने की मांग के साथ सरकार को एक ज्ञापन सौंपा जाएगा उन्होंने कहा कि विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन से जुड़े सभी किसान समूह अखिल भारतीय प्रदर्शन का समर्थन करेंगे।
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