राजपूत करणी सेना की बैठक में फायरिंग का मामला सामने आया है। उदयपुर में हो रही करणी सेना के बैठक में अध्यक्ष भंवर सिंह पर फायरिंग की गई है। गोली भंवर सिंह की रीढ़ की हड्डी में लगी है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि किसी भी बिरादरी के लोग जो गरीबी रेखा के नीचे जीवन गुजारा करते हैं उन्हें आरक्षण मिलना चाहिए।
मौलिक जाधव ने हाल में फेसबुक पर घोषणा की थी कि उन्होंने अपने नाम में ‘ सिंह ’ जोड़ लिया है और अब उसे मौलिक सिंह जाधव नाम से जाना जाएगा।
करणी सेना के प्रमुख लोकेंद्र सिंह कालवी ने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण है कि लोगों की भावनाओं को आहत करते हुए पदमावत फिल्म का प्रदर्शन किया गया।
दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से फिल्म ‘पद्मावती’ के प्रदर्शन पर रोक लगाने की मांग की है।
दीपिका के इसी बयान पर करणी सेना भड़क गई है। उसका कहना है कि जनवरी में जब फिल्म के डायरेक्टर संजय लीला भंसाली के साथ करार हो गया था तो फिर इस तरह की बात क्यों सामने आ रही है। तेज होते विरोध और हिंसा को देखते हुए राज्य सरकारें भी अलर्ट होती जा रही हैं।
छत्तीसगढ़ के पूर्व राजपरिवार के एक सदस्य ने कहा है कि संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावती' में जिस तरह से राजपूतों की रानी को 'घूमर' नृत्य करते हुए दिखाया गया है उसकी वह निंदा करते हैं।
संजय लीला भंसाली के निर्देशन में बनी और रणवीर सिंह, दीपिका पादुकोण और शाहिद कपूर के अभिनय से सजीं फिल्म 'पद्मावती' के विरोध में राजपूत करणी सेना ने...
संजय लीला भंसाली के निर्देशन में बनी और रणवीर सिंह, दीपिका पादुकोण और शाहिद कपूर के अभिनय से सजीं फिल्म पद्मावती पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है
संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती 1 दिसंबर को रिलीज होनी है। इस फिल्म में दीपिका के अलावा अभिनेता रणवीर सिंह और अभिनेता शाहिद कपूर लीड रोल में हैं।
सुल्तान खिलजी ने क़रीब 20 साल तक दिल्ली की गद्दी पर राज किया। इतिहास भले ही अलाउद्दीन खिलजी को जैसे भी याद करे लेकिन लोककथाओं की रूमानियत में वो सिर्फ एक खलनायक है। उसके दिलो-दिमाग़ में चितौड़गढ़ की रानी पद्मावती को अपनी हरम की चांदनी बनाने का फितूर
फिल्म निर्देशक संजय लीला भंसाली की फिल्म रानी पद्मावती 1 दिसंबर को रिलीज होनी है लेकिन फिल्म के मुख्य किरदार को लेकर जिस कहानी को परदे पर दिखाया जाना है उस पर...
आनंदपाल के गांव के दबंग उसको राजपूत नहीं मानते थे, क्योंकि वो दारोगा यानी रावणा राजपूत था। इस जाति के लोगों को आज भी निचले तबके का माना जाता है। यही कारण था कि जब आनंदपाल की बरात घोड़ी पर निकलने के लिए तैयार हुई तो काफी बवाल हुआ।
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