इस तरह के वीडियो को प्रसारित करने का मकसद ये दिखाना है कि जैसे किसान आंदोलन करने नहीं बल्कि पिकनिक मनाने के लिए दिल्ली के बॉर्डर पर आए हैं।
किसानों को भड़काने के लिए जवानों के बारे में झूठ फैलाया जाए, इससे घटिया बात और क्या हो सकती है। इसकी जितनी निंदा की जाए, वह कम है।
जब मोदी सरकार ने इन्हीं सब वादों को शामिल करते हुए कानून बनाए तो राहुल गांधी ने पलटी मार ली और इन विधेयकों का विरोध करने का फैसला किया।
किसान संगठनों को तीनों कृषि कानूनों पर चर्चा के लिए कृषि मंत्री की ओर से दिए गए प्रस्ताव को स्वीकार करना चाहिए, ताकि समाधान का रास्ता निकल सके।
जब संसद ने नए कृषि कानूनों को मंजूरी दी, तो इन वामपंथी नेताओं ने भोले-भाले किसानों को भड़काया और आंदोलन पर अपना कब्जा कर लिया।
किसान नेताओं को समझना होगा कि जब तक इस तरह के राष्ट्रविरोधी तत्व अपने स्वार्थ के चलते किसानों के बीच मौजूद हैं, तब तक कोई रास्ता नहीं निकलेगा।
मुझे हैरत इस बात पर नहीं हुई कि राहुल गांधी ने अंबानी-अडानी को किसानों का दुश्मन और मोदी का दोस्त बताया। आश्चर्य इस बात पर हुआ कि कुछ किसान संगठनों के नेता यही भाषा बोलते हुए सुनाई दिए।
कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार और किसानों के बीच जारी गतिरोध को खत्म करने की कोशिश मंगलवार रात विफल रही, इसके कारण आज होने वाली छठे दौर की बातचीत भी अधर में लटक गई। दिल्ली की सीमा पर किसानों का यह आंदोलन आज अपने 14 वें दिन में प्रवेश कर गया है।
इन नेताओं के पिछले बयानों को अगर आप देखें, तो आप यही कहेंगे कि सिर्फ राजनीति चमकाने के चक्कर में ये नेता किसानों को बहका और भड़का रहे हैं।
ये नतीजे संकेत हैं कि तेलंगाना की राजनीति बदल सकती है। बीजेपी ने तेलंगाना में अपना जनाधार मजबूत किया है और अब उसकी नजरें अगले विधानसभा चुनावों पर टिकी हैं।
नासिक के नांदुर शिंगोटे गांव में रहने वाले विनायक हेमाडे नाम के किसान ने हरा धनिया बेचकर साढ़े 12 लाख रुपये कमाए।
सरकार ने किसान नेताओं से नए कानूनों को लेकर उनकी आपत्तियों को बिंदुवार तरीके से सामने लाने को कहा है ताकि गुरुवार को होने वाली दूसरे दौर की बैठक में सरकार द्वारा एक-एक क्लॉज पर विचार किया जा सके।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में किसानों की गलतफहमियों को दूर करने की पूरी कोशिश की। अब इससे ज्यादा साफ बात और क्या हो सकती है? इसके बाद भी अगर किसानों के मन में कोई सवाल है तो सरकार बात करने को तैयार है।
शाहीन बाग का धरना हो, जाफराबाद का प्रोटेस्ट हो, अलीगढ़ के छात्रों का विरोध हो, या भारत के कुछ अन्य शहरों में हो रहे प्रदर्शन हों, सभी एक ही तरह की कहानी कहते हैं।
इस बात में कोई शक नहीं कि मोदी की लीडरशिप ने लाखों जिंदगियों को कोरोना वायरस के प्रकोप से बचाया है।
आप सभी से मेरा अनुरोध है कि कृपया शादियों की भीड़भाड़ से दूर रहें। आप अनजाने में इस वायरस से खुद भी ग्रस्त हो सकते हैं और अन्य लोगों में भी इसे फैला सकते हैं।
नरेन्द्र मोदी की लीडरशिप ने अब सबकुछ बदल दिया है। हमारी खुफिया जानकारी अधिक सटीक है, सुरक्षा बल अधिक सतर्क हैं
आतंकवादियों ने एक बड़ी वारदात को अंजाम देने की योजना बनाई थी। हथियार और गोला-बारूद की बड़ी खेप लेकर पूरी तैयारी के साथ आए थे, लेकिन हमारे बहादुर जवानों ने सुबह होने से पहले ही उन्हें ढेर कर दिया।
कोरोना के खतरे का सबसे भयानक और डरावना असर दिख रहा है दिल्ली के कब्रिस्तानों और श्मशानों में। श्मशान घाटों से फिर वही तस्वीरें आ रही हैं जो मई-जून में आती थीं।
देश में कोरोना जिस रफ्तार से काबू में आ रहा है, दिल्ली में उसी रफ्तार से बढ़ रहा है। असल में कोरोना के खतरे को सब देख रहे हैं, लेकिन इसकी परवाह नहीं कर रहे हैं।
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