अब चूंकि वायरस ने सिंगापुर में फिर से अपना सिर उठा लिया है, इसलिए स्कूल, जिम, शॉपिंग मॉल और रेस्तरां बंद कर दिए गए हैं।
सरकार की तरफ से वैक्सीन को लेकर जो भरोसा दिलाया गया है उससे साफ है कि सरकार के पास वैक्सीन को लेकर नीति भी है और सबको टीका लगे इसकी नीयत भी है।
देश के बड़े शहरों में तो हालात सुधर रहे हैं लेकिन अब असली चिंता गांवों की है, क्योंकि गांव में कोरोना तेजी से फैल रहा है। ऐसे 13 राज्य हैं जहां शहरों की तुलना में ग्रामीण इलाकों में कोरोना के मामलों की संख्या ज्यादा है।
एक ओर महाराष्ट्र में जहां इस महामारी के चलते एक मई तक 16 दिन का कर्फ्यू लागू किया गया है वहीं यूपी की राजधानी लखनऊ में व्यापारियों ने अगले 3 दिनों तक सभी बाजार बंद रखने का फैसला किया है।
याद रखें, अगर हम अपने घरों में बन्द रहें तो हम तेजी से फैलने वाले इस वायरस की चेन को तोड़ सकते हैं।
महामारी से प्रभावित राज्यों के अधिकांश अस्पताल कोविड-19 के मरीजों से लगभग भर गए हैं और वहां नए मरीजों के लिए मुश्किल से जगह बची है।
दिल्ली के एम्स, सर गंगाराम हॉस्पिटल और केजीएमयू हॉस्पिटल जैसे बड़े-बड़े अस्पतालों के 100 से ज्यादा डॉक्टर्स पॉजिटिव पाए गए हैं।
मुंबई समेत महाराष्ट्र के कई शहरों में नाइट कर्फ्यू, वीकेंड लॉकडाउन और बिजनेस पर पाबंदियों के कारण हजारों प्रवासी मजदूरों ने बसों और ट्रेनों से अपने घरों के लिए लौटना शुरू कर दिया है।
चार पन्नों की चिट्ठी में सचिन वाजे़ ने तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख, उपमुख्यमंत्री अजीत पवार और अनिल परब पर आरोप लगाया है कि इन लोगों ने उसे जबरन पैसे वसूलने को कहा।
यह पहले से ज्यादा खतरनाक है और इसके फैलने की रफ्तार भी पहले से कहीं ज्यादा तेज है। इस महामारी की पहली लहर के दौरान जिस रफ्तार से मामले बढ़े थे उसकी तुलना में मौजूदा रफ्तार करीब तीन गुना ज्यादा है।
गांववालों ने इंडिया टीवी के संवाददाता अमित पालित को बताया कि कैसे तृणमूल के नेता उनके घरों पर आए और मिथुन के रोड शो में शामिल होने पर धमकाया।
इस बात में तो कोई शक नहीं है कि बीजेपी ने बंगाल में बड़े-बड़े नेताओं की कारपेट बॉम्बिंग करके हवा तो बना दी है। इसका असर ग्राउंड पर दिखता भी है।
ममता ने अपने समर्थकों से कहा, 'ये बीजेपी के लोग बाहरी हैं और चुनाव के बाद चले जाएंगे। सेंट्रल फोर्सेज भी चली जाएंगी। बंगाल में तो हम ही रहेंगे। बंगाल की पुलिस ही रहेगी। इसलिए चिंता मत करो।'
यदि लोग धर्म और आस्था के नाम पर कोविड नियमों की धज्जियां उड़ाएंगे, पुलिस पर हमला करेंगे, तो फिर कोई भी प्रशासन क्या कर सकता है?
इंडिया टीवी के रिपोर्टर्स ने अहमदाबाद, सूरत, भोपाल, चंडीगढ़ और अन्य शहरों में इस महामारी के फैलने के पीछे की वजहों का पता लगाने की कोशिश की।
देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र पुलिस की इटेलिजेंस यूनिट की हेड रश्मि शुक्ला ने सबूतों के साथ इसकी रिपोर्ट 6 महीने पहले ही मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को दी थी, लेकिन कोई ऐक्शन नहीं लिया गया।
अगर ये इल्जाम सच साबित हुआ तो इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि लेटर किसने लिखा, कब लिखा और क्यों लिखा।
युद्धस्तर पर टीकाकरण ही इस महामारी की दूसरी लहर को रोक सकता है। टीकाकरण जितना तेज होगा, कोरोना की स्पीड उतनी कम होगी।
ये मामला सिर्फ मुंबई पुलिस की छवि पर दाग का नहीं है बल्कि ये महाराष्ट्र सरकार चलाने वाले लोगों पर सवाल उठाता है। सचिन वाज़े के राजनीतिक आका कौन हैं, जिनके संरक्षण में वह इन नापाक गतिविधियों को अंजाम दे रहा था?
अब जबकि योगी आदित्यनाथ की सरकार ने इस महत्वपूर्ण काम को अंजाम देना शुरू किया है तो सभी राजनीतिक दलों की ये जिम्मेदारी है कि वे इस अभियान को अपना समर्थन दें।
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