कोवैक्सीन में काफ सीरम को लेकर जब अफवाहें फैलने लगीं, लोग सोशल मीडिया पर तरह-तरह के सवाल पूछने लगे तो हेल्थ मिनिस्ट्री ने एक बयान जारी किया।
बुजुर्ग के बेटे तैयब ने हमारे रिपोर्टर से बुलंदशहर में स्थित अपने घर में घटना के बारे में बात की, लेकिन उन्होंने कहीं यह जिक्र नहीं किया कि उनके पिता को 'जय श्री राम' बोलने के लिए मजबूर किया गया था।
आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने इस सौदे की CBI और ED से जांच कराने की मांग की, जबकि समाजवादी पार्टी के विधायक पवन पांडेय ने इसे एक बड़ा घोटाला बताया।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी के अन्य शीर्ष नेताओं से मुलाकात की।
अपने जाल में फंसाने के लिए इन कंपनियों ने लोगों को अपने ऐप पर एक घंटा बिताने की एवज में पहले 6 से 10 रुपये दे दिए।
अंगदान के लिए जो कानून बने हैं, वे पुराने वक्त के हिसाब से बने हैं और अब उनमें बदलाव की जरूरत है।
यदि इंदौर के डॉक्टरों ने वक्त रहते इन नकली रेमडेसिविर इंजेक्शनों को नहीं पहचाना होता, तो और भी कई लोगों की जानें जा सकती थीं।
साफ है कि मुख्यमंत्रियों और विपक्षी दलों के नेताओं ने पहले तो टीकाकरण अभियान के विकेंद्रीकरण की मांग की लेकिन बाद में अपनी बात से पलट गए।
मैं इस बड़ी कामयाबी के लिए जम्मू-कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा की तारीफ करना चाहूंगा।
एक ऐसे समय में जब पूरे देश में चल रहे टीकाकरण अभियान को गति देने के लिए कोरोना वैक्सीन की लाखों डोज की जरूरत है, मैं राजस्थान में बड़े पैमाने पर हो रही टीके की बर्बादी को देखकर हैरान हूं।
अगर आपको ऐसे किसी बच्चे के बारे मे पता चले जिसके माता-पिता की कोरोना की वजह से मौत हो गई है या उसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है, तो आप जल्द से जल्द 1098 पर सूचित करें या पुलिस को बताएं।
ब्राजील के एक शहर सेरेना में सारे एडल्टस को वैक्सीन लगा दी गई है, जिसके बाद यहां कोरोना से मरने वालों की संख्या में 95 प्रतिशत की गिरावट आई है।
टीकाकरण अभियान चलाने को लेकर शोर-शराबा करना तो आसान है, लेकिन इसे लागू करना एक बहुत बड़ा काम है, खासकर ग्रामीण इलाकों में।
इंटरव्यू में IT और संचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने दो-टूक शब्दों में कहा कि ट्विचर इधर उधर की बात न करे, भारतीय कानून का पालन करे।
समस्तीपुर के हॉस्पिटल में डॉक्टर तो मौजूद हैं, लेकिन वहां हालात ऐसे हैं जैसे लगता है कि मरीजों की मौत का इंतजाम कर दिया गया है।
जब मैंने पहली बार नदी में तैरती और नदी के किनारे रेत में दबी लाशों की तस्वीरें देखीं तो मेरे मन में पहला सवाल आया था: लोग इतने क्रूर और असंवेदनशील कैसे हो सकते हैं?
मंगलवार की रात हमने 'आज की बात' में दिखाया था कि कैसे मधुबनी जिले में एक ब्लॉक स्तरीय अस्पताल खंडहर में बदल चुका है, लेकिन वहां 'पदस्थ' डॉक्टर, नर्स और अन्य कर्मचारी अपनी तनख्वाह ले रहे हैं।
ब्लैक फंगस कोरोना वायरस की तरह संक्रामक नहीं है। यह बीमारी लाखों में से किसी एक को होती है। इस बीमारी से डरने की जरूरत नहीं है, लेकिन लक्षण सामने आने पर सावधान रहने की जरूरत है।
केंद्र सरकार ने कहा है कि ब्लैक फंगस और व्हाइट फंगस से पीड़ित सभी मरीजों के इलाज के लिए मल्ट-डिसिप्लिनरी अप्रोच की जरूरत है।
कुल मिलाकर कहें तो ब्लैक फंगस से डरने की नहीं बल्कि लड़ने की जरूरत है। हर शख्स को इससे सावधान रहने की जरूरत है।
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