तालिबान की 33 सदस्यीय अंतरिम सरकार में 12 लोग ऐसे हैं जिन्हें ग्वांतानामो बे स्थित अमेरिकी जेल में कैद करके रखा गया था।
अफगानिस्तान और तालिबान को जानने वाले लोग बताते हैं कि जो भी सरकार बनेगी वह ज्यादा दिन तक चल नहीं पाएगी।
राज्य सरकारों ने बच्चों की जिम्मेदारी स्कूलों पर डाल दी है, और स्कूलों के मैनेजमेंट ने ये जिम्मेदारी अभिभावकों पर डाल दी है।
अमेरिका को अफगानिस्तान से एक न एक दिन जाना था, लेकिन वे इस तरह से जाएंगे, इतने बेगैरत होकर जाएंगे, ये किसी ने नहीं सोचा था।
अफगानों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि अमेरिका उन्हें 20 साल तक इस्तेमाल करने के बाद यूं बेसहारा और बेबस छोड़कर भाग जाएगा।
काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद ने खुद मुल्ला बरादर से मुलाकात की थी।
नारायण राणे और उद्धव ठाकरे के परिवारों के बीच इस तरह की कड़वाहट कोई नई नहीं है।
ये वक्त उन लोगों की मदद करने का, उन्हें पनाह देने का है जो तालिबान के जुल्म से खुद को बचाने के लिए अफगानिस्तान से निकल आए हैं।
अब तक दुनिया ये मान रही थी कि चप्पल पहनकर आए तालिबान के 70 हजार लड़ाकों के सामने अफगानिस्तान की 3 लाख की फौज ने घुटने टेक दिए।
अफगान सेना के जिन हथियारों के जखीरे तालिबान के हाथ लग सकते हैं उनमें M16A4 असॉल्ट राइफल और M240 मीडियम मशीनगन शामिल हैं।
सबसे आश्चर्य की बात तो ये रही कि पिछले दो दशकों के दौरान अमेरिका ने जिस सेना को ट्रेनिंग दी, उन्हें हाथियार और अन्य उपकरण उपलब्ध कराए, उसने इतनी जल्दी सरेंडर कर दिया।
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि आरएसएस के बाहरी लोगों को बड़ी संख्या में मार्शल के रूप में विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए तैनात किया गया था।
ब्रॉन्ज मेडल जीतने पर खुशी जाहिर करने, अपने खिलाड़ियों को शाबासी देने की बजाए क्या हम उनसे यह पूछें कि उन्होंने गोल्ड मेडल क्यों नहीं जीता?
भारत की नीति शुरू से ही साफ रही है कि वह किसी भी हालत में अपनी सेना अफगानिस्तान में नहीं भेजेगा।
ब्रेकफास्ट मीटिंग में राहुल ने दावा किया कि लगभग 60 प्रतिशत भारतीय वोटर विपक्षी दलों के साथ हैं और इन दलों के नेताओं को लोगों की आवाज उठानी चाहिए।
इसमें कोई शक नहीं कि 3 बार वर्ल्ड चैंपियनशिप जीतने वाली ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हमारी महिला हॉकी टीम सोमवार को चैंपियन की तरह खेली।
ममता बनर्जी भले ही दावा कर रही हों कि अगले चुनावों का नारा सेट है, मुद्दे सेट हैं, लेकिन अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि कौन सी पार्टियां मोदी विरोधी आंदोलन में शामिल होंगी।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने तालिबान के लड़ाकों को ‘अच्छे नागरिक’ और ‘सिविलियंस’ बताया, और कहा कि वे खून खराबा करने वाले लोग नहीं हैं।
चाहे शरद पवार हों या ममता बनर्जी, दोनों इस बात को समझते हैं कि नेतृत्व के मुद्दे पर सभी विपक्षी नेताओं को एक ही नाम पर सहमत करना टेढ़ी खीर है।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने एक वीडियो पोस्ट किया जिसमें मिज़ोरम के पुलिसकर्मी और कुछ 'गुंडे' फायरिंग में असम के पुलिसकर्मियों की मौत का जश्न मना रहे थे।
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