जहां तक ए.राजा का बयान है तो इसमें मैं दो बातें कहना चाहता हूं। पहला ये कि अब ये तर्क नहीं चलेगा कि अभिव्यक्ति की आजादी है, कोई कुछ भी बोल सकता है। सोमवार को ही सुप्रीम कोर्ट ने हिन्दुत्व की तुलना मलेरिया और डेंगू से करने वाले DMK नेता उदयनिधि स्टालिन को फटकार लगाई थी।
लगता है विरोधी दलों के नेता मोदी की लाइन पकड़ ही नहीं पाए और लालू ने मोदी के परिवार पर सवाल उठा कर वही गलती कर दी, जो राहुल गांधी ने पिछले चुनाव में चौकीदार पर सवाल उठा कर की थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि संदेशखाली की महिलाओं ने अपने ऊपर हुए जुल्म की दास्तां रो-रोकर सुनाई लेकिन ममता बनर्जी का दिल नहीं पसीजा। वह जुल्म करने वाले गुंडे को, गरीबों की जमीनों पर कब्जा करने वाले अपने नेता को बचाती रहीं।
जब शाहजहां को बशीरहाट कोर्ट में पेश किया गया, तो वह पूरी अकड़ के साथ आगे-आगे चल रहा था, हाथ हिलाकर विक्ट्री साइन दिखा रहा था, और बंगाल पुलिस के अफसर उसके पीछे-पीछे चल रहे थे।
अगर कांग्रेस ने मुख्यमंत्री को नहीं बदला तो विक्रमादित्य सिंह का गुट फिर नाराज हो जाएगा। अगर मुख्यमंत्री बदल दिया तो सुक्खू के समर्थक विधायक आंखें दिखाएंगे।
महाराष्ट्र में एक कांग्रेस नेता ने पार्टी छोड़कर बीजेपी का साथ पकड़ लिया। गुजरात में भी कांग्रेस के एक नेता ने पाला बदल लिया। एक के बाद एक विपक्ष को कई झटके लगे। झटके भी ऐसे कि अब जवाब देते नहीं बन रहा है।
सोमवार को हाई कोर्ट ने बंगाल सरकार से पूछा कि शेख शाहजहां के खिलाफ चार साल से संगीन आरोपों में कई केस दर्ज हैं, उसे अब तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया?
पंजाब के किसान नेता बार-बार दावा कर रहे हैं कि प्रदर्शनकारी शान्तिपूर्ण तरीके से दिल्ली की तरफ बढ़ना चाहते हैं, सरकार किसानों पर जुल्म कर रही है, लेकिन जो तस्वीरें हैं, वे दूसरी कहानी बयां करती हैं।
किसानों की समस्याओं का समाधान बातचीत से ही निकलेगा, मेज पर बैठकर निकलेगा। दोनों पक्षों को इसी दिशा में काम करना चाहिए। आज तक किसी भी समस्या का हल टकराव से नहीं निकला।
बेहतर तो ये होता कि जैसे ही महिलाओं के वीडियो सामने आए, ममता उसी वक्त खुद संदेशखाली जातीं, महिलाओं की बात सुनती और जुल्म करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करतीं, तो शायद ये मामला इतना बड़ा न होता।
कांग्रेस ने सबको चुका हुआ, धोखेबाज नेता बताया, लेकिन जिसने भी कांग्रेस छोड़ी उनमें से ज्यादातर ने राहुल गांधी की कार्यशैली को नाराजगी की वजह बताया। इसलिए अब कांग्रेस के नेताओं को इस बात पर आत्ममंथन करना चाहिए कि क्या इसके लिए मोदी जिम्मेदार हैं।
शंभू बॉर्डर पर दो हजार से ज्यादा जवान तैनात हैं। पुलिस के साथ साथ पैरामिलिट्री फोर्सेज को भी तैनात किया गया है। हालांकि सरकार ने किसान नेताओं से दो दौर की बात की है लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।
दरअसल इन लोगों को यकीन ही नहीं था कि वो कभी अपने घर वापस लौट पाएंगे। ये सभी पूर्व कतर की नौसेना को ट्रेनिंग देने वाली एक प्राइवेट कंपनी में काम करते थे लेकिन जासूसी के इल्जाम में इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था और मौत की सज़ा सुना दी गई थी।
पूरे पाकिस्तान में जनता में ज़बरदस्त नाराज़गी है, लेकिन इतिहास गवाह है कि पाकिस्तान में जनता क्या चाहती है, इसकी पाकिस्तान में न कभी किसी सरकार ने परवाह की, न फौज ने।
अगर सरकार बनाने के लिए भुट्टो से अलायंस करने की जरूरत पड़ी तो शहबाज़ शरीफ एक बार फिर पीएम बन जाएंगे। लेकिन पाकिस्तान में लोग एक और बात कह रहे हैं।
देश भर में करीब 300 सीटें ऐसी हैं जहां कांग्रेस बीजेपी की मुख्य प्रतिद्वन्द्वी है। मोदी ने इसी बात की तरफ इशारा किया है। अब इसका असर देश भर में दिखने लगेगा।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के साथ साथ बहुत से मौलाना इस कानून को इस्लामिक परंपराओं के खिलाफ बता रहे हैं। उत्तराखंड इमाम संगठन के अध्यक्ष मुफ्ती रईस ने कहा कि ड्राफ्ट कमेटी ने मुसलमानों की राय को नजरअंदाज़ किया।
आम तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस तरह सीटों की बात नहीं करते लेकिन विरोधी दल बार-बार कहते हैं कि हम इकट्ठे हो जाएंगे और इस बार मोदी को हराएंगे।
ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने में जिस तरह से पूजा शुरू हुई, उसको लेकर मौलानाओं में जो नाराज़गी है, वो समझी जा सकती है। उनके यहां भी ऐसे बहुत सारे लोग हैं जो आक्रामक हैं, जिनको समझाना मुश्किल होगा।
ज्ञानवापी का मामला बहुत नाजुक है। ये सही है कि व्यास जी के तहखाने में 1993 तक पूजा होती थी। ये भी सही है कि कोर्ट ने उसी परंपरा को बहाल किया है। ये फैसला अदालत का है, ये किसी राजनीतिक दल या सरकार का फैसला नहीं है।
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