कांग्रेस ने इस राफेल विमान सौदे को लेकर सरकार पर कई आरोप लगाए हैं। एक आरोप विमानों की खरीद महंगे दाम पर करने का है। सरकार ने हालांकि, इन आरोपों को खारिज किया है।
भारत ने 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए 58,000 करोड़ रुपये की लागत से सितंबर 2016 में फ्रांस के साथ अंतर-सरकारी समझौता किया था। इन विमानों की आपूर्ति सितंबर 2019 से शुरू होने वाली है।
याचिका में कहा गया है कि दो देशों के बीच हुई इस डील से भ्रष्टाचार हुआ है और ये रकम इन्हीं लोगों से वसूली जाए क्योंकि ये अनुच्छेद 253 के तहत संसद के माध्यम से नहीं की गई है।
कांग्रेस ने राफेल सौदे को नरेंद्र मोदी सरकार का एक घोटाला करार देते हुए इसे लेकर हमले को तेज करने का निर्णय लिया और कहा कि पार्टी इस मुद्दे पर राष्ट्रव्यापी आन्दोलन शुरू करेगी।
जो भारतीय हैं, उन्हें एनआरसी से डरने की जरूरत नहीं है। घुसपैठियों को भारत से बाहर निकाला जाएगा।
कांग्रेस अध्यक्ष के आरोपों पर तीखा प्रहार करते हुए कंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सवाल किया कि राहुल गाँधी अपने झूठे प्रचार के क्रम में देश हित की कितनी अनदेखी करेंगे ?
कांग्रेस ने उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू द्वारा नवनिर्वाचित उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह के सम्मान में शुक्रवार को दिए जाने वाले भोज प्रस्ताव को ठुकरा दिया है।
पिछले कई महीनों से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी पार्टी राफेल एयरक्राफ्ट सौदे का ब्यौरा सरकार से मांग रही है। लोकसभा चुनाव में अभी आठ महीने बाकी हैं और विपक्षी दल इस सौदे को एक बड़ा मुद्दा बनाने की योजना बना रहा है।
सरकारी अफसरों का दावा है जिस विमान की डील मोदी सरकार ने की है वो यूपीए सरकार के समय खरीदे जा रहे विमान से ज्यादा असरदार और तकनीकि रुप से ज्यादा बेहतर है क्योंकि अब जिस फाइटर जेट की डील हुई है उसमें METEOR और SCALP जैसी मिसाइलें भी हैं।
25 जनवरी 2008 को फ्रांस के साथ सीक्रेसी अग्रीमेंट कांग्रेस की ही सरकार ने किया था, हम तो इसे आगे बढ़ा रहे हैं। इस अग्रीमेंट में राफेल डील भी शामिल है।
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते हुए आशंका जताई कि वह अपने मित्रों को फायदा पहुंचा सकते हैं...
फ्रांस का ये बेहतरीन जंगी जहाज उन प्लेन्स में शामिल है जिसके हमले दुश्मन की रीढ़ तोड़ने की ताक़त रखते हैं। लंबे वक्त से नए फाइटर प्लेन के लिए तरस रही भारतीय वायु सेना के लिए राफेल का साथ किसी संजीवनी से कम नहीं होगा।
Ministry of Defence on Wednesday said that demand that the Government disclose the details and value of the contract for the Rafale aircraft contracted in 2016 is unrealistic.
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