इंग्लैंड और वेस्टइंडीज के बीच साउथैम्पटन में 3 मैचों की टेस्ट सीरीज का पहला मैच खेला जा रहा है। कोरोना वायरस महामारी के चलते पिछले 117 दिनों से ठप्प पड़े इंटरनेशनल क्रिकेट की इस सीरीज के जरिए वापसी हुई है।
पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के पूर्व प्रमुख खालिद महमूद ने अगस्त में इंग्लैंड के खिलाफ आगामी सीरीज के दौरान पाक टीम से अपनी जर्सी पर 'ब्लैक लाइव्स मैटर' लोगो पहनने का आग्रह किया है।
इंग्लैंड के पूर्व हरफनमौला फिलिप डेफ्रिटास ने नस्लवाद का मुद्दा उठाते हुए कहा कि जब वह क्रिकेट में सक्रिय थे, तब उन्हें धमकी मिली थी, ‘अगर मैंने इंग्लैंड का प्रतिनिधित्व किया तो गोली मार दी जाएगी’।
वेस्टइंडीज के पूर्व कप्तान डैरेन सैमी नस्लभेद के खिलाफ लगातार अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं। डैरेन सैमी ने अब आईसीसी के साथ बातचीत में नस्लभेद के मुद्दे पर खुलकर राय रखी है।
इबोनी रेनफोर्ड ब्रेंट को लगता है कि फुटबॉल की तुलना में महिला क्रिकेट में विविधता की कमी है।
डेरेन सैमी ने कहा है कि जिस तरह से डोपिंग और भ्रष्टाचार के खिलाफ जागरूकता लाने के लिये प्रयास किये गये उसी तरह से युवा क्रिकेटरों को नस्लवाद के खिलाफ व्यवस्थित स्तर पर शिक्षित करना महत्वपूर्ण है।
पूर्व सलामी बल्लेबाज मार्क बूचर को इंग्लैंड की बहु-सांस्कृतिक क्रिकेट टीम पर गर्व है लेकिन वह मानते हैं कि एक संरचनात्मक बदलाव की जरूरत है।
जर्सी पर संदेश देने की योजना पर अभी अंतिम फैसला नहीं किया गया है। प्रीमियर लीग कोरोना वायरस के कारण 100 दिन तक ठप्प रहने के बाद बुधवार से शुरू होगी।
एक तरफ जहां पूरी दुनिया इस समय कोरोना वायरस महामारी से जूझ रही है। वहीं, दूसरी तरफ नस्लीय भेदभाव का मुद्दा भी गर्माया हुआ है जिसके खिलाफ दुनियाभर के क्रिकेटर अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं।
भारत के पूर्व क्रिकेटर आकाश चोपड़ा ने खुलासा किया है कि इंग्लैंड में लीग क्रिकेट खेलते हुए उन्हें नस्लवाद का शिकार होना पड़ा था।
उन्होंने कहा,‘‘हम दूसरों का आदर करते हैं। फिर हम लगातार इसका सामना क्यों कर रहे हैं। अब बहुत हो चुका। हम केवल समानता चाहते हैं।
कोरोना वायरस महामारी के बीच पूरी दुनिया में इस समय नस्लीय भेदभाव का मुद्दा चरम पर है। इस मुद्दे पर पर कई क्रिकेटरों ने अपनी आवाज बुलंद की है जिसमें वेस्टइंडीज और भारतीय क्रिकेटर शामिल हैं।
पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज शोएब अख्तर का कहना है कि उन्हें कभी अपने अंतरराष्ट्रीय करियर के दौरान नस्लीय भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ा।
कोरोना वायरस महामारी के बीच पूरी दुनिया में इन दिनों नस्लवाद का मुद्दा गर्माया हुआ है। अमेरिका में जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद सभी जगह नस्लवाद के खिलाफ लोग अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं जिसमें वेस्टइंडीज के कई क्रिकेटर भी शामिल हैं।
अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने शुक्रवार को 2019 वर्ल्ड कप फाइनल के एक वीडियो के जरिए नस्लवाद के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की है।
अमेरिका इन दिनों नस्लीय भेदभाव की एक घटना की वजह से पूरी दुनिया में चर्चा का केंद्र बना हुआ है। अमेरिका के मिनीपोलिस में 25 मई को अश्वेत अमेरिकी जॉर्ज फ्लॉयड के गले को पुलिस अधिकारी द्वारा घुटने से दबाने के कारण मौत हो गई थी।
डैरेन सैमी ने आईसीसी से नस्लवाद के खिलाफ आवाज उठाने की अपील की है। इसी की साथ उन्होंने कहा है कि अगर आईसीसी ऐसा नहीं करती तो वह इस समस्या का हिस्सा कहलाने के लिये तैयार रहें।
फ्लॉयड मेवेदर ने जॉर्ज फ्लॉयड के अंतिम संस्कार और शोकसभा का खर्च उठाने की पेशकश की जिसे उनके परिवार ने स्वीकार कर लिया।
इस भावुक तस्वीर को पोस्ट करते हुए इंग्लैंड क्रिकेट ने लिखा 'हम विविधता के लिए खड़े हैं, हम नस्लवाद के खिलाफ हैं।'
अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ‘नस्लीय टिप्पणी’ के खिलाफ मंगलवार को निंदा प्रस्ताव पारित किया।
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