एसोचैम के एक रिसर्च में कहा गया है कि डिमांड-सप्लाई के अंतर को पाटने और कीमत पर काबू पाने के लिए सरकार को एक करोड़ टन दाल आयात करना पड़ेगा।
दाल की आसमान छूती कीमतों पर काबू पाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का असर दिखना शुरू हो गया है। लेकिन, दाल अभी भी आम आदमी के पहुंच से बाहर है।
अरहर दाल के दाम मंगलवार को 190 रुपए प्रति किलो पर आ गए। इससे पहले अरहर दाल की कीमतें 210 रुपए प्रति किलो के पार पहुंच गई थी।
चार राज्य सरकारों ने तुअर दाल की बिक्री 120 से 145 रुपए प्रति किलो के भाव पर शुरू की है। सोमवार तक सरकार ने करीब 78,000 टन दालों को जब्त किया है।
सरकारी आंकड़ों में बेशक महंगाई पिछले साल के मुकाबले कम हुई है। लेकिन, जुरुरी सामान और सेवाएं महंगी हो गई है।
सरकार ने 10 राज्यों में जमाखोरों पर छापा मारकर 50 हजार टन दाल जब्त की है। बावजूद इसके रिटेल बाजार में दालों की कीमत कम नहीं हुई है।
दाल इंपोर्टर्स ने सरकारी एजेंसियों को 135 रुपए प्रति किलो की दरसे अरहर दाल की सप्लाई करने का प्रस्ताव दिया है। दाल का रिटेल भाव 210 रुपए प्रति किलो है।
वित्त मंत्री अरूण जेटली ने भरोसा दिलाया है कि आयातित और जब्त की गई दाल के बाजार में आने के बाद कीमतों में नरमी देखने को मिलेगी।
सोमवार को खुदरा बाजार में अरहर दाल की कीमत 200 रुपए प्रति किलो के पार पहुंचे के बाद सरकार ने कीमतों को नियंत्रित करने के लिए ताबड़तोड़ कई फैसले लिए हैं।
रिटेल मार्केट में अरहर दाल की कीमत 200 रुपए प्रति किलो के पार पहुंच गई है। पिछले हफ्ते रिटेल मार्केट में अरहर की दाल 185 रुपए किलो तक बिकी थी।
सरकार ने निर्यातकों, फूड प्रोसेसर्स और उन बड़े रिटेलर्स, जिनके कई आउटलेट्स हैं, के लिए दाल की स्टॉक लिमिट पर मिलने वाली छूट को खत्म कर दी है।
अक्टूबर में अरहर और उड़द 35 फीसदी तक महंगा हो गया है। वहीं इस हफ्ते अरहर और उड़द की दाल में 2500 रुपए प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई।
महंगाई से राहत के लिए सरकार इस सीजन में किसानों से बाजार मूल्य पर 40 हजार टन दालों की खरीद करेगी। इसकी मदद से बफर स्टॉक बनाया जाएगा।
संपादक की पसंद