कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा कि भारत में दुनिया का 25 फीसदी दालों का उत्पादन होता लेकिन खपत 28 फीसदी है। इसके कारण कीमतें बढ़ी हैं।
दालों की कीमतों पर काबू पाने के लिए सरकार ने 50,000 टन का बफर स्टॉक बनाया है। सरकार ने 20,000 टन दलहन आयात करने का फैसला किया है।
पासवान ने आश्वस्त किया कि इस साल दालों की कीमतें नहीं बढ़ेंगी। उन्होंने कहा, सरकार ने सप्लाई और डिमांड के अंतर को पाटने के लिए आवश्यक कदम उठाए हैं।
थोक महंगाई दर में मामूली गिरावट देखने को मिली है। वाणिज्य मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी में थोक महंगाई दर शून्य से 0.90 फीसदी नीचे रही
देश में लगातार दो साल से सूखे के बावजूद सरकारी अनुमान के मुताबिक देश में 2015-16 (फसल वर्ष) के दौरान अनाज उत्पादन बढ़कर 25.31 करोड़ टन पहुंच सकता है।
अगले माह से दाल की घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के लिए एमएमटीसी ने 5,000 टन तुअर दाल के आयात को लेकर निविदा जारी की है।
सरकार ने जमाखोरों से जब्त की गई 1.12 लाख टन दालों को खुदरा बाजार में उतारा है, जिसका मकसद बाजार में उपलब्धता बढ़ाकर कीमतों को नियंत्रण में रखना है।
विभिन्न राज्यों में सूखे और बेमौसमी बारिश के चलते 2015 किसानों (खेतीबाड़ी) के लिए कठिन साल रहा। इस दौरान अनेक किसानों ने आत्महत्या तक की।
अगले वर्ष भी दाल की कीमतों में तेजी की आशंका के चलते खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने दलहन आयात शुरू करने का निर्देश देने को कहा है।
अक्टूबर के मुकाबले नवंबर में थोक महंगाई बढ़ गई है। दाल, सब्जी, फ्यूल और नॉन-फूड आर्टिकल्स के दाम बढ़ने के कारण नवंबर में महंगाई -1.99 फीसदी दर्ज की गई।
दालों के दामों में हाल के उछाल को देखते हुए सरकार ने बफर स्टॉक बनाने का फैसला किया है। इसके तहत 1.5 लाख टन दालों की सरकारी खरीद की जाएगी।
अनियमित मौसम के कारण चाय उत्पादन में भारी कमी की आशंका है। इसके कारण अक्टूबर से अब तक चाय 4-5 रुपए प्रति किलो तक महंगी हो चुकी है।
आने वाले दिनों में दाल की कीमत में तेजी गिरावट देखने की संभावना है। सरकार सप्लाई बढ़ाने के लिए बड़ी मात्रा में दाल इंपोर्ट करने पर विचार कर रही है।
आसमान छूती दालों की कीमतों में काबू पाने के लिए सरकार अतिरिक्त दालें आयात करने पर विचार कर रही है। फिलहाल दाम 180 रुपए प्रति किलो तक है।
पिछले एक हफ्ते के दौरान दिल्ली, चेन्नई, मुंबई और अहमदाबाद में अरहर दाल की कीमतों में 12 रुपए प्रति किलो की गिरावट दर्ज की गई।
दाल, सब्जी और खाने पीने की दूसरी वस्तुओं के अलावा पेट्रोल और रसोई गैस महंगी होने के चलते अक्टूबर में थोक महंगाई दर में उछाल आया है।
केंद्रीय कैबिनेट ने गुरुवार को रबी सीजन 2015-16 के लिए गेहूं, चना, मसूर, जौ, सरसों, सूरजमुखी और अरंडी के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोत्तरी की है।
जमाखोरों पर छापेमारी के बाद दाल की कीमतों में औसतन 20 रुपए प्रति किलो की गिरावट आई है। जमाखोरों पर सख्ती के बाद दाल की कीमतों में कमी देखने को मिल रही है।
दालों की कीमतों में आई जारी तेजी के ऑनलाईन ग्रॉसरी स्टोर 24X 7 फ्रेश ने 140 रुपए प्रति किलो अरहर दाल बेचेगी। इससे पहले सरकार सस्ती दाल बेच रही है।
कृषि मंत्रालय ने घरेलू खरीद और आयात के जरिए चालू फसल वर्ष 2015-16 के दौरान 3.5 लाख टन दालों का बफर स्टॉक बनाने का प्रस्ताव किया है।
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