नवंबर में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर (डब्ल्यूपीआई) लगातार तीसरे महीने गिरकर 3.15 फीसदी पर आ गई है। अक्टूबर में थोक महंगाई दर 3.39 फीसदी थी।
कंपनी कानून के तहत कंपनियों द्वारा कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय को दी जाने वाली सालाना रिटर्न और वित्तीय जानकारियों के लिए समयसीमा को एक माह बढ़ा दिया गया है।
महंगाई पर अंकुश लगाने के इरादे से सरकार ने माप पद्धति नियमों में बदलाव किया है। असाधारण परिस्थितियों में वह आवश्यक जिंसों का रिटेल दाम तय कर सकेगी।
भारत अपनी दालों की आवश्यकता पूरी करने और कीमतों में वृद्धि पर लगाम कसने के लिए दक्षिण अफ्रीका से दलहन आयात समझौता करने की दिशा में काम कर रहा है।
जमाखोरी और महंगाई पर अंकुश लगाए रखने के लिए सरकार ने व्यापारियों पर दाल-दलहनों, तेल-लिहन के स्टॉक लिमिट संबंधी आदेश की मियाद एक वर्ष के लिए और बढ़ा दी है।
केंद्र सरकार ने 2016 की खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्यों (एमएसपी) की घोषणा की है। ये समर्थन मूल्य इस साल एक सितंबर से लागू होंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में दालों के बफर स्टॉक को 8 लाख टन से बढ़ाकर 20 लाख टन करने का फैसला किया है।
सरकार के लगातार उठाए जा रहे कदमों का कुछ असर दाल की कीमतों पर दिखा है, लेकिन बाजार में भाव गिरने का पूरा फायदा आम आदमी को नहीं मिला है।
घरेलू आपूर्ति बढ़ाने और बढ़ती कीमतों को नियंत्रित रखने के उद्देश्य से सरकार ने मसूर और तुअर जैसी दालों का 90,000 टन अतिरिक्त आयात करने का निर्णय किया है।
कीमतों पर काबू पाने के लिए सरकार और एक लाख टन चना और मसूर दाल का आयात करने का फैसला किया है। इससे बाजार में सप्लाई बढ़ेगी और कीमतों पर दबाव बनेगा।
2015-16 में दलहनों का उत्पादन 4% घटकर 1.647 करोड़ टन रह गया। वहीं गेहूं की बंपर फसल के चलते देश का कुल खाद्यान्न उत्पादन मामूली बढ़कर 25.222 करोड़ टन रहा।
मानसून अच्छा रहने से मौजूदा खरीफ सत्र में दलहन का बुवाई क्षेत्र अभी तक 41 फीसदी बढ़कर 110.35 लाख हेक्टेयर हो गया है।
केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि भारत दालों के आयात के लिए म्यांमा और कुछ अफ्रीकी देशों के साथ बातचीत कर रहा है।
देश के किसान दलहन की बड़े पैमाने पर बुवाई कर रहे हैं। खरीफ सत्र 2016-17 में इस फसल की खेती का रकबा अब तक करीब 39 फीसदी बढ़कर 90.17 लाख हेक्टेयर हो गया है
कृषि मंत्रालय के मुताबिक मानसून की बेहतर शुरुआत के साथ वर्ष 2016-17 के खरीफ सत्र में अभी तक दाल बुवाई का रकबा 28 फीसदी बढ़कर 71.07 लाख हेक्टेयर हो गया है।
दालों के दाम 200 रुपए किलो तक पहुंचने के बीच सरकार ने कहा कि वह कीमतों को नियंत्रित करने के लिए जमाखोरों के खिलाफ विभिन्न उपाय कर रही है।
किसानों के अन्य फसलों की ओर से रुख बदलने की वजह से सत्र 2015-16 में कपास का उत्पादन घटकर 338 लाख गांठ रह जाने का अनुमान है।
दालों की कीमतों पर काबू पाने और डिमांड के मुकाबले सप्लाई की खाई को कम करने के लिए सरकार ने बफर स्टॉक का आकार 8लाख टन से बढ़ाकर 20 लाख टन कर दिया है।
अगले पांच वर्षों में मोजाम्बिक से तुअर और अन्य दालों का आयात दोगुना कर दो लाख टन प्रतिवर्ष करने को मंजूरी दी है।
घरेलू बाजार में सप्लाई बढ़ाने के लिए चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से दिसंबर की अवधि के दौरान भारत के द्वारा करीब 50 लाख टन दलहन का आयात किए जाने की संभावना है।
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