किसानों के अन्य फसलों की ओर से रुख बदलने की वजह से सत्र 2015-16 में कपास का उत्पादन घटकर 338 लाख गांठ रह जाने का अनुमान है।
दालों की कीमतों पर काबू पाने और डिमांड के मुकाबले सप्लाई की खाई को कम करने के लिए सरकार ने बफर स्टॉक का आकार 8लाख टन से बढ़ाकर 20 लाख टन कर दिया है।
अगले पांच वर्षों में मोजाम्बिक से तुअर और अन्य दालों का आयात दोगुना कर दो लाख टन प्रतिवर्ष करने को मंजूरी दी है।
घरेलू बाजार में सप्लाई बढ़ाने के लिए चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से दिसंबर की अवधि के दौरान भारत के द्वारा करीब 50 लाख टन दलहन का आयात किए जाने की संभावना है।
उपभोक्ताओं को राहत दिलाने के लिए केंद्र सरकार ने NCCF को निर्देश दिया कि वह दिल्ली में चना दाल की बिक्री 60 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से करे।
मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) अरविंद सुब्रमण्यम ने कहा कि दलहन का रकबा घटने और उत्पादन पर्याप्त नहीं होने की वजह से दालों की कीमतों में तेजी आई है।
दलहन की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने को लेकर दवाब का सामना कर रहे भारत को मोजाम्बिक सरकार के साथ एक दीर्घावधिक समझौते की पूरी उम्मीद है।
दलहन की बढ़ती कीमत पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने एक उच्च-स्तरीय शिष्टमंडल मोजांबिक भेजा है जो सरकारी स्तर पर इसके आयात के लिए पहलों की संभावना तलाशेगा।
दालों का आयात केंद्रीय खुफिया एजेंसियों की जांच के घेरे में आ गया है। दाम में तेजी के लिये किसी भी प्रकार की कालाबाजारी तथा साठगांठ पर अंकुश लगाना है।
दाल की लगातार बढ़ती कीमतों को काबू करने के लिए सरकार ने कमर कस ली है।
दालों की बढ़ती कीमतों पर काबू पाने के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने वायदा बाजारों में चने के नए अनुबंधों पर रोक लगा दी है।
दलहन की कीमत आज 200 रुपए किलो के करीब पहुंच गई। इसको देखते हुए सरकार ने बफर स्टॉक की सीमा पांच गुना बढ़ाकर आठ लाख टन करने का फैसला किया है।
मांग-सप्लाई के अंतर को कम कर दालों की कीमतों में स्थिरता लाने के लिए भारत विदेशी सरकारों के साथ कॉन्ट्रैक्ट करने की योजना बना रहा है।
चालू वित्त वर्ष में दलहन और धान के मएसपी में बढ़ोतरी का महंगाई दर और सब्सिडी पर नाममात्र प्रभाव होगा। सीपीआई में 0.4 से 0.45 प्रतिशत तक का योगदान होगा।
कैबिनेट ने 2016-17 के खरीफ मौसम के लिए दालों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 425 रुपए बढ़ाकर 5,000-5,225 रुपए प्रति क्विंटल किए जाने को मंजूरी दे दी है।
केंद्र सरकार ने 21 मई को राज्यों के खाद्य मंत्रियों की बैठक बुलाई है ताकि जरूरी जिंसों की बढ़ती कीमतों पर काबू पाने के लिए रणनीति बनाई जा सके।
दस राज्यों में सूखे के कारण देश का खाद्यान उत्पादन 2015-16 में 25.22 करोड़ टन के स्तर पर स्थिर रह सकता है। वहीं दलहन के उत्पादन में गिरावट आ सकती है।
दाल की बढ़ती कीमत पर चिंता जताते हुए व्यापारियों के प्रमुख संगठन कैट ने कहा कि सरकार को पहले आयातकों की भंडारण सीमा तय करनी चाहिए।
दालों के दामों में एक बार फिर तेजी आती दिख रही है। केंद्र ने राज्यों से जमाखोरी रोकने को व्यापारियों के लिए सभी दालों के भंडारण की सीमा तय करने को कहा है।
सरकार घरेलू बाजार में सप्लाई बढ़ाने और बढ़ती कीमतों पर अंकुश के मकसद से बफर स्टॉक से 10,000 टन दलहन जारी करेगी। इससे कीमतों में गिरावट आने की संभावना है।
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