समीक्षा बैठक के दौरान मंत्री ने कहा कि वित्त वर्ष 2018-19 में कुल 317 लाख टन दाल उपलब्ध थी, जिसमें से 280 लाख टन की खपत हो चुकी है
देश के कुछ हिस्सों में अरहर दाल के भाव 100 रुपए के पार पहुंच गए हैं। हालांकि पूरे देश में भाव 100 रुपए के ऊपर नहीं है।
2017-18 के दौरान देश में कुल मिलाकर 28.48 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन हुआ है जो अबतक का सबसे अधिक उत्पादन है
केंद्र सरकार के इस फैसले से राज्यों को PDS और मिड डे मील जैसी योजनाओं के लिए सस्ते में दाल आपूर्ति करने में मदद मिलेगी।
जून के दौरान कम बरसात की मार से पिछड़ी खरीफ फसलों की खेती को लेकर अच्छी खबर है, जुलाई के दौरान हुई अच्छी बरसात से खरीफ फसलों की खेती ने रफ्तार पकड़ी है और अब खरीफ फसलों का रकबा औसत के मुकाबले आगे निकल गया है
अबतक बीते मानसून सीजन के दौरान देशभर में भले ही सामान्य बरसात हुई हो लेकिन मानसून के रुकने की वजह से कुछेक राज्यों में बारिश की भारी कमी देखी जा रही है जिस वजह से उन राज्यों में खरीफ की बुआई बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक अबतक बीते मानसून सीजन के दौरान गुजरात, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में बारिश की भारी कमी देखी जा रही है
देश में खरीफ फसलों की खेती शुरुआत में पिछड़ने के बाद अब सामान्य होने लगी है। मानसून के आगे बढ़ने के साथ खरीफ फसलों की बुआई ने भी रफ्तार पकड़ ली है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक 15 जून तक देशभर में कुल 93.01 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की खेती हो चुकी है, पिछल साल इस दौरान 94.12 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी, सामान्य तौर पर इस दौरान औसतन 91.48 लाख हेक्टेयर में फसल लगती है
देश के 2 बड़े चना उत्पादक राज्यों में इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले सरकार ने रिकॉर्डतोड़ चने की खरीद की है। सरकारी एजेंसी नैफेड के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 6 जून तक एजेंसी ने देशभर में कुल मिलाकर 22,58,654 टन चने की खरीद की है। देश में कभी भी चने की इतनी ज्यादा सरकारी खरीद नहीं हुई है
देश में दलहनों के रिकॉर्ड उत्पादन के कारण वित्त वर्ष 2017-18 में दलहनों-दालों का आयात लगभग दस लाख टन घट गया, जिससे देश को 9,775 करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा को बचाने में मदद मिली है।
सरकार ने अब दले या धुले हुए उड़द और मूंग के आयात पर भी अंकुश लगाया है। शुक्रवार को विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) की तरफ से जारी की गई अधिसूचना के मुताबिक उड़द और मूंग का दली हुई अवस्था या किसी दूसरी अवस्था में आयात को लेकर अंकुश रहेगा
देश के चना किसानों को आयातित दलहन की मार से बचाने के लिए सरकार ने देश में सबसे ज्यादा आयात होने वाले दलहन पीले मटर के आयात पर अंकुश लगा दिया है। बुधवार को इस सिलसिले में विदेश व्यापार महानिदेशालय ने अधिसूचना जारी की है। अधिसूचना के मुताबिक 3 महीने के लिए देश में पीले मटर के आयात पर अंकुश रहेगा
चालू रबी सीजन में जहां गेहूं और तिलहनों की बुआई में देश के किसानों ने थोड़ी उदासीनता दिखाई है वहीं दलहन की खेती के प्रति उनकी दिलचस्पी काफी रही है।
हफ्ताभर पहले दिल्ली में चने का भाव 4,600-4,900 रुपए प्रति क्विंटल था जो अब घटकर 4,200-4,500 रुपए तक आ गया है
सामान्य तौर पर पूरे रबी सीजन के दौरान देश में 623.53 लाख हेक्टेयर की खेती होती है और इस बार पहली दिसंबर तक 389.83 लाख हेक्टेयर में फसल लग चुकी है
राजस्थान मूंग का सबसे बड़ा उत्पादक है, राधामोहन सिंह के मुताबिक वहां पर किसानों से समर्थन मूल्य पर 1.24 लाख टन अतीरिक्त मूंग खरीदने की मंजूरी दे दी गई है
सितंबर में तुअर, उड़द और मूंग का निर्यात आंशिक तौर पर खोला था लेकिन जब इससे भी दलहन की कीमतों में उठाव नहीं हुआ तो अब निर्यात की सारी पाबंदियां खत्म कर दी
आयात शुल्क से गेहूं और दलहन की कीमतों में इजाफा हो सकता है। आटा, सूजी, मैदा और सभी दालों की कीमतों में बढ़ोतरी होने की आशंका बढ़ी है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार सरकार के द्वारा रबी दलहन और तिलहन फसलों का जो एमएसपी घोषित किया गया है उसमें 100 से 150 रुपए प्रति क्विंटल की बोनस राशि भी शामिल है।
कुछ तिलहन और दलहन कीमतों में गिरावट को लेकर चिंतित एक मंत्री समूह ने सूरजमुखी तेल, मूंगफली तेल और पीली दाल के आयात का विनियमन करने पर विचार-विमर्श किया।
कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि खरीफ सत्र में दलहन उत्पादन में करीब 7 लाख टन की जो कमी आई है उसकी भरपाई रबी सत्र की दलहन पैदावार से की जा सकती है।
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