राज्य सरकारों को कीमतों की लगातार निगरानी करने और स्टॉक की स्थिति को सत्यापित करने और भंडारण सीमा आदेश का उल्लंघन करने वालों पर कड़ी कार्रवाई करने के लिए कहा गया।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक पिछले एक साल में देश में तुअर दाल का औसत खुदरा मूल्य 11.12 प्रतिशत बढ़कर 115 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया है।
फरवरी से लेकर अब तक 1150 रुपये प्रति क्विंटल का उछाल देखने को मिला है। इससे फुटकर दाम में भी 10 रुपये से लेकर 15 रुपये तक तेजी आई है।
Goa News: गोवा के मंत्री गोविंद गौड़े ने दावा किया कि साल 2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान नौकरशाही की लापरवाही की वजह से राज्य में 241 टन तुअर (अरहर) की दाल खराब हो गई।
देश में सभी प्रमुख दालों की कीमत में तेजी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। पिछले 6 हफ्तों में अरहर दाल और उड़द दाल की कीमतों में 15% से अधिक की वृद्धि हुई है।
आइए जानते हैं कि अधिक मात्रा में दाल का सेवन करने से आपको किस तरह की परेशानियां हो सकती है।
इस दाल का नियमित सेवन करने से यूरिक एसिड लेवल को कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है।
दाल आयात को लेकर मलावी और मोजाम्बिक के साथ भारत ने समझौते किये हैं। भारत दाल का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता देश है।
प्रतिबंधित श्रेणी के तहत आने वाले उत्पादों के लिये एक आयातक को आयात के लिए अनुमति या लाइसेंस लेने की आवश्यकता होती है।
जुलाई में मुद्रास्फीति कम होकर 5.59 प्रतिशत रह गई, और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को उम्मीद है कि यह 2021-22 में 5.7 प्रतिशत रहेगी।
मूल सीमा शुल्क और उपकर में कमी के साथ, मसूर दाल पर प्रभावी आयात शुल्क 30 प्रतिशत से घटकर 10 प्रतिशत हो जाएगा। घटा हुआ सीमा शुल्क और उपकर मंगलवार से लागू हो जाएगा।
सरकार के मुताबिक कीमतों पर नियंत्रण के प्रयासों के तहत सरकार द्वारा इन पर लगायी गयी स्टॉक लिमिट में थोक विक्रेताओं, मिलों तथा आयातकों को रियायत दी गयी है।
सरकार के मुताबिक वो कीमतों इस प्रकार रखने की कोशिश कर रही है जिससे किसानों को लाभ मिले और वो दालों के उत्पादन को लेकर उत्साहित बने रहें।
दालों के दाम पर अंकुश के लिये उड़द और मूंग के आयात को प्रतिबंधित श्रेणी से हटाकर इस साल अक्टूबर तक के लिये मुक्त श्रेणी में डाल दिया गया। मूंग दाल को छोड़कर अन्य सभी दलहन पर अक्टूबर तक के लिये स्टॉक सीमा लागू की है।
सरकार ने दो जुलाई को एक अधिसूचना जारी कर मूंग को छोड़कर सभी दालों पर थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, मिल मालिकों और आयातकों पर स्टॉक रखने की सीमा तय कर दी थी।
दालों की बढ़ती कीमतों को देखते हुए सरकार ने मूंग को छोड़कर सभी दोलों पर 31 अक्टूबर तक स्टॉक लिमिट लगा दी है। यानी मूंग को छोड़कर कारोबारी किसी भी दाल या दलहन का सरकार की तरफ से तय लिमिट से ज्यादा का स्टॉक नही रख पाएंगे।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने दक्षिणपूर्वी अफ्रीका के देश मलावी और म्यामां से दालों के आयात के लिए सहमति ज्ञापन समझौते के तहत अधिसूचना जारी की है।
मंत्रालय के अनुसार, इस साल अप्रैल से 16 जून 2021 के दौरान इन तीन दालों की कीमतों में औसत वृद्धि पिछले तीन महीनों (जनवरी-मार्च, 2021) की तुलना में 0.95 प्रतिशत थी।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को राज्यों से तिलहन और दलहन के आयात पर निर्भरता में कमी लाने तथा इस मामले में आत्मनिर्भर बनने के लिये इनका उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान देने को कहा।
एक अध्ययन से पता चला है कि लगभग 4,000 साल पहले हड़प्पा सभ्यता के दौरान रहने वाले लोग उच्च प्रोटीन वाले मल्टीग्रेन 'लड्डू' का सेवन करते थे।
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