केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सोमवार (14 अक्टूबर) को सार्वजनिक बैंकों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) के साथ एक समीक्षा बैठक करेंगी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज गुरुवार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के साथ समीक्षा बैठक करेंगी जिसमें विभिन्न मुद्दों पर चर्चा होगी। बैठक के एजेंडे के मुताबिक, सरकार पीएसबी से कह सकती है कि वे रियायती ऋण के लिए तेजी से रेपो रेट से जुड़े उत्पाद पेश करें।
सरकार ने दस राष्ट्रीयकृत बैंकों का विलय कर चार बड़े बैंक बनाने की घोषणा की है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के मुनाफे में सुधार हुआ है। बैंक का कुल फंसा कर्ज (एनपीए) दिसंबर 2018 के अंत में 8.65 लाख करोड़ रुपये से घटकर मार्च 2019 अंत में 7.9 लाख करोड़ रुपये रह गया।
केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने 50 करोड़ रुपए से ज्यादा के बैंक फ्रॉड की जांच के लिए एडवायजरी बोर्ड फॉर बैंक फ्रॉड्स (एबीबीएफ) बोर्ड का गठन किया है। पूर्व सतर्कता आयुक्त टीएम भसीन को इस बोर्ड का प्रमुख बनाया गया है। यह बोर्ड जांच के बाद आवश्यक कार्रवाई के लिए सिफारिश करेगा।
केंद्र सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 70,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त पूंजी डालेगी, जिससे वे 5 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त कर्ज मुहैया करा पाएंगे। इससे कॉर्पोरेट्स, खुदरा कर्जदारों, और छोटे व्यापारियों समेत अन्य को फायदा होगा। इस कदम से क्रेडिट की वृद्धि दर को बढ़ावा मिलेगा, जो करीब 12 फीसदी तक होगी। साथ ही कंज्यूमर सेंटीमेंट को भी बढ़ावा मिलेगा।
रिजर्व बैंक ने कहा कि उसने चालू खाता खोलने के मामले में नियमों के उल्लंघन को लेकर सार्वजनिक क्षेत्र के सात बैंकों पर सामूहिक रूप से 11 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है।
एसएंडपी ग्लोबल में क्रेडिट एनालिस्ट गीता चुग ने कहा कि हमारा विश्वास है कि पूंजी डालने से सरकारी बैंकों को उनके कमजोर कॉरपोरेट ऋण में आवश्यक कांट-छांट करने में मदद मिलेगी।
वित्त मंत्रालय सरकारी बैंकों के पूंजी आधार का मूल्यांकन कर रहा है और उन्हें नियम के तहत न्यूनतम पूंजी की शर्त को पूरा करने में मदद के लिए चालू वित्त वर्ष के आम बजट में 30,000 करोड़ रुपये उपलब्ध करा सकता है।
अक्टूबर 2018 से मार्च 2019 के बीच की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 450 वरिष्ठ प्रबंधकों की एक सूची से ऐसे 75 अधिकारियों को छांटा गया है,
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को धोखाधड़ी करने और जानबूझकर कर्ज नहीं लौटाने वालों के खिलाफ कारगर कदम उठाने को कहा है।
सरकार ने 50 करोड़ रुपए से अधिक के कर्ज वाले एनपीए हो चुके खातों में बैंकों से धोखाधड़ी का पता लगाने को कहा है। बैंक प्रमुखों को चेतावनी देते हुए कहा गया है कि इन खातों में यदि बाद में धोखाधड़ी का पता चलता है तो उनके खिलाफ आपराधिक साजिश की कारवाई की जा सकती है।
वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने गुरुवार कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का बुरा समय निकल चुका है और चालू वित्त वर्ष में ही यह बैंक त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) नियमों के दायरे से बाहर निकल आएंगे।
सार्वजनिक क्षेत्र के 21 बैंकों और निजी क्षेत्र के तीन प्रमुख ने बीते वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान खाते में न्यूनतम राशि नहीं रख पाने को लेकर उपभोक्ताओं से 5,000 करोड़ रुपए वसूले हैं।
वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को कहा कि सरकारी बैंकों के नियमन के संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की शक्तियों पर बातचीत के लिए सरकार तैयार है। हाल ही में केंद्रीय बैंक ने इस बात को उठाया था।
कार्यकारी निदेशकों के चयन के बाद बैंक बोर्ड ब्यूरो (BBB) अगले सप्ताह से करीब एक दर्जन सरकारी बैंकों के प्रबंध निदेशक पद के लिए उपयुक्त उम्मीदवारों की पहचान की प्रक्रिया शुरू करेगा।
सार्वजनिक क्षेत्र के 11 बैंकों के प्रमुख अगले सप्ताह एक संसदीय समिति के समक्ष हाजिर होंगे और बढ़ते फंसे कर्ज (NPA) तथा धोखाधड़ी के मामलों से उसे अवगत करवाएंगे। सूत्रों ने बताया कि वित्त पर संसद की स्थायी समिति की बैठक मंगलवार को होगी।
वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को कहा कि लोगों का पैसा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पूरी तरह सुरक्षित है। उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक में 13,000 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी समेत गड़बड़ी के कई मामले सामने आने के बीच यह बात कही है।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने वित्त वर्ष 2017-18 में 1.20 लाख करोड़ रुपए मूल्य के फंसे कर्जों (एनपीए) को बट्टे खाते में डाला है। यह राशि आलोच्य वित्त वर्ष में इन बैंकों को हुए कुल घाटे की तुलना में 140 प्रतिशत अधिक है।
वित्त वर्ष 2017-18 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैकों को हुए घाटे से सरकार का इन बैंकों में किया गया करीब 13 अरब डॉलर का पूंजी निवेश एक तरह से बेकार हो गया और चालू वित्त वर्ष में भी इस स्थिति में सुधार की उम्मीद नहीं है।
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