वीआरएस के जरिये कर्मचारियों को जबरन बाहर करने का मकसद नहीं है, बल्कि इसके जरिये उन कर्मचारियों को इसका फायदा होगा जो पहले सेवानिवृत्ति लेना चाहते हैं।
वित्त राज्य मंत्री के मुताबिक मार्च 2018 से लेकर सितंबर 2020 तक रिकॉर्ड 2.54 लाख करोड़ रुपये की रिकवरी की गई है। वहीं 12 सरकारी बैंकों में से 11 बैंकों ने 2020-21 की पहली छमाही में प्रॉफिट दर्ज किया है।
15 प्रतिशत वार्षिक वेतन वृद्धि 1 नवंबर, 2017 से लागू की जाएगी।
हाल ही में कुछ खबरें आई थीं कि जिसमें कहा गया था कि कुछ सरकारी बैंकों ने ग्राहकों के लिए सेवा शुल्क में तेज बढ़ोतरी की है। सरकार ने आज इन खबरों पर स्पष्टीकरण देते हुए खातों की स्थिति सामने रखी है।
महामारी के वजह से पहले से दबाव सह रहे सरकारी बैंकों के NPA में बढ़त की आशंका
सबसे ज्यादा कर्ज की मंजूरी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने दी
एआईबीईए के अनुसार, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) सार्वजनिक क्षेत्र के 17 बैंकों की सूची में इस मामले में पहले स्थान पर है।
यह योजना पिछले महीने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ रुपए के आत्मनिर्भर भारत अभियान राहत पैकेज का सबसे बड़ा राजकोषीय घटक है।
बैठक में ब्याज दरों में कमी का फायदा बैंकों द्वारा उधार लेने वालों तक पहुंचाने और कर्ज की अदायगी के संबंध में ऋण-स्थगन की प्रगति पर चर्चा भी होनी थी।
देश में बैंक करीब पांच साल से उच्च मात्रा में फंसे कर्ज की समस्या से जूझ रहे हैं। इसके कारण बैंकों का नेटवर्थ कम हो रहा है।
बैंक यूनियनों ने बैंकों के एकीकरण की इस योजना के खिलाफ नवंबर के दूसरे सप्ताह से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की भी धमकी दी है।
देश के सबसे बड़े ऑनलाइन लेंडिंग प्लेटफॉर्म को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवंबर 2018 में लॉन्च किया था। इसका उद्देश्य एमएसएमई के लिए ऋण और बैंकिंग को पारदर्शी और बाधा रहित बनाना है।
अक्टूबर 2018 से मार्च 2019 के बीच की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 450 वरिष्ठ प्रबंधकों की एक सूची से ऐसे 75 अधिकारियों को छांटा गया है,
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक सृजित करने के लिए पिछले महीने तीन बैंकों के विलय को मंजूरी दी थी।
सरकार की हिस्सेदारी कम करने से बैंकों को बाजार नियामक सेबी के नियमों को पूरा करने में भी मदद मिलेगी।
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने गैर-निष्पादित कर्जों (एनपीए) की वसूली की दिशा में तेजी से कार्रवाई की और दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) भी बनाई।
सरकार की विभिन्न मुहिमों का असर दिखने लगा है और इनके कारण सार्वजनिक बैंकों की गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) में चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 23 हजार करोड़ रुपए से अधिक की कमी आई है।
सरकार इस माह के अंत तक रिकैपिटालाइजेशन बांड के जरिये सात सरकारी बैंकों में 28,615 करोड़ रुपए की पूंजी का निवेश करेगी।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को कहा कि सरकार चालू वित्त वर्ष के बचे हुए 3 महीनों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 83,000 करोड़ रुपए की पूंजी डालेगी।
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