नेपाली पीएम प्रचंड की चीन यात्रा पर जाने से पहले अमेरिका ने नेपाल को 20 मिलियन डॉलर की मदद का ऐलान कर बड़ा दांव खेला है। इस कदम से चीन हैरान रह गया है। नेपाल में लोकतंत्र की मजबूती के लिए दी गई इस राशि से चीन को बड़ा धक्का लगा है। क्योंकि नेपाली पीएम आधिकारिक यात्रा पर चीन जाने वाले हैं। इससे पहले ही अमेरिका ने 20 मिल
नेपाल के पीएम पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' चीन के दौरे पर जा रहे हैं। वे वहां एशियाई खेलों के उद्घाटन समारोह में मौजूद रहेंगे। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मिलने का कार्यक्रम है। प्रचंड की चीन यात्रा से पहले भारत से नेपाल का 'इलेक्ट्रिसिटी' समझौता हुआ है। इससे चीन को मिर्ची लगेगी।
नेपाल ने भारत के कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख क्षेत्र को लेकर फिर से विवाद पैदा कर दिया है। चीन के हाल के नक्शे में इन भारतीय क्षेत्रों को हिंदुस्तान में ही दर्शाया गया है, लेकिन नेपाल ने इसे अपना हिस्सा बताते हुए चीन के नक्शे का विरोध किया है।
नेपाल ने भारत को अगले 10 वर्षों में 10 हजार मेगावाट बिजली देने का ऐलान किया है। इससे चीन को 440 बोल्ट का करंट लगा है। चीन नेपाल और भारत के रिश्ते मधुर होते नहीं देखना चाहता है। मगर पीएम प्रचंड ने पीएम मोदी से ऐलान के बाद दोनों देशों के बीच रिश्ते सुधारने की पहल शुरू कर दी है।
प्रचंड को पीएम बने रहने के लिए गठबंधन के दलों को खुश रखना पड़ रहा है। अनिता देवी जनमत पार्टी की नेता हैं। पार्टी के 6 सांसद हैं।
नेपाल के पीएम प्रचंड ने भारत से जुड़े बयान के मसले पर खेद व्यक्त कर दिया है। दरअसल पीएम ने अपने एक बयान में कह दिया था कि एक भारतीय कारोबारी ने उनकी बहुत मदद की। वह उन्हें पीएम बनवाने के लिए प्रयासरत थे। इस पर विपक्ष प्रचंड के इस्तीफे पर अड़ गया था।
नेपाल के पीएम पुष्पकुमार दहल 'प्रचंड' अपने एक बयान से विवादों में घिर गए हैं। नेपाल विपक्ष उनसे इस्तीफा मांग रहा है। उन्होंने अपने पीएम बनने में भारत की भूमिका का जिक्र किया था। हालांकि बयान से पलट गए। जानिए क्या है पूरा विवाद, प्रचंड का कब कब रहा विवादों से नाता?
प्रचंड ने कहा हमने नए भारतीय मानचित्र का मुद्दा उठाया, जिसे संसद में रखा गया है। हमने एक विस्तृत अध्ययन नहीं किया है, लेकिन जैसा कि मीडिया में बताया गया है, हमने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया है। लेकिन इसके जवाब में, भारतीय पक्ष ने कहा कि यह एक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक मानचित्र था न कि राजनीतिक।
भारत की नई संसद में अखंड भारत के मैप को लेकर नेपाल में कुछ दल आपत्ति जाहिर कर रहे हैं। नेपाली दलों का कहना है कि भारत ने उनके कुछ हिस्से को अपना दिखाया है। प्रचंड ने अपनी संसद में जवाब दिया कि वह नक्शा सांस्कृतिक है, राजनीतिक नहीं।
नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड 31 मई से ही भारत दौरे पर हैं। उन्होंने आज उज्जैन में भगवान महाकाल के गर्भगृह का दर्शन कर रुद्राक्ष भेंट किया।
दोनों देशों के बीच 2022-23 में व्यापार 8.9 अरब डॉलर का था जो 2021-22 में 11 अरब डॉलर का था।
बैठक के बाद मीडिया को दिए बयान में मोदी ने कहा कि उन्होंने और प्रचंड ने भविष्य में दोनों देशों के बीच साझेदारी को ‘सुपर हिट’ बनाने के लिए कई अहम फैसले लिए हैं।
नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' पीएम का पद संभालने के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा पर आज नई दिल्ली पहुंचे। वे अपने चार दिनों के दौरे में पीएम नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के मुलाकात करेंगे।
नेपाल के पीएम प्रचंड का उज्जैन के महाकाल मंदिर में दर्शन करने का भी कार्यक्रम है। यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री प्रचंड का राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से शिष्टाचार भेंट करने का कार्यक्रम है।
काफी उतार चढ़ावों के बाद अब फाइनली नेपाल के प्रधानमंत्री भारत के दौरे पर आ रहे हैं। वे 31 मई को भारत आएंगे।
इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण संबंधी इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण संबंधी परियोजनाओं पर खर्च के लिए नेपाल को चीन 80 अरब ‘नेपाली‘ रुपये देगा। इस बात पर सहमति महत और काठमांडू स्थित चीन के राजदूत चेन सोंग के बीच बातचीत में बनी।
दोनों देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों की ओर इशारा करते हुए प्रचंड ने कहा, ‘नेपाल और चीन मैत्रीपूर्ण, सौहार्दपूर्ण और सहकारी संबंधों का एक लंबा इतिहास संजोए हुए हैं। नेपाल और चीन के बीच आर्थिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का इतिहास बहुत पुराना है।‘
नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड अब जून तक भारत आएंगे। हालांकि उन्हें इसके पहले ही आना था, लेकिन यह यात्रा टल गई है। यात्रा टलने से चीन को राहत महसूस हो रही थी, लेकिन जून में यात्रा का कार्यक्रम बनने की सूचना से फिर चीन के पेट में दर्द शुरू हो गया है।
नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड की सरकार ने भारत के साथ लंबे समय से चले आ रहे कालापानी लिपुलेख और लिंपियाधुरा जैसे सीमा विवादों को कूटनीति के माध्यम से सुलझाने की बात कही है। ‘प्रचंड’ के नेतृत्व में बनी 10 पार्टियों की गठबंधन सरकार ने बृहस्पतिवार को अपने न्यूनतम साझा कार्यक्रम (सीएमपी) की घोषणा की।
नेपाल में पिछले दो महीने में ही सत्ता में आए बदलाव के बाद संवैधानिक बाध्यता के कारण पीएम दहल को एक बार फिर विश्वास मत की अग्निपरीक्षा से गुजरना पड़ा। इसमें वे विजयी हुए।
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