दुनिया भर में गरीबी को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने बड़ा चौंकाने वाला आंकड़ा जारी किया है। इसमें दुनिया के करीब 112 देशों का आंकड़ा जुटाया गया है। अच्छी खबर यह है कि भारत में गरीबों की संख्या 3 गुना से ज्यादा कम हो गई है। मगर दुनिया में जनसंख्या के लिहाज से अब भी भारत में सबसे ज्यादा गरीब हैं।
सुब्रमण्यम ने यह भी कहा कि खुदरा महंगाई में भोजन का योगदान कम होगा और शायद पहले के वर्षों में भी कम था। इसका मतलब है कि मुद्रास्फीति को बढ़ा-चढ़ाकर बताया जा रहा था और शायद कम है, क्योंकि मुद्रास्फीति में भोजन का प्रमुख योगदान रहा है।
संयुक्त राष्ट्र ने एक प्रेस रिलीज में इस रिपोर्ट का विवरण देते हुए कहा कि भारत में इन 15 वर्षों के दौरान करीब 41.5 करोड़ लोगों का बहुआयामी गरीबी के चंगुल से बाहर निकल पाना एक ऐतिहासिक परिवर्तन है।
सूचकांक में बताया गया कि भारत में 2005-06 और 2015-16 के बीच 27.1 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकल आए। देश में गरीबी की दर लगभग आधी रह गई है और दस वर्षों के अंतराल में यह 55 फीसदी से कम होकर 28 फीसदी रह गई है।
वित्त वर्ष 2005-06 से 2015-16 के बीच के एक दशक में भारत में 27 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर निकल गए हैं, जो एक आशाजनक संकेत है कि गरीबी के खिलाफ वैश्विक लड़ाई जीती जा सकती है।
देश की ग्राम पंचायतों में आर्थिक वृद्धि और गरीबी मापने के लिए अब सरकार नए पैमाइश का उपयोग करेगी। इसके तहत सरकार बैंक बैलेंस जांचेगी।
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