दुनिया भर में गरीबी को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने बड़ा चौंकाने वाला आंकड़ा जारी किया है। इसमें दुनिया के करीब 112 देशों का आंकड़ा जुटाया गया है। अच्छी खबर यह है कि भारत में गरीबों की संख्या 3 गुना से ज्यादा कम हो गई है। मगर दुनिया में जनसंख्या के लिहाज से अब भी भारत में सबसे ज्यादा गरीब हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान को कटोरा लेकर भीख मांगने के लिए मजबूर तो किया ही, अब उसे पूरी तरह से दरिद्र भी बना दिया है। पाकिस्तान के पास अब जीवन चलाने के लिए फूटी कौड़ी भी नहीं है। लिहाजा वह आईएमएफ से फिर 7 बिलियन डॉलर का कर्ज ले रहा है।
पाकिस्तान को तेल और गैस के साथ सोने का भी विशाल भंडार मिला है। इससे अब कंगाल पाकिस्तान की रातों-रात किस्मत बदलने की उम्मीद है। पाकिस्तान इस तेल, गैस और सोने को बेचकर अरब देशों की तर्ज पर अमीर बन सकता है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने भी मोदी सरकार के विकास पर मुहर लगा दी है। यूएनजीए ने बताया है कि मोदी सरकार ने किस तरह से लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है। महासभा ने पूरी दुनिया को भारत का उदाहरण देते कहा कि यहां सिर्फ डिजिटलीकरण से 80 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए हैं।
2004-2005 और 2011-12 के बीच गरीबी में उल्लेखनीय कमी आई और यह 38.6 प्रतिशत से घटकर 21.2 प्रतिशत रह गई। महामारी से पैदा हुई चुनौतियों के बावजूद इसमें गिरावट का सिलसिला जारी रहा और यह 21.2 प्रतिशत से घटकर 2022-24 में 8.5 प्रतिशत पर आ गई।
पाकिस्तान के दिन बदल गए हैं। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने जो बयान दिया उससे तो यही लग रहा है कि पाकिस्तान अब तरक्की की राह में आगे बढ़ने वाला है। देश की मुसीबतें खत्म होने वाली हैं।
पाकिस्तान अपने आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में नाकाम साबित हो रहा है। पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति बिगड़ती जा रही है। विश्व बैंक ने भी आर्थिक मोर्चे पर पाकिस्तान को चेताया है।
एक प्रमुख अमेरिकी थिंक टैंक 'द ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूशन' के अर्थशास्त्री सुरजीत भल्ला और करण भसीन ने हाल में जारी 2022-23 के उपभोग व्यय के आंकड़ों का हवाला दिया।
सुब्रमण्यम ने यह भी कहा कि खुदरा महंगाई में भोजन का योगदान कम होगा और शायद पहले के वर्षों में भी कम था। इसका मतलब है कि मुद्रास्फीति को बढ़ा-चढ़ाकर बताया जा रहा था और शायद कम है, क्योंकि मुद्रास्फीति में भोजन का प्रमुख योगदान रहा है।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा का कहना है कि असम असम आधुनिक इतिहास के सबसे समृद्ध दौर से गुजर रहा है। गरीबी दर में 25 फीसदी की गिरावट आई।
राज्य स्तर पर, उत्तर प्रदेश में 5.94 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले और इस मामले में यह सूची में शीर्ष पर है। इसके बाद बिहार में 3.77 करोड़ और मध्य प्रदेश में 2.30 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले।
रिपोर्ट में कहा गया कि दुनिया के 10 सबसे बड़े निगमों में से सात में मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) या प्रमुख शेयरधारक एक अरबपति हैं।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने पूर्व में मदद करने वाले देशों की तारीफ की है। ताकि बाढ़ से जूझ रहे पाकिस्तान को फिर से दया की भीख मिल सके। पाकिस्तान में हजारों लोग बाढ़ से बेघर हो चुके हैं। दो वक्त की रोटी के भी गरीबों को लाले पड़े हैं।
भारत में कुल 415 मिलियन लोग केवल 15 वर्षों (2005-06-2019-21) के भीतर गरीबी से बाहर आ गए, जो मानव विकास मापदंडों में उल्लेखनीय सुधार को दर्शाता है।
Mothers Selling Children: बल्ख प्रांत में रहने वाली इस महिला का कहना है कि उसे अत्यधिक गरीबी के कारण अपने बच्चे को मजबूरन बेचने का फैसला लेना पड़ा है। उसके पास खाने तक के लिए कुछ नहीं है।
संयुक्त राष्ट्र ने एक प्रेस रिलीज में इस रिपोर्ट का विवरण देते हुए कहा कि भारत में इन 15 वर्षों के दौरान करीब 41.5 करोड़ लोगों का बहुआयामी गरीबी के चंगुल से बाहर निकल पाना एक ऐतिहासिक परिवर्तन है।
Delhi News: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले ने रविवार को देश में बेरोजगारी और आय में बढ़ती असमानता पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि गरीबी देश के सामने एक राक्षस जैसी चुनौती के रूप में सामने आ रही है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले ने रविवार को देश में बेरोजगारी और आय में बढ़ती असमानता पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि गरीबी देश के सामने एक राक्षस जैसी चुनौती के रूप में सामने आ रही है।
Nitin Gadkari: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने नागपुर में एक कार्यक्रम में शिरकत करते हुए कहा कि देश के भीतर अमीर एवं गरीब के बीच की खाई गहरी हो रही है जिसे पाटने की जरूरत है।
Poverty in Bangladesh: गरीबी से जूझ रहे बांग्लादेश की सरकार ने लोगों को इससे बाहर निकालने का ऐसा नुख्सा तैयार किया है, जिसे सुनकर आप हैरान रह जाएंगे। आप गहरी सोच में पड़ जाएंगे कि ऐसा भला कैसे हो सकता है। दरअसल बांग्लादेश की अधिकांश आबादी गरीबी की मार झेल रही है।
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