सरकार ने सभी मोर्चों पर गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ी है और इसके परिणामस्वरूप, पिछले 10 वर्षों में 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए हैं। मल्होत्रा ने बताया कि अकेले दिल्ली में 65 लाख पीएम जन धन खाते हैं, जिनमें कुल 3,114 करोड़ रुपये जमा हैं, साथ ही रुपे कार्ड के 50 लाख लाभार्थी हैं।
डेरन एसमोग्लू, साइमन जॉनसन और जेम्स रॉबिनसन ने स्टडी के बाद कहा कि जब यूरोपीय लोगों ने दुनिया के एक बड़े हिस्से पर उपनिवेश स्थापित किया, तो उन समाज में संस्थाएं बदल गईं। ये कहीं-कहीं बहुत बड़ा बदलाव था, लेकिन ऐसा हर जगह नहीं हुआ।
अफ्रीकी गणराज्य के देश बोत्सवाना की किस्मत अचानक करवट ले चुकी है। बोत्सवाना में 2492 कैरेट हीरे की विशाल खदान मिली है, जिसने इस अफ्रीकी देश को रातों-रात अमीर बना दिया है। इससे पहले दुनिया का सबसे विशाल हीरा 100 साल से भी ज्यादा समय पहले दक्षिण अफ्रीका में कलिनन हीरा खोजा गया था।
ब्रोकरेज फर्म ने उपभोग वृद्धि में पुनरुद्धार को ‘असमान’ बताते हुए कहा कि प्रीमियम कारों, एक करोड़ रुपये से अधिक कीमत वाले घरों, 25,000 रुपये से अधिक कीमत वाले स्मार्टफोन की बिक्री तेजी से बढ़ी है।
पाकिस्तान, श्रीलंका, चीन, मालदीव, वर्मा, नेपाल जैसे छोटे-छोटे और निम्न आय वाले देशों को चीन ने षड्यंत्रपूर्वक अपना आर्थिक गुलाम बना लिया है। पहले उन्हें ऋण जाल के दुष्चक्र में फंसाया, फिर उनकी संपत्तियों पर अपना कब्जा जमाने लगा। इस पर संयुक्त राष्ट्र भी खामोश है, मगर भारत ने यूएन में चीन की इस मुद्दे पर हवा निकाल दी।
पाकिस्तान बुरी तरह गरीबी और भुखमरी के चंगुल में फंस चुका है। 1 वर्ष के दौरान विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार 39.4 फीसदी गरीब बढ़ गए हैं। पाकिस्तान की कुल जनसंख्या 23 करोड़ है और इनमें से 9.5 करोड़ लोग गरीबी में जी रहे हैं। इससे पाकिस्तान की बदहाली का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया कि पोषण अभियान और एनीमिया मुक्त भारत जैसी योजनाओं ने स्वास्थ्य के मोर्चे पर कमियों को दूर करने में योगदान दिया है।
इसमें कहा गया है कि भारत सहित दुनिया के 25 देशों ने पिछले 15 साल में सफलता के साथ अपने वैश्विक एमपीआई मूल्य को आधा किया है। इससे इन देशों में हुई प्रगति का पता चलता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने कोविड-19 महामारी के बीच 'आत्मनिर्भर भारत' के लक्ष्य को अपनाया था।
अगर भारत के अमीरों की संपत्ति पर 2% की दर से एक बार टैक्स लगाया जाए, तो देश में अगले तीन साल तक कुपोषित लोगों के भोजन के लिए 40,423 करोड़ रुपये की जरूरत को पूरा किया जा सकेगा।
AQI: दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में हवा की गुणवत्ता बेहद खराब स्तर पर पहुंच गई है। दिल्ली से सटे नोएडा और गाजियाबाद में तो हालत और बुरी है। यहां कई इलाकों में AQI 400 के स्तर से ज्यादा हो गया है। लिहाजा लोगों खासकतर अस्थमा के मरीजों को सांस लेने में दिक्कतें हो रही है।
दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी ने शनिवार को आरोप लगाया कि यहां लोगों को मार्च में खाद्य सुरक्षा कानून (एफएसए) के तहत उनका राशन नहीं मिला, जबकि केंद्र शहर के 72 लाख से अधिक लोगों के लिए यह उपलब्ध कराता है।
सरकार द्वारा शुक्रवार को जारी बयान के अनुसार, मुख्यमंत्री ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि किसी गरीब की दुकान, मकान या झोपड़ी पर बुलडोजर नहीं चलेगा।
‘महामारी, गरीबी और असमानता : भारत से मिले साक्ष्य’ शीर्षक से जारी दस्तावेज में देश में गरीबी का अनुमान और उपभोग में असामनता पर अनुमान प्रस्तुत किये गये हैं।
पीएम मोदी कांग्रेस एवं विपक्षी दलों की पूर्ववर्ती सरकारों के दौरान पीडीएस में हुई धांधली का आरोप लगाते हुए कहा, 'जब इन लोगों की सरकार थी, तो इन्होंने गरीबों के राशन को लूटने के लिए अपने चार करोड़ फर्जी लोग कागजों में तैनात कर दिए थे। ऐसे नाम जो पैदा ही नहीं हुए। इन चार करोड़ फर्जी लोगों के नाम से राशन उठाया जाता था, बाजार में बेचा जाता था और उसके पैसे इन लोगों के काले खातों में पहुंचाया जाता था।'
रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 20 करोड़ लोग या विकासशील एशिया की 5.2 प्रतिशत आबादी, 2017 तक अत्यधिक गरीबी में रहती थी। महामारी नहीं आती तो ये आंकड़ा 2020 तक 2.6 प्रतिशत संभव था
कर्नाटक की 6 करोड़ जनसंख्या में से करीब तीन फीसदी ब्राह्मण समुदाय की है। राज्य में ब्राह्मण विकास बोर्ड द्वारा शुरू की गई ये दोनों योजनाएं कांग्रेस सरकार द्वारा साल 2013 में शुरू की गई शादी भाग्य स्कीम की तर्ज पर है, जिसके तहत गरीब अल्पसंख्यक परिवारों से आने वाली महिलाओं की शादी के लिए 50,000 रुपये की मदद की जाती थी।
उत्तर प्रदेश ने केन्द्र सरकार के जलशक्ति मंत्रालय द्वारा शुरू किये गये गरीब कल्याण रोजगार अभियान (जीकेआरए) के क्रियान्वयन में आठ पुरस्कार हासिल किये हैं। एक प्रवक्ता ने बताया कि समग्रता में उत्तर प्रदेश अव्वल है।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा है कि गरीब एवं जरूरतमंद वर्गों के कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को अस्पतालों में भर्ती करते समय रियायती दर पर या मुफ्त उपचार उपलब्ध कराने के लिए उनसे दस्तावेजी साक्ष्य पेश करने की उम्मीद नहीं की जा सकती।
सरकार कर्ज दे, लेकिन भारत माता को अपने बच्चों के साथ साहूकार का काम नहीं करना चाहिए, सीधे उनकी जेब में पैसे देना चाहिए।
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