रविवार को दिल्ली का AQI 256 दर्ज किया गया है, जो कुछ सुकून देने वाला है। यह जानकारी वायु गुणवत्ता एवं मौसम पूर्वानुमान और अनुसंधान प्रणाली (सफर) ने दी। शनिवार को दिल्ली का AQI 281 दर्ज किया गया था।
दिल्ली में तीन दिन बाद हवा की गुणवत्ता एक बार फिर खराब से बेहद खराब श्रेणी में पहुंच गई है। इससे पहले छह दिसंबर को दिल्ली की हवा बेहद खराब श्रेणी में थी।
अगर आप लंबे समय से सूखी खांसी से परेशान हैं तो आप कुछ आयुर्वेदिक उपायों को अपनाकर इसे छुटकारा पा सकते हैं जिससे आपको खांसी की जलन और जकड़न से राहत मिल सकती है।
जब प्रदूषण बढ़ता है तब स्मॉग की वजह से हवा में धुंध की एक परत बना देता है, जिसके कारण सांस लेना भी दूभर हो जाता है।
प्रदूषण कम करने के लिए दिल्ली में कई जगहों पर पानी का छिड़काव किया जा रहा है ताकि हवा में धूल कम फैले और इसके लिए दिल्ली सरकार ने 500 टैंकर लगाए हुए हैं। सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने के लिए 1000 CNG बसों को किराए पर लिया गया है।
मेहता ने पीठ को बताया कि केंद्र सरकार के अधिकारियों के लिए घर से काम करने के मुद्दे पर विचार किया गया लेकिन केंद्र सरकार के अधिकारियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले कुल वाहन ज्यादा नहीं हैं इसलिए घर से काम करने के बजाय हमने पूलिंग और वाहनों को साझा करने के लिए परामर्श जारी किया है।
Pollution in Delhi NCR: CAQM ने दिल्ली और NCR में आने वाले राज्यों को निर्देश दिया कि 21 नवंबर तक सभी तरह के निर्माण और तोड़फोड़ के कार्यों को रोक दिया जाए। हालांकि इसमें रेलवे सेवाओं/रेलवे स्टेशन, मेट्रो सेवाओं, एयरपोर्ट, ISBT और राष्ट्रीय सुरक्षा/रक्षा संबंधी गतिविधियां/राष्ट्रीय महत्व की परियोजनाओं से जुड़े कार्यों को जारी रखने की छूट दी गई है।
नई दिल्ली में आज प्रदूषण पर एक इमरजेंसी मीटिंग हुई। इस बैठक में प्रदूषण को लेकर केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच मंथन हुआ।
दिल्ली में रहने वाले लोग इस साल फिर प्रदूषण की समस्या से जुझ रहे है। ऐसे में इतने सालों में इस समस्या का समाधान अब तक क्यो नही हो पाया इसे लेकर दिल्ली और इस संबंध में जो भी जिम्मेदार है उनसे सवाल पूछे जाने चाहिए।
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक हवा को जहरीली बनाने में पराली के धुएं की हिस्सेदारी 15 प्रतिशत तक बढ़ गई है। इससे प्रदूषण का स्तर खतरनाक श्रेणी में पहुंच गया है।
ब्रिटेन के ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र सीओपी-26 के राष्ट्राध्यक्ष और शासनाध्यक्ष सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए प्रधानमंत्री मोदी 2070 तक शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य दिया था
इस वक्त लखनऊ की सड़कों पर सब तरफ धुंध छाई हुई है। प्रदूषण इतना है कि सांस लेना मुश्किल है। डॉक्टरों का कहना है कि दिवाली पर जलाए गए पटाखों की वजह से हुए प्रदूषण के कारण मरीज़ों की तादाद बढ़ गई है।
सर्वेक्षण के दौरान दिल्ली, गुड़गांव, नोएडा, गाजियाबाद एवं फरीदाबाद के 34000 से अधिक लोगों से जवाब मिले। इनमें 66 फीसदी प्रत्युत्तरदाता पुरूष एवं 34 फीसदी महिलाएं थीं। सर्वेक्षण में उनसे पिछले सप्ताह दिल्ली-एनसीआर में वायु की गुणवत्ता गंभीर होने के बाद उनके सामने उत्पन्न हुई स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के बारे में पूछा गया था।
दिल्ली में यमुना नदी में प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा है। यमुना के पानी में प्रदूषण की वजह से झाग की मोटी परत बनी हुई है और अमोनिया का स्तर पर बहुत ज्यादा बढ़ा हुआ है।
किसानों का बड़ा वोट बैंक है, जो किसी भी नेता को कोई ठोस कदम लेने से रोकता है। पराली जलाने वालों के खिलाफ दिखाने के लिए मामले तो दर्ज किए जाते हैं लेकिन सियासत में होने वाले नुकसान को न होने देने के लिए पर्यावरण को नुकसान होने दिया जाता है।
राष्ट्रीय राजधानी के कई हिस्सों और उसके उपनगरों में लोगों ने सुबह सिर में दर्द, गले में जलन और आंखों से पानी आने की शिकायतें की। चिंतित नागरिकों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर आतिशबाजी की तस्वीरें और वीडियो साझा किए और पटाखों पर प्रतिबंध को ‘‘मजाक’’ बताया।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान एजेंसी ‘सफर’ के अनुसार, शुक्रवार को दिल्ली के पीएम 2.5 में पराली की हस्सेदारी 36 प्रतिशत रही, जो इस मौसम में अब तक का सर्वाधिक आंकड़ा है। सफर के संस्थापक परियोजना निदेशक गुफरान बेग ने कहा, "पटाखों के कारण उत्पन्न उत्सर्जन की वजह से दिल्ली की समग्र वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी के उच्च स्तर तक गिर गई है, जबकि पराली जलाने से हुए उत्सर्जन का हिस्सा आज 36 प्रतिशत पर पहुंच गया है।"
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भारत ने 2030 तक अपनी ऊर्जा जरूरतों का 50 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा से प्राप्त करने, कार्बन उत्सर्जन में एक अरब टन की कटौती करने, कार्बन गहनता में 45 प्रतिशत तक कटौती करने का भी लक्ष्य रखा है।
आंध्र प्रदेश में बाडवेल विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए मतदान सुबह सात बजे आरंभ हुआ। मतदाताओं को कतारों में खड़े देखा गया। कड़पा के पुलिस अधीक्षक केकेएन अन्बुराजन ने बताया कि 281 मतदान केंद्रों में से 148 को ‘‘संवेदनशील’’ माना गया है।
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