सरकार को उम्मीद है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दरों में कटौती करेगा।
RBI की तरफ से ब्याज दरों में कटौती होती है तो त्योहारी सीजन को देखते हुए बैंक, होम लोन और ऑटो लोन की दरों को घटाने में देर नहीं करेंगे
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) वित्त वर्ष 2017-18 में बाकी बची अवधि के लिए नीतिगत दर को मौजूदा स्तर पर बरकरार रख सकता है।
RBI जून तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का आंकड़ा निराशाजनक रहने के बावजूद अक्टूबर में द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दरों को यथावत रख सकता है
नोमुरा के अनुसार, आर्थिक वृद्धि और मुद्रास्फीति में अगले 6 से 12 महीने में तेजी की संभावना है और इसके कारण रिजर्व बैंक नीतिगत दर को यथावत बनाये रख सकता है।
RBI इस साल नीतिगत दरों के मोर्चे पर यथास्थिति कायम रखेगा, हालांकि, 2018 में दरों में बढ़ोतरी का जोखिम है। गोल्डमैन सैक्स ने यह अनुमान लगाया है।
विश्लेषकों का मानना है कि मुद्रास्फीति के तय लक्ष्य के मुकाबले काफी नीचे होने के बावजूद RBI अप्रैल की मौद्रिक नीति समीक्षा में यथास्थिति बनाए रख सकता है।
सितंबर महीने में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की वृद्धि में हल्की नरमी आई। PMI सितंबर में घटकर 52.1 पर आ गया जो अगस्त में 52.6 था।
RBI के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति मंगलवार को अपनी पहली मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दरों में यथास्थिति बनाए रख सकती है।
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