मार्च के अंत में यह आंकड़ा 78,110 करोड़ रुपए, अप्रैल में 81,220 करोड़ रुपए और मई के अंत में 82,619 करोड़ रुपए था।
पार्टिसिपेटरी नोट्स (पी-नोट्स) के माध्यम से भारतीय पूंजी बाजार में निवेश नवंबर में बढ़कर 79,247 करोड़ रुपए पर पहुंच गया।
सेबी की ओर से नियमों का दुरुपयोग रोकने के लिए नियम सख्त बनाने के बीच भारतीय पूंजी बाजार में पी-नोट्स के जरिये निवेश मई अंत तक गिरकर 9 वर्ष से अधिक के न्यूनतम स्तर पर आ गया।
भारतीय पूंजी बाजारों में भागीदार पत्रों (पी-नोट) के जरिये किया जाने वाला कुल विदेशी निवेश अप्रैल में घटकर एक लाख करोड़ रुपए के स्तर पर आ गया, जो इसका नौ साल का न्यूनतम स्तर है।
भारत के पूंजी बाजार में पार्टिसिपेटरी नोट (पी-नोट) के जरिए निवेश अप्रैल अंत तक घटकर 2.11 लाख करोड़ रपए के 20 महीने के न्यूनतम स्तर पर आ गया है।
पी-नोट्स के जरिये भारतीय पूंजी बाजार में होने वाला निवेश मार्च 2016 में 2.23 लाख करोड़ रुपए रहा, फरवरी में पी-नोट्स निवेश 18 महीने के निचले स्तर पर था।
2015 में भारतीय कंपनियों के विलय एवं अधिग्रहण (एमएंडए) सौदोंे का आंकड़ा 20 अर डॉलर रहा। पी-नोट्स के जरिये निवेश नवंबर के अंत तक निवेश घटकर 2.54 लाख करोड़ रहा
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