विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर जनवरी में तीन माह के निचले स्तर पर पहुंच गई। इसकी अहम वजह कारखानों का उत्पादन, नए ऑर्डर और रोजगार वृद्धि का धीमा रहना है। यह बात कंपनियों के परचेजिंग मैनेजरों के बीच किए जाने वाले एक मासिक सर्वेक्षण में सामने आयी है।
सालभर परेशानियों के दौर से जूझने वाले भारत के विनिर्माण क्षेत्र के लिए 2017 का अंतिम महीना शानदार वृद्धि लाने वाला रहा। दिंसबर में परिचालन स्थितियां बेहतर रहने से यह पांच महीने के उच्च स्तर पर रहा।
शेयर बाजारों की दशा व दिशा जीडीपी व विनिर्माण क्षेत्र के लिए पीएमआई आंकड़ों से भी तय होगी जो अगले सप्ताह आने हैं
GST के कारण अक्टूबर में निक्केई इंडिया का मैन्युफैक्चरिंग PMI अक्टूबर में घटकर 50.3 पर आ गया, जो सितंबर में 51.2 पर था।
RBI की द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा और सप्ताह के दौरान जारी होने वाले वृहद आर्थिक आंकड़ों से आने वाले सप्ताह के दौरान शेयर बाजार की चाल तय होगी।
विनिर्माण क्षेत्र में नये आर्डर मिलने, उत्पादन और रोजगार गतिविधियां बढ़ने से अगस्त में उछाल दर्ज किया गया। पीएमआई आंकड़ों में यह बात सामने आई है।
देश में जुलाई में वस्तु एवं सेवा कर (GST) लागू होने के बाद मैन्युफैक्चरिंग PMI में गिरावट आई है, क्योंकि इस दौरान नए ऑर्डर और उत्पादन में कमी रही।
नए ऑर्डर मिलने से जून माह के दौरान सर्विस सेक्टर की गतिविधियों में जोरदार उछाल आया है और इस क्षेत्र का PMI आंकड़ा 53.1 अंक पर पहुंच गया।
मासिक आधार पर सेवा क्षेत्र के उत्पादन की निगरानी करने वाला निक्केई इंडिया का सर्विसेज परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) मई में बढ़कर 52.2 पर पहुंच गया।
शेयर बाजार के विशेषज्ञों के अनुसार, RBI की मौद्रिक समीक्षा, इकॉनोमिक डाटा और मॉनसून की चाल चालू सप्ताह में शेयर बाजार की दिशा तय करेंगी।
कंपनियों के तिमाही नतीजों के आंकड़े, घरेलू और वैश्विक व्यापक आर्थिक आंकड़े, वैश्विक बाजारों के रुझान, FPI और DII के रुख अगले हफ्ते तय करेंगे बाजार की चाल।
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में अप्रैल में लगातार चौथे महीने वृद्धि दर्ज की गई। हालांकि, वृद्धि में इससे पिछले महीने के मुकाबले ज्यादा बदलाव नहीं देखा गया।
चीन की GDP चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 6.8 प्रतिशत रह सकती है। गोल्डमैन सैक्स ने यह अनुमान जताया है। पिछले साल आर्थिक वृद्धि दर 6.9 प्रतिशत थी।
देश का सर्विस सेक्टर PMI में लगातार दूसरे महीने बढ़ा। निक्केई सर्विसिज के मुताबिक फरवरी के मुकाबले मार्च में सर्विस सेक्टर PMI 50.3 से बढ़कर 51.5 हो गया है।
द निक्केई मार्किट मैन्युफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) मार्च में बढ़कर 52.5 अंक पर पहुंच गया। फरवरी में यह 50.7 पर था।
देश के सेवा क्षेत्र में अक्टूबर के बाद पहली बार फरवरी में फिर रौनक देखने को मिली है। तीन महीने के बाद पिछले माह सेवा क्षेत्र के कारोबार में सुधार आया है।
निक्की मार्किट इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई अनुसार फरवरी में विनिर्माण सूचकांक बढ़कर 50.7 रहा जो जनवरी के 50.4 के आंकड़े से अधिक है।
नोटबंदी का असर देश के सर्विस सेक्टर की गतिविधियों पर पड़ा है। दिसंबर में लगातार दूसरे महीने सर्विस सेक्टर के कारोबार में संकुचन हुआ और नए ऑर्डर भी घटे हैं।
देश के मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की इकोनॉमिक हेल्थ का इंडीकेटर माने जाने वाले PMI दिसंबर में घटकर 49.6 अंक रह गया, जो कि इससे पहले नवंबर में 52.3 अंक था।
नोटबंदी के चलते नवंबर माह में पीएमआई की वृद्धि रफ्तार धीमी पड़ी। नकदी की कमी के चलते घरेलू खपत कमजोर पड़ने से वस्तुओं के उत्पादन, नए ऑर्डर पर असर पड़ा है।
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