जुड़वाओं का श्राद्ध, तीन कन्याओं के बाद पुत्र या तीन पुत्रों के बाद कन्या का श्राद्ध भी इसी दिन किया जायेगा
आश्विन मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी को इंदिरा एकादशी कहते हैं। इस बार ये इंदिरा एकादशी 13 सितंबर को है। जानें इंदिरा एकादशी के व्रत का शुभ मुहूर्त और नियम और कथा।
श्राद्ध या पिंडदान मुख्यतः तीन पीढ़ियों तक के पितरों को दिया जाता है। पितृपक्ष में किये गए कार्यों से पूर्वजों की आत्मा को तो शांति प्राप्त होती ही है।
श्राद्ध में तर्पण का बहुत अधिक महत्व है। तर्पण से पितर संतुष्ट और तृप्त होते हैं। जानिए पिडदान और तर्पण करने की विधि।
पितरों का श्राद्ध करते वक्त काफी सावधानी बरतनी चाहिए। क्योंकि आपके द्वारा की गई एक लापरवाही आपके पूर्वजों को नाराज कर सकती हैं। ऐसे ही कुछ काम हैं जो श्राद्ध के समय बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।
गरूड़ पुराण के अनुसार श्राद्ध के सोलह दिनों के दौरान नक्षत्रों में श्राद्ध करना शुभ फलदायी माना गया है। जानिए आचार्य इंदु प्रकाश से इन फलों के बारे में।
इस माह की शुरुआत अनंत चतुर्दशी के साथ साथ-साथ पितृ पक्ष के साथ हो रही हैं वहीं समाप्ति प्रदोष व्रत के साथ हो रही हैं। जानिए हिंदू पंचांग के अनुसार सिंतबर माह में पड़ने वाले व्रत-त्योहारों के बारे में।
प्रतिपदा तिथि वालों का श्राद्ध किया जायेगा। जिन लोगों का स्वर्गवास किसी भी महीने के कृष्ण या शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को हुआ हो, उन लोगों का श्राद्ध आज के दिन किया जायेगा।
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