पितरो को समर्पित पितृ पक्ष अश्विनी मास की कृष्ण पक्ष की पूर्णमासी में भाद्रपद का क्षय होने के साथ शुरु होते है। 16 दिन के लिए हमारे पितृ घर में विराजमान होते है। जानें तिथि, मुहूर्त और नियम
आश्विन अमावस्या पितृगण के निमित विशेष पर्व है, जिसमें पितृ के लिए पिंडदान, तर्पण व श्राद्ध आदि करके व्यक्ति पितृ ऋण से मुक्ति पा सकता है। जानिए आचार्य इंदु प्रकाश से किस शुभ मुहूर्त और कैसे करें अपने पितरों को विदा..
आज सूर्य उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में जाएंगा। जिसके कारण आज महालक्ष्मी संबंधी ये उपाय करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। इसके साथ ही मां लक्ष्मी की कृपा आपके ऊपर बनी रहती है। जानिए आचार्य इंदु प्रकाश से क्या करें उपाय...
श्राद्ध पक्ष में नक्षत्र के हिसाब से पिंडदान, तर्पण करने से धन-धान्य की तो प्राप्ति होती है। इसके साथ ही पितृदोष से भी निजात मिल सकता है। जानिए किस नक्षत्र में क्षाद्ध करने में कौन सा लाभ मिलेगा।
बिहार का पवित्र स्थान गयाजी की महात्ता सिर्फ भारत में ही नहीं विदेशों में भी है। इन दिनों श्राद्ध पक्ष के कारण भारी मात्रा में विदेशी अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए यहां पर आ रहे है। जानिए इसके बारें में और...
बिहार का गयाजी तीर्थ स्थान पूर्वजों को मोक्ष दिलाने के लिए सबसे उचित स्थान माना जाता है। माना जाता है कि अगर आप अपने पूर्वजों को मोक्ष दिलाना चाहते है तो यहां पर आएं। इस स्थान पर 7 पीढ़ी के पूर्वजों तक को मोक्ष दिलाई जाती है। जानिए इस तीर्थ के बारें.
कई लोग ऐसे होते है कि जो कि पितृ श्राद्ध पक्ष में प्याज और लहसुन का सेवन नहीं करते है। जानिए शास्त्रों के अनुसार इसके पीछे क्या है राज़....
हिंदू धर्म में श्राद्ध का बहुत अदिक महत्व है। इसमें तर्पण और पिंडदान करना जरुरी होता है। इन दोनों के बिना श्राद्ध नहीं हो सकता है और न ही हमारे पूर्वजों को मोक्ष मिलती है। जानिए आखिर क्यों जरुरी है तर्पण साथ ही जाने पिंडदान करने की पूरी विधि के बारें
6 सितंबर से पितपक्ष श्राद्ध शुरु हो गए है। जो कि 20 सितंबर को अमावस्या के साथ समाप्त होगे। यह पूर्वजों के वरदान पाने का सबसे अच्छा मौका होता है। जानिए क्या है श्राद्ध और प्रकार। साथ ही जानें किस दिन करें किसका श्राद्ध..
मान्यता है कि अगर किसी मनुष्य का विधिपूर्वक श्राद्ध और तर्पण ना किया जाए तो उसे इस लोक से मुक्ति नहीं मिलती और वह भूत के रूप में इस संसार में ही रह जाता है। जानिए इन दिनों में कौन से काम नहीं करना चाहिए। जिससे की पितरों के क्रोद का सामना न करना पड़े।
15 दिन बाद 20 सितंबर यानी बुधवार को सर्व पितृ अमावस्या पर श्राद्ध का समापन होगा। जानिए किस दिन किस व्यक्ति का करें श्राद्ध साथ ही जानिए क्या क्यों किया जाता है श्राद्ध।
पितृपक्ष की शुरुआत 6 सितंबर से होगी और सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या के साथ 20 सितंबर को इसका समापन होगा। भाद्रपद की पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक श्राद्ध पक्ष रहता है। हालांकि पूर्णिमा का श्राद्ध 5 सितंबर को है..
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