Pitru Paksha 2022 Eating Rules: अगर आप पितृ पक्ष के समय कुछ वर्जित चीजें खा लेते हैं तो आपको उसका बुरा परिणाम मिल सकता है।
Pitru Paksha 2022: जिनका देहांत अविवाहित अवस्था में, यानि कि शादी से पहले ही हो गया हो, उनका श्राद्ध पंचमी तिथि को किया जायेगा। जानिए बाकी पितृों के लिए कौन सी तिथि मानी जाती है शुभ।
Importance of Crows in Pitru Paksha: पितृ पक्ष में लोग कौए को खोजते हैं। क्योंकि इन 15 दिनों कौए को भोजन कराने का विशेष महत्व है। आइए जानते हैं कि पितृ पक्ष में कौए का महत्व क्यों हैं।
Pind daan in Gaya: गया में पिंडदान करने का अलग महत्व है। यहां पिंडदान करने से मृत आत्मा को स्वर्ग की प्राप्ति होती है। साथ ही उसकी आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
Pitru Paksha 2022 start date and end date: हिंदू धर्म में जितने भी उत्सव और त्योहार हैं उनमें हर रिश्ते का महत्व है। वेद और पुराणों में हमारे पुरखों को भी देव तुल्य माना गया है। इसलिए साल के पूरे 16 दिन हमारे पुरखों के लिए भी समर्पित हैं। तो यहां जानिए कि इस साल पितृ पक्ष किस तारीख से शुरू हो रहे हैं।
Patal Bhuvneshwar: शिवजी की जटाओं से अविरल बहती गंगा की धारा यहां नजर आती है तो अमृतकुंड के दर्शन भी यहां पर होते हैं। ऐरावत हाथी भी आपको यहां दिखाई देगा तो स्वर्ग का मार्ग भी यहां से शुरु होता है।
IND vs ENG 1st ODI Weather And Pitch Report: भारत ने ओवल के इस मैदान पर इससे पहले इंग्लैंड के खिलाफ 8 वनडे मैच खेले हैं। जिसमें से इंग्लैंड ने 5 में जीत दर्ज की है जबकि भारतीय टीम सिर्फ दो मुकाबले जीत पाई है।
भारतीय टीम ने आयरलैंड के खिलाफ इससे पहले कुल तीन टी20 इंटरनेशनल मुकाबले खेले हैं। तीनों में भारत ने जीत दर्ज की है।
उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी जारी है। इसी कड़ी में बुधवार सुबह सीमांत पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी में ताजा बर्फबारी देखने को मिली. नए साल के जश्न से पहले पहाड़ों पर होती बर्फबारी के चलते बड़ी संख्या में पर्यटक भी यहां जुट रहे हैं।
पितृ विसर्जन के दिन कौन से उपाय करने से पिृदोष से मुक्ति मिलने के साथ हर काम में सफलता प्राप्त होगी, साथ ही वैवाहिक जीवन खुशी से बीतेगा।
आज अश्विनी कृष्ण पक्ष की उदया तिथि चतुर्थी और शनिवार का दिन है। चतुर्थी तिथि आज सुबह 10 बजकर 36 मिनट तक रहेगी। उसके बाद पंचमी तिथि लग जायेगी। आज पंचमी तिथि वालों का श्राद्ध कर्म किया जायेगा।
कुछ विशेष जगह हैं, जहां श्राद्धकर्म या पिंडदान करने से व्यक्ति को विशेष सिद्धियां प्राप्त होती हैं। जानिए देश में मौजूद ऐसी ही कुछ जगहों के बारे में
यदि सुबह-सुबह कौवा घर में कांव-कांव की रट लगाए तो जरूर आपके घर कोई मेहमान आने वाला है। इसी तरह पितृ पक्ष को लेकर भी कई सारी मान्यताएं है जो कौवे के माध्यम से प्राप्त होती हैं
श्राद्ध में तर्पण का बहुत अधिक महत्व है। इससे पितर संतुष्ट व तृप्त होते हैं।
हर साल भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि से आश्विन मास की अमावस्या यानी 16 दिनों तक श्राद्ध पर्व मनाया जाता है। जानिए श्राद्ध करते वक्त किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
आचार्य इंदु प्रकाश से जानिए किस तिथि को किनका श्राद्ध किया जाता है और उससे श्राद्ध कर्म करने वाले को क्या फल मिलते हैं।
पितृपक्ष में पूर्वजों को याद करके दान धर्म करने की परंपरा है। पितृपक्ष में किये गए कार्यों से पूर्वजों की आत्मा को तो शांति प्राप्त होती ही है, साथ ही कर्ता को भी पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है।
जुड़वाओं का श्राद्ध, तीन कन्याओं के बाद पुत्र या तीन पुत्रों के बाद कन्या का श्राद्ध भी इसी दिन किया जायेगा
आश्विन मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी को इंदिरा एकादशी कहते हैं। इस बार ये इंदिरा एकादशी 13 सितंबर को है। जानें इंदिरा एकादशी के व्रत का शुभ मुहूर्त और नियम और कथा।
श्राद्ध या पिंडदान मुख्यतः तीन पीढ़ियों तक के पितरों को दिया जाता है। पितृपक्ष में किये गए कार्यों से पूर्वजों की आत्मा को तो शांति प्राप्त होती ही है।
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