आपको यह भी ध्यान रखना चाहिए कि पर्सनल लोन पर बैंक मोटा ब्याज वसूलते हैं। इसलिए, अपनी बहुत जरूरी पर ही पर्सनल लोन लेना चाहिए ताकि भविष्य में कर्ज के जाल में न फंसे।
पर्सनल लोन न चुकाने पर ग्राहक के क्रेडिट इतिहास पर भी असर पड़ता है। भविष्य में लोन मिलने में मुश्किलें आ सकती हैं। साथ ही साथ ग्राहक पर भारतीय दंड संहिता की धारा 420 के तहत भी मामला दर्ज किया जा सकता है, जिसमें कारावास शामिल है।
पर्सनल लोन की ब्याज दरें सीधे आपके क्रेडिट स्कोर से प्रभावित होती हैं। एक अच्छा क्रेडिट स्कोर, आपको सस्ता लोन दिला सकता है। वहीं, खराब क्रेडिट स्कोर लोन दिलाने में बाधा पैदा कर सकता है।
पर्सनल लोन के लिए अफ्लाई करने से पहले आपको जरूरी लोन राशि तय कर लेना चाहिए। एक बार जब आप लोन राशि निर्धारित कर लेते हैं, तो आप लोन राशि और अवधि के आधार पर मासिक किस्त के दायित्वों को कैलकुलेट कर सकते हैं।
खराब क्रेडिट स्कोर होने पर बैंक ग्राहक को लोन देने में आनाकानी करते हैं। लोन डिफॉल्ट या बिलों का सही समय पर भुगतान नहीं करने के कारण क्रेडिट स्कोर खराब होता है।
नई दरें 7 नवंबर, 2024 से प्रभावी हो गई हैं। यह दर वृद्धि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा लगातार दसवीं बार अपनी नीतिगत दर रेपो को 6.5 प्रतिशत पर यथावत रखने के निर्णय के बाद की गई है।
इंस्टेंट पर्सनल लोन आसानी से मिल तो जाता है लेकिन बैंक मोटा ब्याज वसूलते हैं। इसलिए अपनी वित्तीय आवश्यकताओं और समय पर लोन चुकाने की क्षमता का आकलन कर ही आवेदन करें।
लोन की अवधि चुनने में अपनी मासिक आय और व्यय का आकलन करें। कम अवधि के लोन के परिणामस्वरूप मासिक भुगतान अधिक होता है, जो आपके बजट को काफ़ी हद तक प्रभावित कर सकता है।
केनरा बैंक ने बताया कि 1 महीने, 3 महीने और 6 महीने की मैच्यॉरिटी पीरियड के लिए ब्याज दरें 8.40-8.85 प्रतिशत के दायरे में होंगी। एक दिन के कर्ज के लिए एमसीएलआर को 8.25 से बढ़ाकर 8.30 प्रतिशत कर दिया गया है।
अगर आप किसी बैंक से लोन लेकर उसे नहीं चुकाते हैं इसका सीधा असर आपके सिबिल या क्रेडिट स्कोर पर पड़ता है। लोन चुकाना तो दूर, अगर आपने लोन की किश्त भरने में भी देरी की तो आपका सिबिल खराब हो सकता है।
नौकरी नहीं होने पर बढ़े हुए जोखिम के कारण पर्सनल लोन देने से बैंक हिचकते हैं।
सर्वे के अनुसार, “5 में से 3 लोग (63 प्रतिशत) मानते हैं कि लोन के लिए आवेदनों में अपनी आय को बढ़ा-चढ़ाकर बताना ठीक या सामान्य बात है, जो वैश्विक औसत 39 प्रतिशत से काफी ज्यादा है।”
देश के कई बैंक म्यूचुअल फंड के बदले 10 से 15 प्रतिशत की ब्याज दरों पर लोन मुहैया कराते हैं। बताते चलें कि अगर आपके पास इक्विटी म्यूचुअल फंड है तो आप उसकी वैल्यू का 50 प्रतिशत मार्जिन गिरवी रखना पड़ेगा।
NBFC यानी नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियां और फिनटेक कंपनियां जरूरतमंद लोगों को पर्सनल लोन मुहैया कराती हैं। लेकिन अगर आप किसी फिनटेक कंपनी के मोबाइल ऐप से पर्सनल लोन लेने का प्लान बना रहे हैं तो यहां आपको बहुत सावधान रहना होगा।
घर में नए कमरे बनवाना, बाथरूम की संख्या बढ़ाना या फर्नीचर के काम में मोटा खर्च आता है। इतना ही नहीं, पर्सनल लोन सबसे महंगा लोन होता है। जिसके लिए आपको 13 से 15 प्रतिशत तक का ब्याज चुकाना पड़ता है।
पर्सनल लोन एक तरह से असुरक्षित लोन होते हैं। ऐसे में बैंक सही मूल्यांकन के बाद ही इसे ऑफर करते हैं। हर बैंक या संस्थान के अपने मानदंड होते हैं, और जो उन्हें पूरा कर सकते हैं उन्हें पर्सनल लोन दिया जाता है।
आपको बता दें कि सालाना प्रतिशत दर (APR) पर्सनल लोन पर ब्याज दर को दर्शाने का एक सामान्य तरीका है। APR में आधार ब्याज दर के साथ-साथ कोई अन्य लागत भी शामिल है।
बहुत सारे बैंक बदलते दौर में क्रेडिट स्कोर की जगह लोन लेने वाले की रीपेमेंट कैपेसिटी को देख कर लोन दे रहे हैं। यह तरीका ट्रैडिशनल लेंडिंग से अलग है, जिसमें लोन सेक्शन मुख्य रूप से क्रेडिट स्कोर पर निर्भर करता है।
कर्जदाता आपकी भुगतान क्षमता को परखने के लिए आपकी आय को भी देखते हैं। इसलिए, जब आप ऑनलाइन लोन एप्लीकेशन फॉर्म फाइल करें, तब आप न केवल अपनी नियमित सैलरी के बारे में उल्लेख करें बल्कि अपने अन्य सभी आय के स्रोतों की भी जानकारी दें।
कोई भी बैंक लोन देने से पहले ऋण-से-आय अनुपात (डीटीआई) की आंकता है। एक debt-to-income ratio आसानी से लोन दिला देता है। इस अनुपात की गणना करने के लिए, अपनी कुल मासिक ऋण भुगतान को अपनी मासिक आय (करों से पहले) से विभाजित करें।
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