नियमों के मुताबिक, पीपीएफ में अकाउंट होल्डर को साल में कम से कम 500 रुपये जरूर डिपोजिट करना चाहिए। जब कस्टमर यह मिनिमम अमाउंट भी उस साल जमा नहीं किया जाता है तो पीपीएफ अकाउंट इनएक्टिव कैटेगरी में शामिल कर लिया जाता है।
म्यूचुअल फंड यूनिट्स को दो तरीकों से रखा जा सकता है, या तो फिजिकल फॉर्म में या डीमैटरियलाइज्ड फॉर्म में। डीमैट अकाउंट आपके शेयरों और दूसरी सिक्योरीटिज को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में रखने के लिए एक खाता होता है।
स्कीम में तीन वयस्क मिलकर भी ज्वाइंट अकाउंट चला सकते हैं। इतना ही नहीं आप इस स्कीम में जरूरत पड़ने पर लोन भी ले सकते हैं। इसमें छोटी पूंजी से निवेश करेंगे तो आपके पास एक अच्छी खासी रकम जमा हो सकती है।
पर्सनल लोन एक तरह से असुरक्षित लोन होते हैं। ऐसे में बैंक सही मूल्यांकन के बाद ही इसे ऑफर करते हैं। हर बैंक या संस्थान के अपने मानदंड होते हैं, और जो उन्हें पूरा कर सकते हैं उन्हें पर्सनल लोन दिया जाता है।
अगर आप अपने होम लोन को किसी दूसरे बैंक को ट्रांसफर करने के बारे में सोच रहे हैं, तो आपको प्रोसेसिंग फीस, एप्लीकेशन चार्ज, एडमिनिस्ट्रेशन फीस, रिव्यू फीस, और बहुत कुछ सहित विभिन्न शुल्कों का सामना करना पड़ सकता है।
टैक्स की बचत करने के कई ऑप्शन हैं। कुछ निवेश कर तो कुछ साधन ऐसे हैं जिसमें बिना निवेश किए टैक्स बचाने के अवसर देते हैं। आप अपनी सहूलियत और क्षमता के हिसाब से टैक्स बचाने का अपना फैसला कर सकते हैं।
नेशनल पेंशन सिस्टम यानी एनपीएस, एक स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना है, जिसे पेंशन फंड विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) की तरफ से डिज़ाइन किया गया है, ताकि आपको रिटायरमेंट कॉर्पस बनाने में मदद मिल सके। पीएफआरडीए ही इसे रेगुलेट भी करता है।
म्यूचुअल फंड/आरटीए से मिले कम्यूनिकेशन/अलर्ट की समीक्षा करें। जरूरतों के मुताबिक कार्य करें, अगर आपके फोलियो में कोई संदेहजनक लेनदेन/परिवर्तन हुआ है तो रिपोर्ट करें।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक यूजर ने सोशल मीडिया पोस्ट में आरोप लगाया कि ग्रो ऐप ने पैसे लेने के बावजूद म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश नहीं किया। साथ ही दावा किया कि ग्रो ने एक गलत फ़ोलियो नंबर बनाया जो वास्तव में मौजूद नहीं था।
How to become rich : 72, 114 और 144 के नियम बताते हैं कि किसी निवेश में आपके पैसे को दो गुना, तीन गुना और चार गुना होने में कितना वक्त लगेगा।
ऑनलाइन स्कैम या फ्रॉड की घटनाओं के बीच आज के दौर में अपने बैंक अकाउंट की सिक्योरिटी को सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है। महज चंद सेकेंड में पूरा अकाउंट ही खाली होने का खतरा बना रहता है।
फिक्स्ड डिपॉजिट शॉर्ट-टर्म और लॉन्ग-टर्म दोनों हो सकते हैं, जबकि पीपीएफ लॉन्ग-टर्म निवेश हैं। इसलिए, पीपीएफ और एफडी के बीच मुख्य अंतर जानना महत्वपूर्ण है।
आपके लिए एसेट एलोकेशन को समझना जरूरी है ताकि, आपका कितना पैसा इक्विटी में होना चाहिए, कितना डेट में, कितना गोल्ड में और कितना लिक्विड एसेट में।
कॉर्पोरेट एफडी में निवेश करना सुरक्षित है क्योंकि इसमें जोखिम कम होता है और बाजार में होने वाले बदलावों का इन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। कॉर्पोरेट एफडी में बैंक एफडी की तुलना में अधिक ब्याज दर मिल सकती है।
अगर आपने अभी तक मासिक बजट नहीं बनाया है, तो आपको इसे अभी बनाना चाहिए। जब तक आपको पता नहीं होगा कि आप कितना कमा रहे हैं और कितना खर्च कर रहे हैं, तब तक आप लंबे समय के लिए ठीक से योजना नहीं बना पाएंगे।
आयकर अधिनियम के तहत इनकम टैक्स छूट का फायदा कामकाजी महिलाएं ले सकती हैं। इसके लिए आपको ऐसे साधनों में निवेश करना होता है जो आपको टैक्स छूट की सुविधा देते हैं। कुछ ऐसे निवेश साधन हैं जो गारंटीड रिटर्न के साथ टैक्स छूट दिलाती हैं।
म्यूचुअल फंड कंपनी पैसे के प्रबंधन के लिए कुछ तय शुल्क वसूल करती हैं, जिनमें एक एग्जिट लोड भी शामिल है। यह चार्ज कंपनियां तब लगाती हैं जब निवेशक स्कीम से बाहर निकल रहा होता है। एग्जिट लोड चार्ज तब भी देना होता है, जब आप म्यूचुअल फंड यूनिट बेचते समय नुकसान में भी क्यों न हों।
जब आप 30 साल की उम्र में आ जाते हैं तो आपकी फानेंशियल प्लानिंग में लाइफ इंश्योरेंस यानी जीवन बीमा पॉलिसी, हेल्थ इंश्योरेंस सहित कुछ खास इंश्योरेंस पॉलिसी होनी चाहिए।
अगर आप यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस पॉलिसी (यूएलआईपी) खरीद रहे हैं तो अलग-अलग शुल्क, फंड ऑप्शन, फंड स्विच करने से जुड़े सवाल जरूर पूछें। जब भी आप बीमा पॉलिसी खरीदने के लिए फॉर्म भर रहे हों तो इसे पूरी तरह से और सही जानकारियों के साथ भरें।
आपकी वित्तीय स्थिरता और रीपेमेंट क्षमता को वेरिफाई करने के लिए बैंक को आपके अलग-अलग डॉक्यूमेंट्स की जरूरत पड़ती है। इन डॉक्यूमेंट्स को सावधानीपूर्वक व्यवस्थित और आसानी से उपलब्ध होने से स्वीकृति प्रक्रिया में तेज़ी आ सकती है।
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