कश्मीर मुद्दे के राजनीतिक समाधान की पुरजोर वकालत करते हुए पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने बुधवार को कहा कि उनकी पार्टी हमेशा भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत की समर्थक रही है।
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने पार्टी नेतृत्व के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद करने वाले विद्रोही नेताओं पर भले ही कोई कार्रवाई ना की हो लेकिन अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से उनमें से कुछ को ‘अनफॉलो’ जरूर कर दिया है।
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने तय किया है कि वह राज्यसभा के उपसभापति पद के लिए होने वाले मतदान मे हिस्सा नहीं लेगी।
महबूबा ने भाजपा से हाथ मिलाने के अपने दिवंगत पिता मुफ्ती मुहम्मद सईद के निर्णय को जायज ठहराया। उन्होंने कहा, "मुफ्ती साहब 2015 में भाजपा के साथ हाथ मिलाने पर इसलिए सहमत हुए, क्योंकि वाजपेयी के शासन के दौरान हमारे बीच एक अच्छी आपसी समझ थी।"
घाटी में पथराव की 734 घटनाओं में 592 पुलिसकर्मी, सीआरपीएफ के 219 कर्मी घायल हुए हैं।
अब्दुल्ला पीडीपी प्रमुख के भाषण पर प्रतिक्रिया दे रहे थे। अपने भाषण में महबूबा ने कहा था कि भाजपा के साथ गठबंधन करने को ‘‘एक कप जहर पीने के समान’’ करार दिया था।
बेग ने शनिवार को एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि यदि गाय और भैंस के नाम पर मुस्लिमों की हत्याओं को रोका नहीं गया तो एक बार फिर से देश का बंटवारा हो सकता है।
पीडीपी की प्रमुख और सूबे की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को बड़ा झटका देते हुए 6 विधायक पार्टी के स्थापना दिवस समारोह पर हो रही रैली में शामिल नहीं हुए।
मदनी 2014 में दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले के देवसर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव हार गए थे। पार्टी के असंतुष्ट नेता लगातार मदनी और कुछ नेताओं पर निशाना साधते रहे हैं।
बारामुला विधानसभा सीट के विधायक जावेद हुसैन बेग ने कहा, मुझे स्पष्ट करने दीजिए कि आज पीडीपी में कोई आतंकवादी नहीं है और न ही पहले कोई था। हम इस तथ्य को लेकर प्रतिबद्ध हैं कि जम्मू एवं कश्मीर राज्य का भारत में शामिल होना अंतिम है।
मुफ्ती ने राज्य में विधायक बचाओ अभियान चलाया है और अब वह अपने रुठे हुए विधायकों को मनाने की कोशिश कर रही है ताकि पार्टी को टूट से बचाया जा सके। दरअसल इमराज रजा अंसारी, आबिद अंसारी, मोहम्मद अब्बास वानी और जावेद वेग ने बगावती तेवर अख्तियार कर रखे हैं।
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) के कम से कम 21 विधायक शनिवार से पार्टी अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती से मिलकर उनके प्रति अपना समर्थन जता चुके हैं...
जम्मू-कश्मीर में PDP के असंतुष्टों के साथ मिल कर बीजेपी के सरकार बनाने के प्रयास की खबरों को सिरे से खारिज करते हुए पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष रवीन्द्र रैना ने कहा कि उनकी पार्टी राज्य में शांति, सुशासन और विकास के लिये राज्यपाल शासन जारी रखने
अब्दुल्लाह ने ट्वीट में भाजपा नेताओं को टैग करते हुए कहा, ‘‘राम माधव के दावे के विपरीत, प्रदेश भाजपा इकाई ने पीडीपी को तोड़ने के प्रयास पार्टी द्वारा किये जाने की बात स्वीकार की है। ऐसा लगता है कि किसी भी कीमत पर सत्ता दिशानिर्देशक सिद्धांत है।’’
इमरान ने दावा किया कि उन्होंने महबूबा से कई बार कहा था कि ये रिश्तेदार ‘‘आपको अक्षम बनाएंगे’’ लेकिन उन्होंने सरकार गिरने तक इस बात पर कोई ध्यान नहीं दिया। इमरान अंसारी पट्टन सीट से पीडीपी विधायक हैं जबकि उनके रिश्तेदार जादीबल क्षेत्र से पार्टी विधायक हैं।
शिवसेना ने सवाल किया, लेह-लद्दाख के संदर्भ में जम्मू-कश्मीर सरकार भेदभाव कर रही है, यह समझने में सरकार में रहने वाले भाजपा के मंत्रियों को तीन वर्ष का समय लग गया जो आश्चर्यजनक है।
भाजपा ने 19 जून को जम्मू-कश्मीर की गठबंधन सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। इसके ऐलान के समय पार्टी ने कहा था कि राज्य में बढ़ते कट्टरपंथ और आतंकवाद के कारण सरकार में बने रहना मुश्किल हो गया था...
महबूबा मुफ्ती ने रविवार को अपने ऊपर लगे जम्मू और लद्दाख क्षेत्र के साथ भेदभाव के आरोपों को प्रभावी रूप से खारिज कर दिया और आश्चर्य जताया कि अगर यह सत्य है तो अबतक किसी भी भाजपा मंत्री ने इसके बारे में क्यों नहीं कहा...
जम्मू एवं कश्मीर के राज्यपाल एन.एन. वोहरा ने यहां शुक्रवार को राज्य के सुरक्षा स्थितियों पर चर्चा करने के लिए शुक्रवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। अधिकारियों ने कहा कि यहां राज्यपाल शासन लागू होने के मद्देनजर यह बैठक बुलाई गई है।
केंद्रीय विद्युत एवं नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने जम्मू कश्मीर में पीडीपी के साथ भाजपा के गठबंधन टूटने पर आज कहा कि गठजोड़ समाप्त कर कड़ाई से आतंकवाद पर प्रहार करना राष्ट्र के हित में है।
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