जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अपने सूबे के लोगों से एक बड़ा चुनावी वादा किया है।
महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) को एक और झटका देते हुए वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री जावेद मुस्तफा मीर ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है।
महबूबा ने कहा कि जब वाजपेयी प्रधानमंत्री थे तब उनके पिता जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री थे और जो संदेश गया, वह यह था कि केंद्र और राज्य सरकार एक ही पाले में हैं तथा 2002-05 का काल ‘स्वर्णिम काल’ बन गया।
राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा 21 नवंबर को विधानसभा भंग करने के बाद द्राबू दूसरे ऐसे नेता हैं जिन्होंने पार्टी से इस्तीफा दिया है।
जम्मू एवं कश्मीर पंचायत चुनाव के तीसरे चरण के तहत शनिवार को कड़ी सुरक्षा एवं व्यवस्था के बीच मतदान शुरू हो गया। मतदान कुल 2,773 मतदान केंद्रों पर हो रहा है, जिसमें 918 कश्मीर में जबकि 1,885 जम्मू में हैं।
पीडीपी और दो सदस्यों वाली पीपुल्स कॉन्फ्रेंस द्वारा सरकार बनाने के दावे करने वाले पत्र बुधवार को राज्यपाल के पास कथित रूप से नहीं पहुंच पाए थे।
गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी ने महबूबा मुफ्ती की सरकार से 19 जून को समर्थन वापस ले लिया था, और इसके अगले ही दिन सूबे में राज्यपाल शासन लागू हो गया था।
गौरतलब है कि बुधवार को कांग्रेस, एनसी और पीडीपी गठबंधन करके कथित तौर पर सरकार बनाने का दावा पेश किया था।
पीडीपी ने जैसे ही राज्यपाल सत्यपाल मलिक के पास राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश किया उसके कुछ घंटे बाद ही राज्यपाल ने विधानसभा ही भंग कर दी। कांग्रेस, नेशनल कॉन्फेंस और पीडीपी तीनों इसे अपने फायदे से जोड़ कर देख रही है क्योंकि बीजेपी फिलहाल तो राज्य में चुनाव नहीं चाहती थी।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि एक लोकप्रिय सरकार का गठन करने के लिए वार्ता प्रारंभिक चरण में थी और केन्द्र की भाजपा सरकार इतनी चिंतित थी कि उन्होंने विधानसभा भंग कर दी।
राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा को भंग कर दिया है। इससे पहले महबूबा मुफ्ती की तरफ से नेशनल कांफ्रेस और कांग्रेस की मदद से सरकार बनाने के लिए राज्यपाल को चिट्ठी भेजी गई थी।
सरकार गिरने के बाद से राज्य में राज्यपाल शासन लागू है। 19 दिसंबर को राज्यपाल शासन के छह महीने पूरे हो जाएंगे और नियमों के मुताबिक, इसे दोबारा बढ़ाया नहीं जा सकता है।
अलगाववादियों ने चुनाव के बहिष्कार की अपील की है जबकि आतंकवादियों ने चुनाव में हिस्सा लेने वालों को निशाना बनाने की धमकी दी है।
राम माधव ने पूछा कि एक तरफ तो दोनो दल विधानसभा भंग कर चुनाव कराने की मांग करते हैं और दूसरी तरफ कहते हैं कि जबतक आर्टिकल 35A का मुद्दा हल नहीं होता तबतक चुनाव नहीं लड़ेंगे
जम्मू क्षेत्र में भाजपा ने 212 वार्डो पर, कांग्रेस ने 110 पर, नेशनल पैंथर्स पार्टी ने 13 और निर्दलीय उम्मीदवारों ने 185 वार्डो पर कब्जा किया है। जम्मू क्षेत्र में जम्मू, सांबा, कठुआ, रियासी, डोडा, किश्तवाड़, रामबन, उधमपुर, पुंछ और रजौरी जिले शामिल हैं।
जम्मू-कश्मीर में आठ अक्टूबर से शुरू हो रहे चार चरण के स्थानीय निकाय चुनावों में 16.97 लाख से अधिक मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकेंगे, लेकिन अब तक यहां चुनाव प्रचार का रंग नहीं चढ़ सका है।
खान ने इस महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा से इतर पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और उनकी भारतीय समकक्ष सुषमा स्वराज के बीच एक बैठक का प्रस्ताव दिया था।
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को सभी राजनीतिक दलों से अपील की कि वे जम्मू कश्मीर में आगामी पंचायत एवं शहरी निकाय संस्था के चुनाव में हिस्सा लें।
नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी की ओर से घोषित बहिष्कार के बावजूद केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में पंचायत और शहरी स्थानीय निकायों के चुनाव कराने की दिशा में आगे बढ़ सकती है।
राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने शहरी स्थानीय निकाय चुनाव एक से पांच अक्टूबर के बीच कराने और आठ नवंबर से चार दिसंबर तक पंचायत चुनाव कराने की घोषणा की है।
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