सर्वेक्षण से संकेत मिलता है कि 2022 में, सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र में सबसे ज्यादा वेतन वृद्धि देने की संभावना है, इसके बाद जीवन विज्ञान (लाइफ साइंसेज) क्षेत्र आता है।
15 प्रतिशत वार्षिक वेतन वृद्धि 1 नवंबर, 2017 से लागू की जाएगी।
अगले साल औसत वेतन वृद्धि 7.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
कंपनियों ने इस साल कर्मचारियों के वेतन में औसत 6.1 प्रतिशत की वृद्धि की। यह पिछले एक दशक में सबसे निचला स्तर है। महामारी की वजह से कई कंपनियों को वेतन में कटौती भी करनी पड़ी जिसे अब वो वापस ले रही हैं। लॉकडाउन की वजह से वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कारोबार पर बुरा असर पड़ा, जिसकी वजह से अर्थव्यवस्था में रिकॉर्ड गिरावट भी दर्ज हुई। ऐसी स्थिति में कंपनियों ने इस साल लागत बचाने के कई उपाय किए जिसका असर वेतन बढोतरी पर पड़ा।
बैंक पहले ही एक निश्चित रैंक से नीचे के अधिकारियों को वार्षिक बोनस दे चुका है और अब सभी को बोनस दिया जाएगा।
करीब 80 हजार कर्मचारियों के वेतन में 8 फीसदी तक बढ़त होगी
इंफोसिस के CEO विशाल सिक्का का वेतन वित्त वर्ष 2016-17 में 67 प्रतिशत से अधिक कम हुआ है। ऐसा बोनस भुगतान में कटौती की वजह से हुआ है।
ई-कॉमर्स कंपनी स्नैपडील, जो नगदी संकट से जूझ रही है और संभावित खरीदार की तलाश में जुटी है, अपने कर्मचारियों की औसत 12-15 प्रतिशत सैलरी बढ़ाने वाली है।
इन्फोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति ने कहा है कि फरवरी में बोर्ड की अनुमति से चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (COO) यूबी प्रवीण राव के वेतन में की गई बढ़ोतरी सही नहीं थी।
प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले भारतीय कर्मचारियों के लिए बुरी खबर है। 2017 में वेतन वृद्धि पिछले साल की तुलना में 1 प्रतिशत कम रहने का अनुमान है।
भारत में सभी तरह की नौकरियों के कर्मचारी 2017 में 10.3 प्रतिशत की औसत सैलरी बढ़ोतरी की उम्मीद कर सकते हैं जो पिछले साल से मामूली तौर पर अधिक है।
सरकारी कर्मचारियों का वेतन बढ़ाने के सरकार के फैसले से घरेलू खपत में 45,110 करोड़ रुपए की वृद्धि होगी और इससे घरेलू बचत को भी बढ़ावा मिलेगा।
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