पारसी समुदाय में अंतिम संस्कार के नियम काफी अलग है। हजारों साल पहले पर्शिया (ईरान) से भारत आए पारसी समुदाय में न तो शव को जलाया जाता है और न ही दफनाया जाता है। पारसी धर्म में मौत के बाद शव को पारंपरिक कब्रिस्तान जिसे टावर ऑफ साइलेंस या दखमा कहते हैं, वहां खुले में गिद्धों को खाने के लिए छोड़ दिया जाता है।
Parsi New Year 2023: भारत में आज पारसी नव वर्ष धूमधाम से सेलिब्रेट किया जा रहा है। इस खास दिन पर आप दिल्ली की कुछ जगहों पर पारसी खाने और कल्चर को जान सकते हैं।
एक हजार साल पहले वर्तमान ईरान में उत्पीड़न से बचकर पारसी भारत के पश्चिमी तट पर पहुंचे थे। उन्हें एक ज्वाला मिली जिसके बारे में कहा जाता है कि वह दक्षिण गुजरात के उदवाडा में एक अग्नि मंदिर में अभी भी जलती है।
Cyrus Mistry-Cremation in Parsi Religion: पारसी समुदाय में शव के अंतिम संस्कार का तरीका बेहद अलग है। ये समुदाय हजारों साल पहले पर्शिया (अब के ईरान) से भारत आया था। समुदाय में शव को न तो हिंदू धर्म की तरह जलाया जाता है और न ही इस्लाम या ईसाई धर्म की तरह दफनाया जाता है।
जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस भार्गव डी कारिया की खंडपीठ ने याचिका का निस्तारण करते हुए कहा कि इसमें कोई दम नहीं है।
साल 2011 में देश में पारसी समुदाय की कुल जनसंख्या 57000 थी। Jiyo Parsi scheme साल 2013-14 में शुरू की गई थी। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय द्वारा समर्थित इस योजना में इस साल 22 अतिरिक्त जन्म हुए हैं, जिसमें नवजात शिशुओं की संख्या जून तक 321 है।
'पारसी न्यू ईयर' 16 अगस्त को मनाया जा रहा है। अगर आप भी अपने किसी पारसी दोस्त को जानते हैं तो इन मैसेज और तस्वीरों के जरिए उन्हें नए साल की बधाई भेजें।
हर साल की तरह इस साल भी 17 अगस्त को पारसी न्यू ईयर मनाया जा रहा है।
वरिष्ठ पत्रकार ने पाकिस्तान के संस्थापक जिन्ना के जीवन के बारे में ऐसे कई दिलचस्प किस्सों का खुलासा किया है। उन्होंने अपनी पुस्तक में पारसी लड़की रूट्टी के साथ जिन्ना के विवाह के किस्से बयां किए हैं जो उनसे उम्र में 24 वर्ष छोटी थीं।
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