“राजपूतों की भावनाएं आहत हुई हैं। फिल्म का नाम बदलने से तथ्य नहीं बदल सकते। हम देश में फिल्म को पर्दे पर नहीं उतरने देंगे। यदि 25 जनवरी को फिल्म को परदे पर उतारा गया तो सिनेमा घर ज्वाला में जलेंगे।”
1 दिसंबर को ये फिल्म रिलीज़ होने वाली थी लेकिन सेंसर बोर्ड की तरफ से फिल्म को अप्रूवल नहीं मिला था। अब सीन में कुछ बदलाव और फिल्म का नाम बदलकर के साथ सेंसर बोर्ड ने फिल्म को हरी झंडी दे दी है।
दिल्ली के इतिहास को अपने कदमों से नापने वाले स्तंभकार और आम आदमी के इतिहासकार आर वी स्मिथ से जब अल्लाउद्दीन खिलजी को लेकर बात हुई तो उन्होंने खिलजी का कुछ इस तरह बखान किया, ‘‘अलाउद्दीन खिलजी औरतबाज नहीं था, जैसा कि पद्मावती फिल्म में उसे दिखाया गया ह
संपादक की पसंद