सऊदी अरब के साथ तेल के खेल में अब रूस, अमेरिका, मैक्सिको, ब्राजील जैसे बड़े देश भी कूद गए हैं। खासतौर पर रूस सस्ते दाम पर तेल आफर कर रहा है। इस कारण भारत, चीन जैसे देश अब सऊदी अरब की बजाय रूस से तेल ज्यादा खरीद रहे हैं। इस कारण अरब ने तेल के दामों में बड़ी कटौती की है।
ओएनजीसी और ऑयल इंडिया लिमिटेड जैसी कंपनियों द्वारा उत्पादित घरेलू कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स 10,000 रुपये से बढ़ाकर 12,100 रुपये प्रति टन कर दिया है।
तेल उत्पादक देशों के समूह ओपेक प्लस ने कीमतों में गिरावट को कम करने के लिए उत्पादन में कटौती जारी रखने पर सहमति व्यक्त जताई है।
सऊदी अरब इसलिए रूस से नाराज है, क्योंकि उसने सौदे के अनुरूप तेल का उत्पादन नहीं घटाया। इससे सऊदी अरब की तेल की कीमतों को कम से कम 81 डॉलर प्रति बैरल रखने की कोशिशों को झटका लग रहा है।
ओपेक मुख्य रूप से पश्चिम एशिया और अफ्रीका का भारत के कच्चे तेल के आयात में अप्रैल, 2022 में 72 प्रतिशत हिस्सा था। ऊर्जा खेप की निगरानी करने वाली ‘वॉर्टेक्सा’ के अनुसार, अप्रैल, 2023 में ओपेक का हिस्सा भारत के आयात में घटकर 46 प्रतिशत पर आ गया है।
दुनिया में बढ़ती अनिश्चितताओं के बीच ओपक देशों ने एक बड़ा फैसला लिया है और तेल की कीमतों में बदलाव करने को लेकर एक नई गाइडलाइन जारी की है, इसका इसर भारत पर भी देखने को मिलेगा। उनका उद्देश्य रूस को टार्गेट करना है।
US Saudi Arabia Relations: सऊदी अरब और अमेरिका के बीच रिश्ते लगातार बिगड़ रहे हैं। जिसके चलते अमेरिका ने सऊदी अरब को चेतावनी तक दे डाली है।
US OPEC Plus: अमेरिकी सरकार ईंधन की कीमतों को कम करने के लिए दिसंबर में रणनीतिक पेट्रोलियम रिजर्व से 15 मिलियन बैरल तेल जारी करेगी।
US Saudi Arabia: अमेरिका सऊदी अरब के खिलाफ कार्रवाई करेगा। इस बात का ऐलान खुद अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने किया है। वह इस देश से काफी नाराज हो गए हैं।
US Saudi Arabia Relations: अमेरिका और सऊदी अरब के रिश्ते बेहद खराब चल रहे हैं। ओपेक ग्रुप के तेल उत्पादन में कटौती के बाद से बाइडेन काफी नाराज हैं और रिश्तों पर पुनर्विचार कर रहे हैं।
OPEC Oil Production: जो बाइडेन शुरुआत से ही सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के खिलाफ बोलते आए हैं लेकिन जब मजबूरी आई तो उन्होंने न केवल उनसे रियाध में मुलाकात की बल्कि उनके साथ द्विपक्षीय वार्ता तक की।
OPEC: इस निर्णय के तहत तेल उत्पादक देश अक्टूबर महीने के लिये 1,00,000 बैरल प्रतिदिन की कटौती करेंगे।
OPEC और उसके सहयोगी देशों (ओपेक प्लस) ने कहा कि वे अगले महीने 1,00,000 बैरल प्रतिदिन उत्पादन बढ़ाएंगे जबकि जुलाई और अगस्त में यह 6,48,000 बैरल प्रतिदिन था।
तेल निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) और संबद्ध तेल उत्पादक देशों (ओपेक प्लस) द्वारा महामारी के दौरान उत्पादन में की गई कमी को क्रमिक रूप से बहाल करने के फैसले के बाद कच्चे तेल की कीमतों में सोमवार को उछाल आया।
यूएई मई 2022 से प्रति दिन 35 लाख बैरल का उत्पादन कर सकेगा। सऊदी अरब की दैनिक उत्पादन सीमा 1.10 करोड़ बैरल से बढ़ कर 1.15 करोड़ बैरल हो जाएगी।
भारत अपनी कुल जरूरत का 85 प्रतिशत तेल का आयात करता है। वह काफी लंबे समय से ओपेक और उसके सहयोगियों से उत्पादन कटौती को खत्म करने की मांग कर रहा है
मांग बढ़ने तथा आपूर्ति कम होने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत बढ़कर 75 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर तक चली गयी है जो अप्रैल 2019 के बाद सर्वाधिक है।
भारत दुनिया का तीसरा बड़ा तेल आयातक देश है। यही वजह है कि मई में भारत के कुल तेल आयात में ओपेक देशों से होने वाले तेल आयात का हिस्सा कम होकर 60 प्रतिशत रह गया जो कि इससे पिछले महीने 74 प्रतिशत रहा था।
पेट्रोल डीजल के दाम जल्द कम हो सकते है। तेल को लेकर बड़ी खबर आई है। ओपेक (Organization of the Petroleum Exporting Countries (OPEC) पेट्रोलियम उत्पादक 13 देशों के संगठन ने गुरुवार को कहा कि उन्होंने मई से जुलाई तक धीरे-धीरे तेल उत्पादन प्रति दिन 2 मिलियन बैरल प्रति बैरल करने का फैसला लिया है।
केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमत में वृद्धि होने की वजह से घरेलू बाजार में पेट्रोल और डीजल के उपभोक्ता मूल्य में बढ़ोतरी हो रही है।
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